Фильтр публикаций


विधानसभा चुनावों की अधिसूचना किसके द्वारा ज़ारी की जाती है?
Опрос
  •   राज्य निर्वाचन आयोग
  •   केंद्रीय निर्वाचन आयोग
  •   राष्ट्रपति
  •   राज्यपाल
332 голосов




क्या उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करने के लिए बाध्य है ?
Опрос
  •   हां
  •   नही
489 голосов


असंगत युग्म (समानता का अधिकार – सम्बन्धित अनुच्छेद) की पहचान कीजिए –
Опрос
  •   अनुच्छेद 14 – विधि का शासन
  •   अनुच्छेद 15 – लोक नियोजन में अवसर की समानता
  •   अनुच्छेद 17 – अस्पर्शयता का अंत
  •   अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
352 голосов


निम्नलिखित में से कौनसे मौलिक अधिकार में अपवाद स्वीकार नहीं है?
Опрос
  •   अनुच्छेद 14
  •   अनुच्छेद 15
  •   अनुच्छेद 16
  •   अनुच्छेद 17
415 голосов


विज्ञान प्रौद्योगिकी


परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में हुई थी


परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना 1954 में हुई थी इसका ध्येय वाक्य ' राष्ट्र की सेवा में समर्पण'

इसरो - भारतीय रक्षा अनुसंधान का विकास संगठन की स्थापना 1969 में की गई थी इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है इसका मुख्यालय बेंगलुरु में छोड़ा गया था


रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन की स्थापना 1958 में हुई थी इसका ध्येय वाक्य ' बलस्य मूल विज्ञान '


राज्यों की पुनर्गठन से संबंधित महत्वपूर्ण आयोग

धर आयोग - 17 जून 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष के तौर पर राजेंद्र प्रसाद ने भाषायी प्रांतो के लिए धर आयोग का गठन किया था जिसमें अध्यक्ष एस के धर, जगत नारायण लाल तथा पन्ना लाल थे, इस आयोग ने भाषाई आधार पर पुनर्गठन की मांग को अस्वीकार कर दिया


जे वी समिति - इस समिति में जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल तथा पट्टाभि सीतारमैया थे इस समिति ने भी भाषा के आधार पर प्रांतों के पुनर्गठन की मांग को अस्वीकार कर दिया

राज्य पुनर्गठन आयोग- आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था तथा आंध्र प्रदेश के गठन होने के बाद देश के अन्य राज्यों में भी भाषा के आधार पर प्रांतो के गठन की मांग जोर पकड़ने लगी तो इसके लिए 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया जिसमें हर्दयनाथ कुंजरु तथा एम पन्निकर अन्य सदस्य थे


मालाबार/ मोपला विद्रोह -‌

भारत में इस्लाम धर्म का आगमन पश्चिमी तट के व्यापारिक उद्देश्य से आए हुए वंशजों से हुआ था और इन लोगों ने यहां पर तीया व नायर महिलाओं से विवाह किया , चेरूमा जाति के द्वारा धर्मांतरण किए जाने पर उनकी संख्या और वृद्धि हो गई

इस क्षेत्र में नंबूदरी और ब्राहण जातियों का प्रभुत्व था हालांकि हैदर अली और टीपू सुल्तान ने उनको यहां से के दिया था लेकिन अंग्रेजो के आगमन के पश्चात इनको वापस यहां पर जब बसना शुरू किया तब यहां पर जमींदार और मोपलाओ के दो गुट बन गए

अलि मुसलियार जो इनका नेता था इनको गिरफ्तार करने कै बाद आंदोलन भड़क उठा


भारत का पहला मजदूर संगठन मुंबई हैण्ड मिल एसोसिएशन था जिसका गठन 1890 में एन एम लोंखडे के द्वारा किया गया था


शशि पाद बनर्जी के द्वारा श्रमजीवी नामक पत्रिका निकल गया

मद्रास मजदूर संगठन का गठन 1918 में हुआ था यह भारत का पहला व्यवस्थित मजदूर संगठन माना जाता है इसके अध्यक्ष बी पी वाडिया थै

एटक - इसकी स्थापना 1920 में हुई थी जिसके प्रथम अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे इस अधिवेशन में बोलते हुए लाला लाजपत राय ने कहा था कि सैन्यवाद तथा साम्राज्यवाद पूंजीवाद की संतान है

अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन- इस संगठन की स्थापना के बारे में अलग-अलग मत हैं विपिन चंद्र के अनुसार संगठन की स्थापना 1918 में हुई थी बाकी अन्य स्रोतों के अनुसार इसकी स्थापना 1920 में हुई थी अनुसुईया साराभाई को इसका अध्यक्ष बनाया गया था


