Bhagavad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता)


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दुनीया भले ही कमजोर
करने पर तुली हो...

मगर आप मजबूत
रहेना....


अपने कर्म को हमेशा श्रेष्ठ रखिए,
श्रेय मिले या ना मिले...
😊❤️


मन का अंधेरा हो या कोहरे का,रुकने से नहीं आगे बढ़ने से ही रास्ता दिखेगा...
😊❤️


अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे.


एक बार श्रीकृष्ण एक भक्त के घर स्वयं पधारे।भक्त से कृष्ण ने पूछा ये घर किसका है? भक्त :" प्रभू आपका"
श्रीकृष्ण : "ये गाड़ी किसकी है?" भक्त : "आपकी" फिर श्रीकृष्ण ने हर एक वस्तु के बारे में पूछा। भक्त का एक ही उतर मिलता 'आपकी'। यहाँ तक घर के सभी सदस्य के लिए भी पूछा भक्त का फिर वही जबाब 'आपके'। पूछा तेरा शरीर किसका? भक्त : "आपका"
फिर घर के पूजा स्थान पर जाकर श्रीकृष्ण जी अपनी तस्वीर की ओर इशारा करते हुये पूछते हैं ये किसकी है? अब भक्त की भक्ति की पराकाष्ठा देखिये ....भक्त आँखों में आँसू लिए बोला सिर्फ ये ही मेरे हैं बाकि सब आपका भगवान्।
तन भी तेरा, मन भी तेरा, तेरा पिंड और प्राण। प्रभु सब कुछ तेरा है...बस एक तू ही मेरा है।

राधे-राधे जय श्रीकृष्ण


सफल होते ही दुनियां आपके भीतर अनेक खूबियां ढूंढ लेती है..!! और असफल होते ही हजार कमियां..!!


मृत्यु

जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।

पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?
बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।

इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।

इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो
इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है

हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।
कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आयो पास।
जगत में कैसा नाता रे।

@Sudhir_Mishra0506


दुःख आपका सर्वश्रेष्ठ मित्र है......
क्योंकि वह आपसे ईश्वर की खोज करवाता है....


संघर्ष और सफलता

पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!!

एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?'

पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!'

लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'

पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 सेकेण्ड के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'

महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 सेकेण्ड में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी..!!

उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी...!!

वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।' पिकासो ने हँसते हुए कहा,'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।'

वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 सेकेण्ड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 सेकेण्ड में न सही, 10 मिनट में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'

पिकासो ने हँसते हुए कहा, 'यह पेंटिंग, जो मैंने 10 सेकेण्ड में बनायी है...इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं..!! तुम भी दो, सीख जाओगी..!!

वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी...!!

दोस्तो, जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं, तो हमें यह सब बड़ा आसान लगता है...!!

हम कहते हैं, यार, यह इंसान तो बड़ी जल्दी और बड़ी आसानी से सफल हो गया....!!!

लेकिन मेरे दोस्त, उस एक सफलता के पीछे कितने वर्षों की मेहनत छिपी है, यह कोई नहीं देख पाता....!!!

सफलता तो बड़ी आसानी से मिल जाती है, शर्त यह है कि सफलता की तैयारी में अपना जीवन कुर्बान करना होता है...!!

जो खुद को तपा कर, संघर्ष कर अनुभव हासिल करता है, वह कामयाब हो जाता है लेकिन दूसरों को लगता है कि वह कितनी आसानी से सफल हो गया...!!

मेरे दोस्त, परीक्षा तो केवल 3 घंटे की होती है, लेकिन उन 3 घण्टों के लिए पूरे साल तैयारी करनी पड़ती है तो फिर आप रातों-रात सफल होने का सपना कैसे देख सकते हो...!!?

सफलता अनुभव और संघर्ष मांगती है और, अगर आप देने को तैयार हैं, तो आपको आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता....!!!
चलता रह पथ पर, चलने में माहिर बन जा...!! या तो मंजिल मिल जाएगी, या अच्छा मुसाफ़िर बन जाएगा....!!!

@Sudhir_Mishra0506


व्यक्ति के दुखों की अनेक श्रृंखलाओं में एक बड़ा कारण बनता है, लोग मेरे बारे में क्या सोच रहे हैं? हो सकता है कुछ व्यक्ति किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कुछ सोच रखते हो। लेकिन किसी की धारणा से किसी का जीवन नहीं चलता है। कितनी अजीब बात है, व्यक्ति का बहुमूल्य तन, मन, धन सिर्फ इसी बात के लिए खर्च हो जाता है कि लोग उसके बारे में कुछ विशेषता लिए हुए सोच बनाए रखें। व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को विशेष आयाम दे तो बिना कुछ कहे ही व्यक्ति का सम्मान बढ़ता हुआ चला जाएगा।


तुम्हें याद कर लूं तो मिल जाती है, हर तकलीफ से निजात श्रीराम....!!

लोग युं ही हल्ला करते है, दवाई महंगी है.....!!


बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।

सिताराम_राधेकृष्ण_हर_हर_महादेव


प्रेम का कोई रुप नहीं ये तो बस .... ... मुस्कराते हुए चेहरे में दिख जाता है करुणामय हृदय में बह जाता है उम्मीद भरी आँखों में उग जाता है कभी आँसू बन के भी निकलता है दो अंजानों में भी पनप जाता है न जाने कब ये दिलों में समा जाता है रुप बदल बदल के ये मिलता है रुपरेखा नहीं इसकी , अनंत में विचरता है , असंभव इसकी व्याख्या है ,,,,,, नहीं पता,,,,......,,,,, मैं कौन हूँ ,,,, कहाँ हूँ ? जहाँ प्रेम है ........मैं वहीं हूँ ।🌷


श्रीमद भगवद गीता

पहला अध्याय श्लोक 45-46

अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्।
यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः॥45॥
यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् ॥46॥

भावार्थ :
ओह! कितने आश्चर्य की बात है कि हम मानसिक रूप से इस महा पापजन्य कर्म करने के लिए उद्यत हैं। राजसुख भोगने की इच्छा के प्रयोजन से हम अपने वंशजों का वध करना चाहते हैं। यदि धृतराष्ट्र के शस्त्र युक्त पुत्र मुझ निहत्थे को रणभूमि में प्रतिरोध किए बिना भी मार देते हैं तब यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा।

व्याख्या
अर्जुन ने सन्निकट युद्ध के अनेक दुष्परिणामों का उल्लेख तो किया किन्तु वह यह नहीं देख पा रहा था कि यदि दुर्योधन जैसे दुष्ट लोगों को समाज में पनपने का अवसर प्राप्त हो जाएगा और जिसके परिणामस्वरूप वास्तव में पापचार और अधिक प्रबल हो जाएंगे। वह अपना आश्चर्य प्रकट करने के लिए 'अहो' शब्द का प्रयोग करता है। बत शब्द का अर्थ 'भयंकर परिणाम' है। अर्जुन कह रहा है-"यह कितना आश्चर्यजनक है कि हमने युद्ध करने का निर्णय लेकर पाप कार्य किया है जबकि हम इसके दुष्परिणामों को भली भाँति जानते हैं।"

जैसा कि प्रायः यह होता है कि लोग अपनी स्वयं की भूल को देखने में असमर्थ होते हैं और उसके लिए स्वयं की अपेक्षा परिस्थितियों और अन्य लोगों को उत्तरदायी ठहराते हैं। इसी प्रकार से अर्जुन ने यह अनुभव किया कि धृतराष्ट्र के पुत्र लोभ से प्रेरित थे किन्तु वह इस ओर ध्यान नहीं दे सका कि उसके संवेदना से भरे उद्गार लोकातीत मनोभाव नहीं है अपितु स्वयं को देह मानने की अज्ञानता और सांसारिक आसक्ति पर आधारित हैं। अर्जुन के सभी तर्क-वितर्कों की उलझन यह थी कि वह अपने शारीरिक मोह, हृदय की दुर्बलता और कर्तव्य पालन की विमुखता के कारण उत्पन्न हुए अपने मोह को न्यायोचित ठहराने के लिए इनका प्रयोग कर रहा था। अब आगे आने वाले अध्यायों में भगवान श्रीकृष्ण यह स्पष्ट करेंगे कि अर्जुन के तर्क अनुचित क्यों थे।

@bhagwat_geetakrishn

@Sudhir_Mishra0506


Choose a job you love, and you will never have to work a day in your life.

उस काम का चयन कीजिये जिसे आप पसंद करते हों, फिर आप पूरी ज़िन्दगी एक दिन भी काम नहीं करंगे.


कान्हा…? तेरे दीवानो की एक, अलग ही हस्ती होती है.. एक आँख में आँसू, दूजे में मस्ती होती है.. ?!! जय श्री कृष्णा !!?

जय श्री कृष्णा


बृजरज उड़के मेरे शीश लगे,गुणगान किशोरी के गाया करूँ यमुना जलपान करूँ नित ही,उर ध्यान बिहारी का लाया करूँ कहे माधव रूप निहारूँ अली बनि, प्रेम प्रसादहि पाया करूँ यही आस मेरी बृज बास सदा,बृज बासी ही बनके आया करूँ....
जय श्री राधेकृष्ण


अच्छा या बुरा होना सापेक्षिक है l
लोग अपने नजरिए से दूसरों का मूल्यांकन करते हैं l
लोगों की मान्यताओं की बहुत अधिक परवाह करने वाले लोग अधिकतर अपने आप को अच्छा बताने के लिए अनेक आडंबर करते हैं l
पर जो स्वयं को जानते हैं उन्हें किसी दिखावे की जरूरत नहीं होती है , वे जैसे हैं, वैसे ही दिखाई पड़ते हैं !!

811 0 11 2 15

जय जय श्री कृष्ण

देवताओं!आप लोगों को संभवत यह बात नहीं मालूम है कि मरते समय प्राणियोंको बड़ा कष्ट होता है। उन्हें जबतक चेत रहता है, बड़ी असह्य पीड़ा सहनी पड़ती है और अंतमें वे मूर्छित हो जाते हैं। जो जीव जगतमें जीवित रहना चाहते हैं, उनके लिए शरीर बहुत ही अनमोल, प्रियतम एवं अभीष्ट वस्तु है। ऐसी स्थिति में स्वयं विष्णुभगवान भी यदि जीवसे उसका शरीर मांगे तो कौन उसे देने का साहस करेगा।
( श्रीमद्भागवत महापुराण)

बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल केशव माधव गोविंद बोल।


जय जय श्रीकृष्ण

वाणीके लिये मौन, शरीरके लिये निश्चेष्ट स्थिति और मनके लिये प्राणायाम दंड है। जिसके पास यह तीनों दंड नहीं है, वह केवल शरीर पर बांसके दण्ड धारण करनेसे दण्डी स्वामी नहीं हो जाता।
( श्रीमद्भागवत महापुराण)

बोल हरि बोल हरि हरि बोल केशव माधव गोविंद बोल।

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