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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

1. जिसके आने की तिथि ज्ञात न हो – अतिथि
2. जिसका जन्म बाद/पीछे हुआ हो – अनुज
3. वह हथियार जो फेंककर चलाया जाय – अस्त्र
4. जो अर्थशास्त्र का विद्वान् हो – अर्थशास्त्री
5. जिसकी उपमा न हो – अनुपम
6. जिसका मूल्य न हो। – अमूल्य
7. जिसका कोई अर्थ न हो – अर्थहीन
8. जिस पर आक्रमण न किया गया हो – अनाक्रांत
9. जिसे जीता न जा सके – अजेय
10. जिसे ईश्वर या वेद में विश्वास न हो – नास्तिक
11. जिसका जन्म पहले हुआ हो (बड़ा भाई) – अग्रज
12. दोपहर के बाद का समय – अपराह्न
13. जो पराजित न किया जा सके – अपराजेय
14. जिस पर विश्वास न हो – अविश्वसनीय
15. जिसका परिहार (त्याग) न हो सके/जिसको छोड़ा न जा सके – अपरिहार्य
16. जो कानून के प्रतिकूल हो/जो विधि के विरुद्ध हो – अवैध, अविधिक
17. जो समय पर न हो – असामयिक
18. जो अवश्य होने वाला हो – अवश्यम्भावी
19. जिसका विवाह न हुआ हो – अविवाहित
20. जो सबके अन्तःकारण की बात जानने वाला हो – अन्तर्यामी
21. जिसका इलाज न हो सके – असाध्य
22. किसी कार्य के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता – अनुदान
23. व्यर्थ/अनुचित खर्च करने वाला – अपव्ययी
24. जिसकी पहले से कोई आशा न हो – अप्रत्याशित
25. पुरुष जो अभिनय करता हो – अभिनेता


व्यंजन ( vyanjan )
व्यंजन किसे कहते हैं?
व्यंजन ( vyanjan in hindi ) :- व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है।

व्यंजन के प्रकार –
व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?
व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं –
1. स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan),
2. अंतःस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan),
3. उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan),
4. आगत व्यंजन (Aagat Vyanjan),
5. संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)

व्यंजनों की कुल संख्या = 41

स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या = 27 (क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म तथा ड़, ढ़

(ड़, ढ़ को उच्छिप्त व्यंजन (Uchchhipt Vyanjan) और द्विगुण व्यंजन (Dwigun Vyanjan) भी कहते हैं))

अंतःस्थ व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (य, र, ल, व)
ऊष्म व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (श, ष, स, ह)
आगत व्यंजनों की कुल संख्या = 2 (ज़, फ़)
संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (क् + ष् = क्ष, त् + र् = त्र, ज् + ञ् = ज्ञ, श् + र् = श्र)


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हिंदी व्याकरण - विराम चिह्न

विराम चिह्न के प्रकार:
अल्प विराम ( , )
अर्द्ध विराम  ( ; )
पूर्ण विराम  ( । )
उप विराम  [ : ]
विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! )
प्रश्नवाचक चिह्न  ( ? )
कोष्ठक ( ( ) )
योजक चिह्न  ( - )
अवतरण चिह्न या उद्धरण चिह्न  ( ''... '' )
लाघव चिह्न  ( o )
आदेश चिह्न (विवरण चिन्ह) ( :- )
रेखांकन चिह्न  ( _ )
लोप चिह्न ( पदलोप चिन्ह)( ... )
पुनरुक्ति सूचक चिन्ह- (,,)
विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह-   ( ^ )
दीर्घ उच्चारण चिन्ह ( S  )
तुल्यता सूचक चिन्ह  ( =  )
निर्देशक चिन्ह  ( ―  )


✳️ सन्धि ✳️


✍️संधि की परिभाषा – दो वर्णों के मेल को संधि कहते है |
Just
उदाहरण – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी ( इसमें विद्यार्थी संधि है )

✍️संधि विच्छेद – संधि किये गये शब्दों को अलग अलग करके पूर्व की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है |

जैसा कि हम जानते है कि दो वर्णों के मेल को संधि कहते है ऊपर के उदाहरण से स्पष्ट है ‘ विद्यार्थी ‘ संधि है | विद्यार्थी को ‘विद्या’ + ‘अर्थी’ अलग –अलग कर देने की प्रक्रिया ही संधि विच्छेद कही जाती है | अत: विद्या + अर्थी संधि विच्छेद है |

✍️संधि का अर्थ – संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ है – जोड़ अथवा मेल |’संधि’ शब्द का अर्थ व्यापक अर्थों में लिया जाता है ,परंतु यहाँ संधि शब्द का अर्थ वर्णों के मेल और विच्छेद से होता है | दो वर्णों का जो मेल या जोड़ होता है वह नियमों के अधीन होता है | संधि के नियम बने हुए है | जिसके अधीन संधि की जाती है |संधि में भाषा के नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है | हिंदी भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता है | अत: संस्कृत के नियमों का पालन किया जाता है |