सल्तनत काल सैन्य व्यवस्था

हश्म ए कल्ब - यह केंद्रीय सेना थी जो सुल्तान के प्रत्यक्ष नियंत्रण में होती थी

हश्म ए अतरफ - यह प्रांतीय सेना होती थी

सल्तनत काल में सेना का स्वरूप


सरखेल
सिपहसालार
अमीर
मलिक
खान

सरखेल 10 सैनिकों की टुकड़ी तथा खान सेना की सबसे बड़ी इकाई थी


अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम सेना को मंगोल दशमलव प्रणाली पर तैयार किया था

अलाउद्दीन खिलजी ने घोड़े को दागने तथा सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा शुरू की

गयासुद्दीन तुगलक ने वसीलात ए रजिस्टर का संधारण करना स्वयं शुरू किया

फिरोजशाह तुगलक ने सैन्य अभियान व्यवस्था को वंशानुगत बना दिया तथा सेना को नगद वेतन देने के स्थान पर अक्ता के रूप में वेतन/ वजह प्रदान करने की प्रथा शुरू की

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इक्ता व्यवस्था

भारत में इसे व्यवस्थित रूप से लागू करने का श्रेय इल्तुतमिश को दिया जाता है

बलबन ने इक्तादार के क्रियाकलापों पर नियंत्रण रखने के लिए ख्वाजा नामक पद का सृजन किया

अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता व्यवस्था को समाप्त कर सैनिकों को नगद वेतन देना शुरू किया

गयासुद्दीन तुगलक पहला शासक था जिसने इक्ता के राजस्व में से मुक्ता की व्यक्तिगत आए और उसके अधीन रखे गए सैनिकों के वेतन को स्पष्ट रूप से विभाजित किया

मोहम्मद बिन तुगलक ने वली और अमीर के पदों को अलग किया तथा इसने इक्ता में वली उल खराज नमक नए पद का सृजन किया


गांधार -

पाकिस्तान की वर्तमान पेशावर रावलपिंडी क्षेत्र में यह अवस्थित था

पुष्कलावती तथा तक्षशिला यहां की प्रमुख नगर थे जिनके मध्य सिंधु नदी बहती थी तक्षशिला सिंधु और झेलम नदियों के संगम पर स्थित था जिसकी खुदाई कन्निंघम के द्वारा की गई थी और यही गंधार महाजनपद की राजधानी थी

पुष्कलावती यहां का महत्वपूर्ण व्यापारिक नगर था जिसे पुष्कल के द्वारा बसाया गया था इसे चारसदा भी कहा जाता है

पुकुसाति गंधार महाजनपद का महत्वपूर्ण राजा हुआ था जो महात्मा बुद्ध के दर्शन हेतु पैदल चलकर आया था तथा इसने अवंती के शासक चण्डप्रधौत को पराजित किया था

बेहिस्तुन लेख के अनुसार ईरान के शासन दारा प्रथम ने गंधार का विलय हखामनी साम्राज्य में कर लिया


अंग महाजनपद - यह सबसे पूर्व में महाजनपद था जिसकी राजधानी चंपा थी
अंग तथा मगध के मध्य संघर्ष चला था आरंभ में अंग शासन ब्रह्मदतवत ने मगध शासक भट्टिय को पराजित किया लेकिन बाद में बिंबिसार ने अंग का मगध में विलय कर लिया

अंग के शासक दधिवाहन की पुत्री चंदना महावीर स्वामी की पहली भिक्षुणी या शिष्या थी वहीं जामाली महावीर स्वामी का पहला शिष्य था

पुराणों में चंपा को मालिनी नगर कहा गया है


जेतवन विहार कौशल महाजनपद में था इसे सहेत भी कहते हैं

यहां अनाथपिंडक ने राजकुमार जेत से जेतवन खरीदकर महात्मा बुद्ध को प्रदान किया

कौशल महाजनपद में ही श्रावस्ती को महेत कहा जाता है

साकेत शब्द अयोध्या के लिए प्रयुक्त हुआ है यह भी कौशल महाजनपद में ही था

कौशल के शासक प्रसेनजीत ने अपनी बहन कोशला देवी का विवाह बिंबिसार से किया था तथा दहेज में काशी दिया
बिंबिसार के मरने के बाद प्रसनजीत ने काशी पर दोबारा अधिकार कर लिया लेकिन बाद में प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से कर दिया और काशी वापस मगध को दे दिया

वाराणसी - पुरातन वाराणासी वर्तमान का राजघाट क्षेत्र है राजाओं का निवास स्थान होने के कारण यह क्षेत्र राजघाट कहलाता है


कांग्रेस के तीन विशेष अधिवेशन
1 aug 1918 बंबई सैयद हसन इमाम
2 sep 1920 कोलकता लाला लाजपतराय
3 sep 1923 दिल्ली मौलाना अबुल कलाम आजाद


