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सच्ची मेहनत का फल
एक छोटे से गांव में रमेश नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके पास सिर्फ एक छोटा सा खेत था, जिसमें वह मेहनत करता था, लेकिन फसल बहुत कम होती थी। उसकी गरीबी के कारण लोग उसका मजाक उड़ाते थे।
एक दिन, उसने अपने दादा से सुना कि पास के जंगल में एक जादुई कुआं है। यह कुआं केवल उन लोगों की मदद करता है, जो सच्ची मेहनत और ईमानदारी से काम करते हैं। रमेश ने सोचा कि उसे इस कुएं को ढूंढना चाहिए।
वह जंगल में गया और कई दिनों तक खोजने के बाद उसे वह कुआं मिला। कुएं के पास एक पत्थर पर लिखा था, "अपनी मेहनत का प्रमाण दो, तब ही तुम्हें इसका फल मिलेगा।"
रमेश ने सोचा कि उसे क्या करना चाहिए। उसने वहीं खेत बनाया और हर दिन उसमें मेहनत से काम किया। सूरज की गर्मी, ठंडी रातें और भूख, उसने सब सहा।
एक दिन, जब उसने खेत में एक पौधा उगते देखा, तो कुएं से आवाज आई, "तुमने अपनी मेहनत से साबित कर दिया कि तुम इसके हकदार हो। अब यह खेत तुम्हें भरपूर फसल देगा।"
आगे से, रमेश के खेत में इतनी फसल होती थी कि वह न केवल अपने परिवार को पाल सका, बल्कि पूरे गांव की मदद भी करता था। जो लोग उसका मजाक उड़ाते थे, वे अब उसकी इज्जत करते थे।
शिक्षा:
सच्ची मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, अगर हम डटे रहें, तो सफलता जरूर मिलती है।


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*!! एक छोटी सी अच्छी आदत !!*
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पुराने समय में दो दोस्त थे। बचपन में दोनों साथ पढ़ते और खेलते थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों दोस्त अपने अपने जीवन में व्यस्त हो गए। एक दोस्त ने खूब मेहनत की और बहुत पैसा कमा लिया। जबकि दूसरा दोस्त बहुत आलसी था। वह कुछ भी काम नहीं करता था। उसका जीवन ऐसे ही गरीबी में कट रहा था। एक दिन अमीर व्यक्ति अपने बचपन के दोस्त से मिलने गया। अमीर व्यक्ति ने देखा की उसके दोस्त की हालत बहुत खराब है, उसका घर भी बहुत गंदा था।

गरीब दोस्त ने बैठने के लिए जो कुर्सी दी, उस पर धूल थी। अमीर व्यक्ति ने कहा कि तुम अपना घर इतना गंदा क्यों रखते हो? गरीब ने जवाब दिया कि घर साफ करने से कोई लाभ नहीं है, कुछ दिनों में ये फिर से गंदा हो जाता है। अमीर ने उसे बहुत समझाया कि घर को साफ रखना चाहिए, लेकिन वह नहीं माना। जाते समय अमीर व्यक्ति ने गरीब दोस्त को एक बहुत ही सुंदर गुलदस्ता उपहार में दिया। गरीब ने वह गुलदस्ता अलमारी के ऊपर रख दिया। इसके बाद जब भी कोई व्यक्ति उस गरीब के घर आता तो उसे सुंदर गुलदस्ता दिखता, वे कहते कि गुलदस्ता तो बहुत सुंदर है, लेकिन घर इतना गंदा है।

बार-बार एक ही बात सुनकर गरीब ने सोचा कि ये अलमारी साफ कर देता हूं, उसने अलमारी साफ कर दी। अब उसके घर आने वाले लोगों ने कहा कि गुलदस्ता बहुत सुंदर, अलमारी भी साफ है, लेकिन पूरा घर गंदा है। ये बातें सुनकर गरीब व्यक्ति ने अलमारी के साथ वाली दीवार साफ कर दी। अब जो भी लोग उसके घर आते सभी उसी कोने में बैठना पसंद करते थे, क्योंकि वहां साफ-सफाई थी। गरीब व्यक्ति ने एक दिन गुस्से में पूरा घर साफ कर दिया और दीवारों की पुताई भी करवा दी। धीरे-धीरे उसकी सोच बदलने लगी और उसने काम करना शुरू कर दिया।