✍️संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं –
2. व्यंजन संधि
 
✍️1. स्वर संधि – दों स्वरों के मेल से जो संधि होती है ,उसे स्वर संधि कहते है |

 

✍️स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के निम्न भेद है :-

1. दीर्घ संधि


इसकों इस प्रकार समझ सकते है –

अ , आ + अ , आ = आ
इ , ई + इ , ई = ई
दीर्घ संधि के उदाहरण –

 संधि विच्छेद         संधि
पुस्तक + अर्थी = पुस्तकार्थी
सूर्य +अस्त = सूर्यास्त
वेद +अन्त = वेदान्त
उत्तम+ अंग = उत्तमांग
राम + अयण = रामायण
धन + अर्थी = धनार्थी
शब्द + अर्थ = शब्दार्थ
अद्य + अवधि = अद्यावधि
महा + आलय = महालय
हिम + आलय = हिमालय
देव + आलय = देवालय
नित्य+ आनंद = नित्यानंद
कमल + आसन = कमलासन
आज्ञा + अनुपालन = आज्ञानुपालन
राम + आश्रय = रामाश्रय
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
शिक्षा +अर्थी = शिक्षार्थी
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
शिव + आलय = शिवालय
गिरि + इंद्र = गिरीन्द्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
गिरि + ईश = गिरीश
कवि + इंद्र = कवींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
मही + ईश = महीश
भारती + ईश्वर = भारतीश्वर
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
भानु + उदय = भानूदय
मंजु + ऊषा = मंजूषा
विधु + उदय = विधूदय
स्वयंभू + उदय = स्वयंभूदय
भू + उत्तम = भूत्तम


 संधि विच्छेद     संधि
शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
पूर्ण + इंद्र = पुर्णेंद्र
परम + ईश्वर = परमेश्वर
दिन + ईश = दिनेश
नर + उत्तम = नरोत्तम
गंगा+ ऊर्मि = गंगोर्मि
राज + ऋषि = राजर्षि
महा + ऋण = महर्ण

✍️3. वृद्धि संधि – [ सूत्र – वृद्धिरेचि ] – यदि अ या आ के बाद ए या ऐ आवे तो दोनों के स्थान पर ‘ ऐ ‘ हो जाता है तथा अ या आ के बाद ओ या औ आवें तो दोनों के स्थान पर ‘ औ ‘ आदेश हो जाता है |इस नियम प्रक्रिया को वृद्धि संधि कहते है |

अद्य + एव = अद्यैव
देव +ऐश्वर्य = देवैश्वर्य
सर्वदा +एव = सर्वदैव
उष्ण + ओदन = उष्णौदन
जल + ओस = जलौस
परम + औदार्य = परमौदार्य
 
✍️4. यण संधि [ सूत्र- इको यणचि ] – यदि हृस्व या दीर्घ इ ,उ ,ऋ ,लृ के बाद कोई भी असमान स्वर आये तो उसके स्थान पर क्रमश: य् ,व् ,र ,ल् हो जाता है |
उ या ऊ + कोई असमान स्वर = व्
ऋ या ॠ + कोई असमान स्वर = र्

यण संधि के उदाहरण –
उपरि+ उक्त = उपर्युक्त
अति + उक्ति = अत्युक्ति
अति + आनंद = अत्यानंद
दधि + ओदन = दध्योदन
नदी + आमुख = नद्यामुख
सखी + एक्य = सख्यैक्य
देवी +आलय = देव्यालय
देवी+ उक्ति = देव्युक्ति
देवी + ओज = देव्योज
सु + आगत = स्वागत
मधु + आलय = मध्वालय
अनु + आदेश = अन्वादेश
 
✍️5. अयादि संधि –[ सूत्र – एचोsयवायाव: ] – यदि ए ,ऐ ,ओ, औ, के बाद कोई असमान स्वर आवे तो ए, ऐ, ओ, औ के स्थान पर क्रम से अय् ,आय् , अव् , आव् हो जाता है | जैसे – ने + अन = नयन
इसको इस प्रकार समझा जा सकता है –
औ + कोई असमान स्वर = आव्
अयादि संधि के उदाहरण –

