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शुभ रात्रि दोस्तों ✔️


यहाँ जीना है तो नींद में भी पैर हिलाते रहिये...

वर्ना दफ़न कर देगा ये शहर मुर्दा समझकर...


मैं अन्धेरा हूं तो अफसोस क्यूं करूं

खुश हुं कि रौशनी का वजूद मुझसे है....!!


अच्छे तो सभी होते हैं...

बस पहचान बुरे वक़्त में होती है...!!


कुछ लोग चाहे जितने बुजूर्ग हो जाए
उनकी सुंदरता नहीं मिटती
यह चेहरों से उतर कर दिलो में आ बसती है


यहाँ लोग ज़िंदगी जी रहे हे ऐसे

उसका जिस्म बेजान हो जैसे


शुभ रात्रि दोस्तों ✔️


मोहब्बत नहीं दे सकते हम समझते हैं।
पर दर्द बन कर ही साथ रहो मेरे
सुना है दर्द बहुत लम्बे समय तक साथ देता है।।


शराफ़तो की यहाँ कोई एहमियत ही नहीं

किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है


वफ़ा का नाम सुना था पुराने लोगो से,

हमारे वक़्त में ये हादसे हुआ नहीं करते !


इतनी भी जल्दी क्या है रूठने की

किस्मत में तो तुम वैसे भी नहीं हो।


कोनसा दिल कोनसे लफ़्ज़ कोनसी आग
ओर कोनसा तीर
हम तो एसे बहते है इस ज़िंदगी में
जैसे हों कोई नदियाँ का नीर।


नहीं मिलती वफ़ा अब

उन प्यार के रिश्तों में,

दुनिया में लोगो के बदल जाने की रस्म

अब आम हो गयी है....!!


अब छोड़ दिया मैंने......

मर्ज़ी के लोगों को , उनकी मर्ज़ी पर....


मैं चाहता हूं कि वो और जी ले,
मगर वो मुझ पर मरती ही जा रहा है


जो तरीक़ा दुनिया का है
उसी तौर से बोलो...
बहरों का इलाक़ा है
ज़रा ज़ोर से बोलो....!!


" हैरत है उनको .....
मुझे मजबूत देखकर
जो लोग मुझे .....
कमजोर करने पर तुले थे " !!


गले मिलकर छुरा घोंपने का रिवाज है यहां...
क्या शहर है कायदे का दुश्मन नहीं मिलता....!!


और भी बनती लकीरें दर्द की
शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए !!


कितना डरावना होता है....
"है" का "था" हो जाना.....?

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