*शिक्षा:-*
हमारी एक छोटी सी अच्छी आदत हमारी सोच बदल सकती है, जिससे हमारा जीवन बदल सकता है। अच्छी आदतों से बड़ी-बड़ी बाधाएं भी दूर की जा सकती हैं।


*!! कड़वा वचन !!*
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सुंदर नगर में एक सेठ रहते थे। उनमें हर गुण था- नहीं था तो बस खुद को संयत में रख पाने का गुण। जरा-सी बात पर वे बिगड़ जाते थे। आसपास तक के लोग उनसे परेशान थे। खुद उनके घर वाले तक उनसे परेशान होकर बोलना छोड़ देते।

किंतु, यह सब कब तक चलता। वे पुन: उनसे बोलने लगते। इस प्रकार काफी समय बीत गया, लेकिन सेठ की आदत नहीं बदली। उनके स्वभाव में तनिक भी फर्क नहीं आया।

अंततः एक दिन उसके घरवाले एक साधु के पास गये और अपनी समस्या बताकर बोले- “महाराज ! हम उनसे अत्यधिक परेशान हो गये हैं, कृपया कोई उपाय बताइये।” तब, साधु ने कुछ सोचकर कहा- “सेठ जी ! को मेरे पास भेज देना।”

“ठीक है, महाराज” कहकर सेठ जी के घरवाले वापस लौट गये। घर जाकर उन्होंने सेठ जी को अलग-अलग उपायों के साथ उन्हें साधु महाराज के पास ले जाना चाहा। किंतु, सेठ जी साधु-महात्माओं पर विश्वास नहीं करते थे। अतः वे साधु के पास नहीं आये। तब एक दिन साधु महाराज स्वयं ही उनके घर पहुंच गये। वे अपने साथ एक गिलास में कोई द्रव्य लेकर गये थे।

साधु को देखकर सेठ जी की प्योरिया चढ़ गयी। परंतु घरवालों के कारण वे चुप रहे।

साधु महाराज सेठ जी से बोले- “सेठ जी ! मैं हिमालय पर्वत से आपके लिए यह पदार्थ लाया हूं, जरा पीकर देखिये।” पहले तो सेठ जी ने आनाकानी की, परंतु फिर घरवालों के आग्रह पर भी मान गये। उन्होंने द्रव्य का गिलास लेकर मुंह से लगाया और उसमें मौजूद द्रव्य को जीभ से चाटा।

ऐसा करते ही उन्होंने सड़ा-सा मुंह बनाकर गिलास होठों से दूर कर लिया और साधु से बोले- “यह तो अत्यधिक कड़वा है, क्या है यह ?”

“अरे आपकी जबान जानती है कि कड़वा क्या होता है” साधु महाराज ने कहा। “यह तो हर कोई जानता है” कहते समय सेठ ने रहस्यमई दृष्टि से साधु की ओर देखा।

“नहीं ऐसा नहीं है, अगर हर कोई जानता होता तो इस कड़वे पदार्थ से कहीं अधिक कड़वे शब्द अपने मुंह से नहीं निकालता। सेठ जी वह एक पल को रुके फिर बोले। सेठ जी याद रखिये जो आदमी कटु वचन बोलता है वह दूसरों को दुख पहुंचाने से पहले, अपनी जबान को गंदा करता है।”

सेठ समझ गये थे कि साधु ने जो कुछ कहा है उन्हें ही लक्षित करके कहा है। वह फौरन साधु के पैरों में गिर पड़े- “बोले साधु महाराज ! आपने मेरी आंखें खोल दी, अब मैं आगे से कभी कटु वचनों का प्रयोग नहीं करूंगा।”

सेठ के मुंह से ऐसे वाक्य सुनकर उनके घरवाले प्रसन्नता से भर उठे। तभी सेठ जी ने साधु से पूछा- “किंतु, महाराज! यह पदार्थ जो आप हिमालय से लाये हो वास्तव में यह क्या है?”