संधि विच्छेद संधि
पौ + अक = पावक


हिंदी व्याकरण - वाक्यांश के लिए एक शब्द 02

जिसका स्पर्श वर्जित हो— अस्पृश्य

जिसका कोई घर न हो— अनिकेत

जिसका कभी अन्त न हो— अनन्त

जिसे जाना न जा सके— अज्ञेय

जिसे करना ज़रूरी हो— अनिवार्य

जिसे क्षमा न किया जा सके— अक्षम्य

जिसे भेदा न जा सके— अभेद्य

जिस पुस्तक मेँ आठ अध्याय होँ— अष्टाध्यायी

जिस स्थान पर कोई न जा सके— अगम्य

जिसका वर्णन न हो सके— अवर्णनीय

जिसकी गिनती न हो सके— अगणनीय

जिसकी कोई उपमा न हो— अनुपम

जिसकी गहराई का पता न लग सके— अथाह

जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो— अधिकृत

जिसे लाँघा न जा सके— अलंघनीय

जिसके आने की तिथि निश्चित न हो— अतिथि

जिसका खंडन न किया जा सके— अखंडनीय

जिसका कोई शत्रु न हो— अजातशत्रु

जिसके समान कोई न हो— अद्वितीय

जिसकी कोई तुलना न हो— अतुलनीय

जिसके आदि (प्रारम्भ) का पता न हो— अनादि

किसी सम्प्रदाय का समर्थन करने वाला— अनुयायी

किसी प्रस्ताव का समर्थन करना — अनुमोदन

हृदय की बातेँ जानने वाला— अन्तर्यामी

परम्परा से चली आ रही कथा— अनुश्रुति

सरकार की ओर से जारी सूचना — अधिसूचना

फेँक कर चलाया जाने वाला हथियार— अस्त्र

अपनी बात से न टलने वाला — अटल

अत्यधिक बढ़ा–चढ़ा कर कही गई बात— अतिशयोक्ति

किसी संस्था या व्यक्ति के साठ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— हीरक जयंती

किसी संस्था या व्यक्ति के पचास वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— स्वर्ण जयंती

आगे आने वाला— आगामी


🔺वाक्यांश के लिए एक शब्द (गत वर्षों पर आधारित)🔺

■ जो दिखायी न पड़े – अदृश्य, अप्रत्यक्ष

■ जो सदा से चला आ रहा है – अनवरत

■ जो कभी नहीं मरता – अमर्त्य, अमर

■ जो आगे (दूर) की न सोचता हो – अदूरदर्शी

■ जो आगे (दूर) की सोंचता हो – अग्रसोची, दूरदर्शी

■ धरती (पृथ्वी) और आकाश के बीच का स्थान – अंतरिक्ष

■ जिसका कोई अर्थ न हो – अर्थहीन

■ जिस पर आक्रमण न किया गया हो – अनाक्रांत

■ जिसे जीता न जा सके – अजेय

■ बिना वेतन काम करने वाला – अवैतनिक

■ जिसका जन्म पहले हुआ हो (बड़ा भाई) – अग्रज

■ दोपहर के बाद का समय – अपराह्न

■ जो पराजित न किया जा सके – अपराजेय

■ अधिक बढ़ा-चढ़ा कर कहना – अतिशयोक्ति, अतियुक्ति

■ जिसका परिहार (त्याग) न हो सके/जिसको छोड़ा न जा सके – अपरिहार्य

■ जो कानून के प्रतिकूल हो/जो विधि के विरुद्ध हो – अवैध, अविधिक

■ जो समय पर न हो – असामयिक

■ जो अवश्य होने वाला हो – अवश्यम्भावी

■ जिसका विवाह न हुआ हो – अविवाहित

■ जो सबके अन्तःकारण की बात जानने वाला हो – अन्तर्यामी


❒Topic ► 【वर्ण माला】

वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। इसमें 52 वर्ण होते हैं और 11 स्वर होते हैं। मूल व्यंजनों की संख्या 33 होती है जबकि कुल व्यंजन 52 होते हैं। दो उच्छिप्त व्यंजन , चार सयुंक्त व्यंजन एवं दो अयोगवाह  होते हैं।

वर्णमाला के भेद
वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा गया है :
(1) स्वर (Swar)
(2) व्यंजन (Vyanjan)

स्वर (Vowels)
स्वर तीन प्रकार के होते हैं।
(i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर)
(ii) दीर्घ स्वर
(iii) प्लुत स्वर

(i) ह्स्व स्वर - लघु स्वर
ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं।
अ, इ, उ, ऋ

(ii) दीर्घ स्वर
ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है।
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

(iii) प्लुत स्वर
अयोगवाह (Ayogvah)
यह दो होते हैं।
अं, अः
अं को अनुस्वार कहते हैं
अ: को विसर्ग कहते हैं

व्यंजन (Consonants)
जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये पाँच प्रकार के होते हैं।
(i) स्पर्श व्यंजन
(ii) अन्तस्थ व्यंजन
(iii) उष्म व्यंजन
(iv) उत्क्षिप्त व्यजंन
(v) सयुंक्त व्यंजन