इटली का एकीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य


कावुर का मानना था कि विदेशी सहयोग के बगैर इटली का एकीकरण नहीं हो सकता इसी क्रम में 1854 में इन्होंने क्रीमीया युद्ध में रूस के खिलाफ इंग्लैंड और फ्रांस के साथ मिलकर तुर्की का साथ दिया था और इसका फायदा यह हुआ कि मार्च 1856 में जो पेरिस सम्मेलन आयोजित किया गया इस सम्मेलन में का और इटली की दुर्दशा का चित्रण यूरोप के समस्त देशों के सम्मुख प्रस्तुत करने में सफल रहा इस अवसर पर फ्रांस के विदेश मंत्री वैलेवस्की ने कहा था कि "तुम इतने चतुर हो कि तुमने ऐसे मामले में भी प्रवेश पा लिया जिससे तुम्हारा कोई प्रयोजन नहीं है" इसी कारण कहा जाता है कि क्रीमिया के कीचड़ से इटली का जन्म हुआ था

1858 में आर्सिनी कांड के पश्चात ऐसा लगा कि फ्रांस का शासक नेपोलियन तृतीय अब इटली का कोई सहयोग नहीं करेगा लेकिन इसी दौरान कावूर और नेपोलियन तृतीय के मध्य प्लोम्बियर्स का समझौता हो जाता है और इस समझौते के तहत सार्डिनिय को लोम्बार्डी और वेनेशिया की प्रदेश मिलने थे वहीं नीस और सेवाय के प्रदेश फ्रांस को देने का आश्वासन दिया गया

इसके पश्चात कावुर ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी जिससे बौखला कर आस्ट्रिया ने आक्रमण की घोषणा क दी...कावूर प्रसन्नता से चिल्ला उठा" पास उलट गया है और हम इतिहास बनाने जा रहे हैं"

तब फ्रांस और सार्डिनीया की सेनो ने मिलकर ऑस्ट्रिया को मांटबेलो, पोलेस्ट्रो मेगेन्टो तथा साल्फेरिनो के युद्ध में पराजित किया लेकिन इसी बीच नेपोलियन तृतीय ने ऑस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस जोसेफ से मिलकर 11 जुलाई 1859 को विलाफ्रेका की विराम संधि कर ली तब लिपसेन महोदय ने कहा "इस देश ने विजय उल्लास का प्याला अपने होठों से लगाया ही था कि वह गिरकर चकनाचूर हो गया "

10 नवंबर 1859 को ज्युरिख की संधि के द्वारा विलाफ्रेका की विराम संधि की पुष्टि कर दी गई...


विजयनगर साम्राज्य और विदेशी यात्री -

निकोलो कोंंटी इटली से और निकतिन रूस से देवराय प्रथम के समय आये

अब्दुल रज्जाक देवराय द्वितिय के समय आया, ये समरकंद का यात्री था

डेमिंगो पायस और बारबोसा कृष्णदेवराय के समय आये ये दोनों पुर्तगाली थे

सीसजर फ्रेडरिक तालिकोटा की लड़ाई के बाद इटली के शहर वेनिस से आया


न्युनिज अच्यूत राय के समय पुर्तगाल से आया

फारगाटन अंपायर नामक पुस्तक राबर्ट सेवेल ने विजयनगर पर लिखी...


आयंगर- विजयनगर काल में ग्रामीण शासकीय इकाई पर शासन के लिए 12 व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता था , जिसे आयंगर कहा जाता था

अमरम -विजयनगर साम्राज्य में नायक को वेतन के एवज के रूप में राज्य एक भू-खंड प्रदान करता था, जिसे अमरम कहा जाता था


सामंत शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मिलता है

अश्वघोष के बुद्धचरित में इस शब्द का प्रयोग जागीरदार के लिए किया गया है

सामंत शब्द का सर्वप्रथम अभिलेखिय साक्ष्य वैन्यगुप्त के गुणैधर अभिलेख में मिलता है


सामंतवाद का प्रस्फुटन शक कुषाण काल में देखने को मिलता है राजपूत कल तक आते-आते यह समाज में पूर्णतया प्रतिष्ठित हो गया था

शक कुषाण काल में प्रचलित ' षाहानुषाहि तथा षाहि' का उल्लेख मिलता है यहां से सामंतवाद की शुरुआत मानी जाती है


सामंत शब्द का प्रथम उल्लेख अर्थ शास्त्र में मिलता है।
सामंत वाद का उदय शक कुषाण काल में माना जाता है।
भारत में सामंतवाद के विकास का कारण
1 बाह्य आक्रमण
2 प्राचीन भारतीय धर्म विजय की अवधारणा
3 व्यापार वाणिज्य के पतन के कारण अर्थव्यवस्था का भूमि और कृषि पर निर्भर होना
4 शासकों द्वारा प्रदत भूमि व ग्राम अनुदान
हर्ष चरित ने 6 प्रकार के सामंतो का उल्लेख है
सामंती व्यवस्था की जानकारी देने वाले ग्रंथ मानोल्लस,प्रबंध चिंतामणि, मानसार और अपराजित परिपृच्छा है। (Set 2023)

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