साधु मुस्कुराकर बोले- “नीम के पत्तों का अर्क।” “क्या” सेठ जी के मुंह से निकला और फिर वे धीरे-से मुस्कुरा दिये।

*शिक्षा:-*
मित्रों! कड़वा वचन बोलने से बढ़कर इस संसार में और कड़वा कुछ नहीं। किसी द्रव्य के कड़वे होने से जीभ का स्वाद कुछ ही देर के लिए कड़वा होता है। परंतु कड़वे वचन से तो मन और आत्मा को चोट लगती है।

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️


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*!! जिंदगी की कीमत !!*
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एक बार एक व्यक्ति अकेला उदास बैठा कुछ सोच रहा था, कि तभी उसके पास भगवान प्रकट हुए.

भगवान को अपने समक्ष देख कर उस व्यक्ति ने पूछा मुझे जीवन में बहुत असफलताएं मिलीं, अब मैं निराश हो चूका हूँ। हे-भगवन, मुझे बताओ कि मेरे इस जीवन की क्या कीमत है ?

भगवान ने उस व्यक्ति को एक लाल रंग का चमकदार पत्थर दिया और कहा “जाओ इस पत्थर की कीमत का पता लगा लो, तुम्हें अपनी ज़िन्दगी की कीमत का भी पता चल जाएगा. लेकिन ध्यान रहे कि इस पत्थर को बेचना नहीं है."

वो व्यक्ति उस लाल चमकदार पत्थर को लेकर सबसे पहले एक फल वाले के पास गया और कहा “भाई.. ये पत्थर कितने का खरीदोगे?” फल वाले ने पत्थर को ध्यान से देखा और कहा “मुझसे 10 संतरे ले जाओ और ये पत्थर मुझे दे दो.

उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं मैं ये पत्थर बेच नहीं सकता. फिर वो व्यक्ति एक सब्ज़ी वाले के पास गया और उसे कहा “भाई…ये लाल पत्थर कितने में खरीदोगे?” सब्ज़ी वाले ने कहा कि मुझसे एक बोरी आलू ले जाओ और ये पत्थर मुझे बेच दो. लेकिन भगवान के कहे अनुसार उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं मैं ये बेच नहीं सकता.

फिर वो व्यक्ति उस पत्थर को लेकर एक सुनार की दूकान में गया जहाँ कई तरह-तरह के आभूषण पड़े हुए थे. उस व्यक्ति ने सुनार को भी वो पत्थर दिखाया और उस सुनार ने बड़े गौर से उस पत्थर को देखा और फिर कहा “मैं तुम्हें 1 करोड़ रुपये दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो.” फिर उस व्यक्ति ने सुनार से माफ़ी मांगी और कहा कि ये पत्थर मैं बेच नहीं सकता. सुनार ने फिर कहा “अच्छा चलो ठीक है, मैं तुम्हें 2 करोड़ दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो.”

सुनार की बात सुनकर वो व्यक्ति चौंक गया. लेकिन सुनार को मना कर वो आगे बढ़ गया और एक हीरे बेचने वाले की दूकान में गया. हीरे के व्यापारी ने उस लाल चमकदार पत्थर को पूरे 10 मिनट तक देखा और फिर एक मलमल का कपडा लिया और उस पत्थर को उस पर रख दिया. फिर उस व्यापारी ने अपना सर उस पत्थर पर लगा कर माथा टेका और कहा “तुम्हें ये कहाँ मिला, ये इस दुनिया में सबसे अनमोल रत्न है. अगर इस दुनिया की पूरी दौलत भी लगा दी जाए तो इस पत्थर को नहीं खरीद सकता.”