(i) स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan)
क से लेकर म तक होते हैं। इनकी संख्या 25 होती हैं। प्रत्येक वर्ग में पांच अक्षर होते हैं।

क वर्ग : क ख ग घ ङ
च वर्ग : च छ ज झ ञ
ट वर्ग : ट ठ ड ढ ण
त वर्ग : त थ द ध न
प वर्ग : प फ ब भ म

(ii) अन्तस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan)
इनकी संख्या 4 होती है।
य, र, ल, व

(iii) उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan)
इनकी संख्या भी 4 होती है।
श, ष, स, ह

(iv)उच्छिप्त व्यंजन (Uchchhipt Vyanjan)
यह दो होते हैं
ढ़, ड़
इनको द्विगुण व्यंजन (Dwigun Vyanjan) भी कहा जाता है।

(v) संयुक्त व्यंजन  - इनकी संख्या भी 4 होती है।
क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

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💐 आज के टॉप 25 प्रश्नोतर  ❣💐
●▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●

1. सिद्धों का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) बौद्धमत ✔️     (ब) नाथपंथ
(स) जैनमत             (द) शैवमत

2. बौद्धमत की महायान शाखा के साधना पक्ष में किस प्रमुख तत्व के प्रवेश से ’वज्रयान’ का उदय हुआ ?
(अ) मैथुन           (ब) हठयोग
(स) मूर्ति पूजा      (द) तांत्रिक साधना✔️

3. सिद्धमत में ’पाँच मकार’ कौनसे हैं ?
(अ) मद्य, मोहिनी, मत्स्य, महाकाल, मुद्रा
(ब) मद्य, मांस, मत्स्य, मैथुन, मुद्रा ✔️
(स) मद्य, मांस, मत्स्य, महाकाल, मुद्रा
(द) इनमें से कोई नहीं

4. सहजयान को वज्रयान की कौनसी अवस्था माना गया हैं ?
(अ) पूर्व अवस्था         (ब) मध्य अवस्था
(स) सिद्धावस्था ✔️    (द) अपूर्ण अवस्था

5. ’चर्यापद’ का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) सिद्धमत ✔️     (ब) नाथपंथ
(स) रासो साहित्य     (द) जैनमत

6. डिंगल शैली का प्रयोग किसमें मिलता हैं ?
(अ) सिद्ध साहित्य       (ब) जैन साहित्य
(स) रासो साहित्य ✔️   (द) लौकिक साहित्य

7. ’गुह्यसमाज’ या ’श्रीसमाज’ का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) सहजयान       (ब) वज्रयान ✔️
(स) हीनयान          (द) महायान

8. सिद्धों की तांत्रिक साधना में सहयोग स्त्री को क्या कहा जाता था ?
(अ) डोमिनी        (ब) भैरवी
(स) महामुद्रा       (द) उपर्युक्त सभी ✔️

9. सिद्धों की बानियों की भाषा को क्या कहा जाता हैं ?
(अ) सन्ध्या भाषा ✔️ (ब) खिचङी भाषा
(स) कूट भाषा           (द) रहस्य भाषा

10. सिद्ध साधना में ’डोमिनी’ या ’भैरवी’ का अर्थ हैं ?
(अ) हठयोग की एक मुद्रा
(ब) चर्यापद का विशेष गीत
(स) वामाचार में सहयोगी प्रायः नीच जाति की स्त्री ✔️
(द) तांत्रिक साधना

11. निम्नलिखित में सिद्ध साहित्य की कौनसी विशेषता नहीं हैं ?
(अ) गुरु महिमा✔️     (ब) नारी का निषेध
(स) योग साधना        (द) तन्त्र सिद्धि

12. गोरखनाथ के गुरु कौन थे ?
(अ) चैरंगीनाथ          (ब) आदिनाथ
(स) मत्स्येन्द्रनाथ✔️  (द) चर्पटीनाथ

13. निम्नलिखित में किसका सम्बन्ध नाथपंथ से हैं ?
(अ) अवधूत सम्प्रदाय      (ब) बैराग पंथ
(स) कौलमत               (द) उपर्युक्त सभी✔️

14. नाथ साहित्य की कौनसी विशेषताओ ने भक्तिकाल के संत काव्य को प्रभावित किया ?
(अ) गुरु महिमा             (ब) मूर्तिपूजा का विरोध
(स) ’अ’ व ’ब’ दोनो ✔️  (द) इनमें से कोई नहीं

15. किस इतिहासकार ने गोरखनाथ को हिन्दी का प्रथम गद्य लेखक माना हैं ?
(अ) रामचन्द्र शुक्ल       (ब) मिश्रबन्धु✔️
(स) जाॅर्ज ग्रियर्सन         (द) हजारीप्रसाद द्विवेदी

