ये असंगति ज़िंदगी के द्वार- भारत भूषण जी| Ye asangati jindgi ke..Bharat Bhushan ji| Ramkrishna Joshi
ये असंगति ज़िंदगी के द्वार- भारत भूषण | Ye asangti jindgi ke..Bharat Bhushan | Ramkrishna Joshi
ये असंगति ज़िंदगी के द्वार सौ-सौ बार रोई
बाँह में है और कोई चाह में है और कोई
साँप के आलिंगनों में
मौन चंदन तन पड़े हैं
सेज के सपनों भरे कुछ
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
ये विषमता भावना ने सिसकिया...