ये सुन वो व्यक्ति बहुत हैरान हुआ और सीधा भगवान के पास गया और उन्हें आप बीती बताई और फिर उसने भगवान से पूछा “हे भगवन अब मुझे बताईये कि मेरे इस जीवन की क्या कीमत है?”

भगवान ने कहा- “फल वाले ने, सब्ज़ी वाले ने, सुनार ने और हीरे के व्यापारी ने तुम्हें जीवन की कीमत बता दी थी. हे मनुष्य, किसी के लिए तुम एक पत्थर के टुकड़े सामान हो और किसी के लिए बहुमूल्य रत्न समान! हर किसी ने अपनी जानकारी के अनुसार तुम्हें उस पत्थर की कीमत बताई, लेकिन उस हीरे के व्यापारी ने इस पत्थर को पहचान लिया. ठीक उसी तरह कुछ लोग तुम्हारी कीमत नहीं पहचानते इसलिए ज़िन्दगी में कभी निराश मत हो.”

*शिक्षा:-*
इस दुनिया में हर मनुष्य के पास कोई ना कोई ऐसा हुनर होता है, जो सही वक़्त पर निखर कर आता है, लेकिन उसके लिए परिश्रम और धैर्य की ज़रूरत है..!!


*!! ज्ञान का अहंकार !!*
~~~

एक समय की बात है. एक घमंडी व्यक्ति शहर से पढ़ लिख कर अपने पुराने गांव आया. गांव और शहर के बीच में एक नदी पड़ती थी जिसको पार करने के बाद ही वह अपने गांव जा सकता था. इसलिए उसने एक नाव वाले को बुलाया और उसके नाव में सवार होकर अपने गांव की ओर चल दिया.

कुछ देर चलने के बाद वह घमंड में भरकर नाविक से पूछना लगा– क्या तुमने कभी व्याकरण पढ़ा है..?

नाविक कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया और फिर बोला ‘नहीं’ साहब मैंने नहीं पढ़ा है.

घमंड और अहंकार से भरे हुए व्यक्ति ने हंसते हुए कहा फिर तो तुमने अपनी आधी जिंदगी व्यर्थ में गंवा दी.

थोड़ी देर बाद अपनी पढ़ाई का और घमंड दिखाने के लिए उस व्यक्ति ने नाभिक से फिर पूछा, तुमने इतिहास और भूगोल पढ़ा है?

नाविक ने ना में सिर हिलाते हुए कहा ‘नहीं’ साहब.

अहंकारी व्यक्ति ने फिर जोर से ठहाका लगाकर नाविक का मजाक उड़ाते हुए कहा फिर तो तुमने अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर दिया.

नाविक को इस बात पर बहुत क्रोध आया लेकिन वह मन मार कर रह गया और उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोला चुपचाप नाव चलाने लगा.

कुछ दूर नाव चलाने के बाद अचानक नदी में उफ़ान आ गया और नाव जोर-जोर से हिचकोले खाने लगी. यह देख कर नाविक ने चेहरे पर छोटी सी मुस्कान के साथ ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से पूछा– ‘साहब’ आपको तैरना भी आता है या नहीं…?

व्यक्ति ने कहा– ‘नहीं’ मुझे तैरना नहीं आता है.

नाविक ने कहा फिर तो आपको अपने इतिहास भूगोल और व्याकरण को सहायता के लिए बुलाना पड़ेगा, वरना आपकी सारी उम्र बर्बाद हो जाएगी. क्योंकि यह नाव डूबने वाली है.

यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे की ओर चला गया.

*शिक्षा:-*
कभी भी अपने ज्ञान पर व्यर्थ का अहंकार प्रदर्शित नहीं करना चाहिए और किसी को अपने ज्ञान के बल पर नीचा नहीं दिखाना चाहिए.


भगवान का भजन कब करे ☝️☝️देखे इस वीडियो को

🙏जय श्री राम🙏




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भीष्म पितामह संवाद


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*!! बूढ़े गिद्ध की सलाह !!*
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एक बार गिद्धों (Vultures) का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँचा. टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था. वहाँ ढ़ेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे. इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था. गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे. इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था.

उस झुण्ड में अधिकांश गिद्ध युवा थे. वे सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना है. यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन कहीं नहीं मिलेगा. लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध भी था. वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता. वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर क्या असर पड़ेगा? क्या ये वास्तविक जीवन का अर्थ समझ पाएंगे? यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है. ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे?

बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई. अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं. मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं. यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं. ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे.”

युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी. उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है. इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है. उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया.

बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो. ऐसे में मुसीबत आई, तो क्या करोगे? मेरी बात मानो, मेरे साथ चलो.” लेकिन किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी. बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया. कुछ महीने बीते. एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँचा.

टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था. जहाँ देखो, वहाँ गिद्धों की लाशें पड़ी थी. कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े थे. हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालत कैसे हुई?”

घायल गिद्ध ने बताया, “आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे. लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया. उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए. शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया. लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं. हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया. उनके ही कारण हमारा ये हाल है. शायद आपकी बात न मानने का फल हमें मिला है.”

*शिक्षा:-*
अक्सर कम्फर्ट जोन (Comfort Zone) में जाने के बाद उससे बाहर आ पाना मुश्किल होता है. ऐसे में चुनौतियाँ आने पर उसका सामना कर पाना आसान नहीं होता. इसलिए कभी भी कम्फर्ट ज़ोन (Comfort Zone) में जाकर ख़ुश न हो जाएं. ख़ुद को हमेशा चुनौती (Challenge) देते रहे और मुसीबत के लिए तैयार रहें. तब आप चुनौती का सामना करते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे.


*!! वाणी पर नियंत्रण रखें !!*
~~~~

एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।

यह बात दूर-दूर तक फैल गई। आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया, कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।

तभी गाँव में एक चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया, फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया, निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा। उसने उस बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया।

पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा- मैंने जो कुछ कहा था, वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था। किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था।

सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा- आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें, जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं और जाते समय उस कागज के टुकड़े-टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें, कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ...

बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया।

अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को.. जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं।

बूढ़े आदमी ने कहा- मैं ऐसा नहीं कर सकता। उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी। अब वे नहीं मिल सकेंगें। मैं कहाँ-कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा?

सरपंच ने कहा- 'ठीक इसी तरह, एक सरल-सी टिप्पणी भी किसी का मान-सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है... जिससे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता।

*शिक्षा:-*
यदि किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए, ताकि हम शब्दों के दास न बनें..!!

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️


*!! बलिदान !!*
~

एक बार की बात है, एक व्यक्ति भगवान के सामने बलिदान देने के लिए तैयारी कर रहा था. बकरियां और भेड़ों को एक साथ कत्ल करने के लिए खरीदा गया था.

जब बलिदान का दिन आया, तो भगवान ने मनुष्य से मुलाकात की और उन्होंने कई चीजों पर चर्चा की.

अंत में भगवान ने, मनुष्य की पवित्रता के बारे में बात की.

भगवान ने कहा, “जीवों को कत्ल करना पाप है. किसी भी निर्दोष जीवों को कत्ल करके, आपको पापों और भ्रमों से छुटकारा नहीं मिल सकता है.”

भगवान का वचन, मनुष्य की आत्मा के गहरे तक गया.

वह समझ गया कि, “शुद्ध दिल और ईमानदारी तरीकों से भगवान का पूजा करना, बलिदान से कई अधिक मूल्यवान है.

व्यक्ति ने फैसला किया कि उन जानवरों को आजादी दी जानी चाहिए और कत्ल करने के बजाए, उन्हें अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जीने के लिए आजाद छोड़ देना चाहिए.

*शिक्षा:-*
हमें किसी भी निर्दोष प्राणी को नहीं मारना चाहिए वह सभी भगवान की संतान हैं.

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