16. ’बारहपंथी सम्प्रदाय’ के प्रवर्तक कौन हैं ?
(अ) मत्स्येन्द्रनाथ       (ब) सरहपा
(स) कवि रैदास         (द) गोरखनाथ✔️

17. कौलमत के प्रवर्तक कौन हैं ?
(अ) मत्स्येन्द्रनाथ✔️      (ब) सरहपा
(स) गोरखनाथ              (द) शालिभद्र सूरि

18. सिद्ध साहित्य के संदर्भ में कौनसा कथन असत्य हैं?
(अ) इसमें हठयोग और तांत्रिक साधना प्रमुख है
(ब) सिद्धि के लिए स्त्री का भोग आवश्यक माना गया है
(स) रहस्य भावना की प्रमुखता
(द) मूर्ति पूजा का विशेष महत्व✔️

19. हिन्दी साहित्य की किस काव्यधारा पर सिद्ध और नाथ साहित्य का सर्वाधिक प्रभाव दृष्टिगोचर होता हैं ?
(अ) सूफी काव्य        (ब) संत काव्य✔️
(स) राम-कृष्ण काव्य  (द) रीतिकाव्य

20. सिद्धों और नाथों में किस बात को लेकर मतभेद था?
(अ) तीर्थाटन और कर्मकाण्ड का विरोध
(ब) जाति-पांत का खण्डन
(स) हठयोग साधना
(द) साधना में नारी का भोग✔️

21. कान में बङे-बङे छेद करके उनमें भारी कुण्डल धारण करने वाले ’कनफटा साधु’ किस पंथ/सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं ?
(अ) औघङ पंथ          (ब) सूफी सम्प्रदाय
(स) नाथ सम्प्रदाय  ✔️(द) सहजिया सम्प्रदाय

22. ’बैराग पंथ’ किस सम्प्रदाय की शाखा हैं ?
(अ) नाथ सम्प्रदाय      (ब) गोरखपंथी सम्प्रदाय ✔️
(स) जैन सम्प्रदाय       (द) सिद्ध सम्प्रदाय

23. ’श्रावकाचार’ रचना का सम्बन्ध किस मत से हैं ?
(अ) नाथपंथ         (ब) जैनमत ✔️
(स) सिद्ध सम्प्रदाय (द) इनमें से कोई नहीं

24. ’सरहपा’ सिद्ध कवि की कौनसी रचना हैं ?
(अ) दोहाकोष ✔️ (ब) प्राणसंकली
(स) चर्यापद          (द) इनमें से कोई नहीं

25. ’गोरखबानी’ का सम्पादन किसने किया हैं ?
(अ) राहुल सांकृत्यायन     (ब) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(स) श्यामसुन्दर दास        (द) पीताम्बरदत्त बङत्थवाल ✔️
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬


🙇‍♂ रामविलास शर्मा

💐💐 आधुनिक हिन्दी साहित्य में सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि रामविलास शर्मा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि। 👏👏
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
पूरा नाम - रामविलास शर्मा
जन्म - 10 अक्टूबर, 1912
जन्म भूमि - उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 30 मई, 2000
कर्म भूमि - भारत
कर्म-क्षेत्र - आलोचक, निबंधकार, विचारक
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
📚 मुख्य रचनाएँ - 'प्रेमचन्द और उनका युग', 'भाषा साहित्य और संस्कृति', 'प्रगति और परम्परा', 'भाषा और समाज', 'निराला की साहित्य साधना' आदि।भाषा - हिंदी और अंग्रेज़ी
विद्यालय - लखनऊ विश्वविद्यालय
शिक्षा - एम.ए. (अंग्रेज़ी), पी.एचडी.
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
विशेष योगदान - डॉ. रामविलास शर्मा ने अपने उग्र और उत्तेजनापूर्ण निबन्धों से हिन्दी समीक्षा को एक गति प्रदान की है।
नागरिकता - भारतीय
अन्य जानकारी - 'अज्ञेय' द्वारा सम्पादित 'तारसप्तक' (1943 ई.) के एक कवि रूप में इनकी रचनाएँ काफ़ी चर्चित हुई हैं।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🔥 अद्यतन‎
13:05, 11 सितम्बर 2021 (IST)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🎤 डॉ. रामविलास शर्मा (जन्म- 10 अक्टूबर, 1912, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 30 मई, 2000, भारत) आधुनिक हिन्दी साहित्य में सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। डॉ. रामविलास शर्मा भारत के प्रथम 'व्यास सम्मान' विजेता थे।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
📚 रामविलास शर्मा जी की समीक्षा कृतियों में विशेष उल्लेखनीय हैं-
'प्रेमचन्द और उनका युग' (1953)
'निराला' (1946 ई.)
'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र' (1954 ई.)
'प्रगति और परम्परा' (1954 ई.)
'भाषा साहित्य और संस्कृति' (1954 ई.)
'भाषा और समाज' (1961 ई.)
'निराला की साहित्य साधना' (1969)
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
🎗 सम्मान
रामविलास शर्मा जी वर्ष 1986-87 में हिन्दी अकादमी के प्रथम सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। इसके अतिरिक्त 1991 में इन्हें प्रथम व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया।


💐 आज के टॉप 13 प्रश्नोतर  ❣💐
●▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●

1. सिद्धों का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) बौद्धमत ✔️     (ब) नाथपंथ
(स) जैनमत             (द) शैवमत

2. बौद्धमत की महायान शाखा के साधना पक्ष में किस प्रमुख तत्व के प्रवेश से ’वज्रयान’ का उदय हुआ ?
(अ) मैथुन           (ब) हठयोग
(स) मूर्ति पूजा      (द) तांत्रिक साधना✔️

3. सिद्धमत में ’पाँच मकार’ कौनसे हैं ?
(अ) मद्य, मोहिनी, मत्स्य, महाकाल, मुद्रा
(ब) मद्य, मांस, मत्स्य, मैथुन, मुद्रा ✔️
(स) मद्य, मांस, मत्स्य, महाकाल, मुद्रा
(द) इनमें से कोई नहीं

4. सहजयान को वज्रयान की कौनसी अवस्था माना गया हैं ?
(अ) पूर्व अवस्था         (ब) मध्य अवस्था
(स) सिद्धावस्था ✔️    (द) अपूर्ण अवस्था

5. ’चर्यापद’ का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) सिद्धमत ✔️     (ब) नाथपंथ
(स) रासो साहित्य     (द) जैनमत

6. डिंगल शैली का प्रयोग किसमें मिलता हैं ?
(अ) सिद्ध साहित्य       (ब) जैन साहित्य
(स) रासो साहित्य ✔️   (द) लौकिक साहित्य

7. ’गुह्यसमाज’ या ’श्रीसमाज’ का सम्बन्ध किससे हैं ?
(अ) सहजयान       (ब) वज्रयान ✔️
(स) हीनयान          (द) महायान

8. सिद्धों की तांत्रिक साधना में सहयोग स्त्री को क्या कहा जाता था ?
(अ) डोमिनी        (ब) भैरवी
(स) महामुद्रा       (द) उपर्युक्त सभी ✔️

9. सिद्धों की बानियों की भाषा को क्या कहा जाता हैं ?
(अ) सन्ध्या भाषा ✔️ (ब) खिचङी भाषा
(स) कूट भाषा           (द) रहस्य भाषा

10. सिद्ध साधना में ’डोमिनी’ या ’भैरवी’ का अर्थ हैं ?
(अ) हठयोग की एक मुद्रा
(ब) चर्यापद का विशेष गीत
(स) वामाचार में सहयोगी प्रायः नीच जाति की स्त्री ✔️
(द) तांत्रिक साधना

11. निम्नलिखित में सिद्ध साहित्य की कौनसी विशेषता नहीं हैं ?
(अ) गुरु महिमा✔️     (ब) नारी का निषेध
(स) योग साधना        (द) तन्त्र सिद्धि

12. गोरखनाथ के गुरु कौन थे ?
(अ) चैरंगीनाथ          (ब) आदिनाथ
(स) मत्स्येन्द्रनाथ✔️  (द) चर्पटीनाथ

13. निम्नलिखित में किसका सम्बन्ध नाथपंथ से हैं ?
(अ) अवधूत सम्प्रदाय      (ब) बैराग पंथ
(स) कौलमत               (द) उपर्युक्त सभी✔️


✅ विलोम/विपरीतार्थक शब्द

शब्द - विलोम
एड़ी - चोटी
एकता - अनेकता
एक - अनेक
एकल - बहुल
ऐश्वर्य - अनैश्वर्य
ऐक्य - अनैक्य
एतिहासिक - अनैतिहासिक
एकत्र - विकर्ण 
ऐसा - वैसा
ऐहिक - पारलौकिक
एकाग्र - चंचल
ओजस्वी - निस्तेज
औपचारिक - अनौपचारिक
औचित्य - अनौचित्य
औपन्यासिक - अनौपन्यासिक
कल - आज
कनीय - वरीय
कठिन - सरल
कुकृति - सुकृत्य
कुख्यात - विख्यात
कपूत - सपूत
कुसुम - वज्र
कदाचार - सदाचार
कसूरवार - बेकसूर
क्रिया - प्रतिक्रिया
कड़वा - मीठा
क्रय - विक्रय
कीर्ति - अपकीर्ति
करुण - निष्ठुर
क्रूर - अक्रूर
कर्मण्य - अकर्मण्य
कठोर - कोमल
कनिष्ठ - ज्येष्ठ
कुटिल - सरल
कृपण - दाता
क्रम - व्यक्तिक्रम
कार्य - अकार्य
क्रूर - अक्रूर
कलुष - निष्कलुष
कनिष्ठ - ज्येष्ठ
कृष्ण - शुक्ल
कलंक - निष्कलंक
कर्कश - सुशील
कटु - मधुर
कृतज्ञ - कृतघ्न
क्रुद्ध - शान्त
कर्म - निष्कर्म
कुरूप - सुरूप
कायर - निडर
कृत्रिम - प्रकृत
कोप - कृपा
कृष्ण - शुक्ल
कपटी - निष्कपट
क्रोध - क्षमा
कर्मठ - अकर्ममण्य
खिलना - मुरझाना
खेद - प्रसन्नता
खगोल - भूगोल
खंडन - मंडन
खाद्य - अखाद्य
खरा - खोटा
शब्द - विलोम
खुशी - दुख
ख्यात - कुख्यात
खुला - बन्द
खल - सज्जन
खीझना - रीझना
गोचर - अगोचर
गद्य - पद्य
गम्भीर - वाचाल
गणतन्त्र - राजतन्त्र
गेय - अगेय
गीला - सूखा
गुण - दोष
गुप्त - प्रकट
ग्रस्त - मुक्त
गगन - पृथ्वी
गृहस्थ - संन्यासी
गुण - दोष
गमन - आगमन
ग्राम्य - शिष्ट
गृहीत - त्यक्त
गृही - त्यागी
गर्मी - सर्दी
गहरा - छिछला
गरीब - अमीर
गुरु - शिष्य
ग्राह्य - त्याज्य
गरल - सुधा
गत - आगत
गमन - आगमन
घर - बाहर
घृणा - प्रेम
घात - प्रतिघात
घरेलू - बाहरी
घटना - बढ़ना
घन - तरल


*हिन्दी लिखने वाले अक़्सर 'ई' और 'यी' में, 'ए' और 'ये' में और 'एँ' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं...।*
कहाँ क्या इस्तेमाल होगा, इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए...।
जिन शब्दों के अन्त में 'ई' आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं,
*जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई-बुझाई...।*
इसलिए 'तुमने मुझे पिक्चर दिखाई' में 'दिखाई' ग़लत है... इसकी जगह 'दिखायी' का प्रयोग किया जाना चाहिए...। इसी तरह कई लोग 'नयी' को 'नई' लिखते हैं...। 'नई' ग़लत है , सही शब्द 'नयी' है... मूल शब्द 'नया' है , उससे 'नयी' बनेगा...।
क्या तुमने क्वेश्चन-पेपर से आंसरशीट मिलायी...?
( 'मिलाई' ग़लत है...।)
आज उसने मेरी मम्मी से मिलने की इच्छा जतायी...।
( 'जताई' ग़लत है...।)
उसने बर्थडे-गिफ़्ट के रूप में नयी साड़ी पायी...। ('पाई' ग़लत है...।)

*अब आइए 'ए' और 'ये' के प्रयोग पर...।*
बच्चों ने प्रतियोगिता के दौरान सुन्दर चित्र बनाये...। ( 'बनाए' नहीं...। )
लोगों ने नेताओं के सामने अपने-अपने दुखड़े गाये...। ( 'गाए' नहीं...। )
दीवाली के दिन लखनऊ में लोगों ने अपने-अपने घर सजाये...। ( 'सजाए' नहीं...। )
*तो फिर प्रश्न उठता है कि 'ए' का प्रयोग कहाँ होगा..?*
'ए' वहाँ आएगा जहाँ अनुरोध या रिक्वेस्ट की बात होगी...।
अब आप काम देखिए, मैं चलता हूँ...। ( 'देखिये' नहीं...। )
आप लोग अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी के विषय में सोचिए...। ( 'सोचिये' नहीं...। )
नवेद! ऐसा विचार मन में न लाइए...। ( 'लाइये' ग़लत है...। )

*अब आख़िर (अन्त) में 'यें' और 'एँ' की बात...*
यहाँ भी अनुरोध का नियम ही लागू होगा... रिक्वेस्ट की जाएगी तो 'एँ' लगेगा , 'यें' नहीं...।
आप लोग कृपया यहाँ आएँ...। ( 'आयें' नहीं...। )
जी बताएँ , मैं आपके लिए क्या करूँ ? ( 'बतायें' नहीं...। )
मम्मी , आप डैडी को समझाएँ...। ( 'समझायें' नहीं...। )

*अन्त में सही-ग़लत का एक लिटमस टेस्ट...*
एकदम आसान सा... जहाँ आपने 'एँ' या 'ए' लगाया है , वहाँ 'या' लगाकर देखें...। क्या कोई शब्द बनता है ? यदि नहीं , तो आप ग़लत लिख रहे हैं...।
आजकल लोग 'शुभकामनायें' लिखते हैं... इसे 'शुभकामनाया' कर दीजिए...। 'शुभकामनाया' तो कुछ होता नहीं , इसलिए 'शुभकामनायें' भी नहीं होगा...।
'दुआयें' भी इसलिए ग़लत है और 'सदायें' भी... 'देखिये' , 'बोलिये' , 'सोचिये' इसीलिए ग़लत हैं क्योंकि 'देखिया' , 'बोलिया' , 'सोचिया' कुछ नहीं होते...।

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हिंदी पर्यायवाची शब्द ( भाग - 5 )

दीपक : दीप, दीया, प्रदीप ।

दुर्गा : चण्डी, चामुण्डा, कल्याणी, कालिका, भवानी।

दूध : दुग्ध, पय, क्षीर, गौरस, स्तन्य।

देवता : देव, अजर, अमर, सुर, विबुध।

देह : काया, तन, शरीर, वपु, गात।.

द्रव्य : धन, अर्थ, वित्त, सम्पदा, दौलत, वस्तु, पदार्थ।

धन : द्रव्य, वित्त, अर्थ, सम्पत्ति, पूंजी, राशि, मुद्रा ।

धनुष : चाप, कमान, कोदण्ड, सरासन, पिनाक, सारंग।

नदी : सरिता, तटिनी, तरंगिनी, आपगा, शैलजा, निर्झरिणी।

नाव : नौका, तरणी, वनवाहन, जलयान, पोत, नैया, तरी।


हिंदी व्याकरण - वाक्यांश के लिए एक शब्द 06

जंगल मेँ फैलने वाली आग— दावानल

दो बार जन्म लेने वाला (ब्राह्मण, पक्षी, दाँत)— द्विज

बुरे भाव से की गई संधि— दुरभिसंधि

वह कार्य जिसको करना कठिन हो— दुष्कर

जो शीघ्रता से चलता हो— द्रुतगामी

जिसे कठिनता से साधा/सिद्ध किया जा सके— दुस्साध्य

जो कठिनाई से समझ मेँ आता है— दुर्बोध

जिसका दमन करना कठिन हो— दुर्दमनीय

आगे की बात सोचने वाला व्यक्ति— दूरदर्शी

देह से सम्बन्धित— दैहिक

प्रतिदिन होने वाला— दैनिक

धन की इच्छा रखने वाला— धनेच्छु

अपने स्थान पर अटल रहने वाला— ध्रुव

जिसका जन्म अभी–अभी हुआ हो— नवजात

जिसका उदय हाल ही मेँ हुआ है— नवोदित

जो आकाश मेँ विचरण करता है— नभचर

ईश्वर मेँ विश्वास न रखने वाला— नास्तिक

जो नष्ट होने वाला हो— नाशवान/नश्वर

नरक के योग्य— नारकीय

किसी से भी न डरने वाला— निडर/निर्भीक

जो कपट से रहित है— निष्कपट

जो पढ़ना–लिखना न जानता हो— निरक्षर

जिसका कोई अर्थ न हो— निरर्थक

रात मेँ विचरण करने वाला— निशाचर

जिसका आकार न हो— निराकार

केवल शाक, फल एवं फूल खाने वाला या जो मांस न खाता हो— निरामिष

जिसमेँ कोई अड़चन न हो— निष्कंटक

जिसका अपना कोई शुल्क न हो— निःशुल्क

जिसके संतान न हो— निःसंतान

जिसकी किसी से उपमा/तुलना न दी जा सके— निरुपम

जो लज्जा से रहित हो— निर्लज्ज

रंगमंच पर पर्दे के पीछे का स्थान— नेपथ्य

आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत करने वाला— नैष्ठिक

जो नीति के अनुकूल हो— नैतिक


हिंदी व्याकरण - अव्यय

⇒ अव्यय  – जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।



अव्यय के उदाहरण –

जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।

अव्यय के भेद –

क्रिया-विशेषण अव्यय

संबंधबोधक अव्यय

समुच्चयबोधक अव्यय

विस्मयादिबोधक अव्यय

निपात अव्यय


हिंदी व्याकरण - अव्यय

1. क्रिया विशेषण अव्यय

जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण

वह यहाँ से चला गया।

घोडा तेज दौड़ता है।

अब पढना बंद करो।

बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।

वे लोग रात को पहुँचे।

सुधा प्रतिदिन पढती है।

वह यहाँ आता है।

रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।

सुमन सुंदर लिखती है।

मैं बहुत थक गया हूं।

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