राहुल आर्य जी का प्रश्न...
ॐ नमस्ते वैद्य जी,
मैं ये पूछना चाहता हु की क्या दवाओं के सेवन से जैसे (अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावर, कुंज बीज) वीर्य गाढ़ा होता है या जब तक दवा लेता हु, तब तक तो सही रहता है। लेकिन छोड़ने के बाद क्या फिर से वीर्य पहले जैसा हो जाता है।
कृपया बताए 🙏🙏
समाधान:
लक्षणों के उपचार का लाभ सेवन पर्यन्त ही रहता है (कुछ माह अधिक तक) बेटा, पूर्ण लाभ हेतु मूल रोग का उपचार(यौन उत्तेजना नियंत्रण, संभोग कला का ज्ञान, उत्तम औषधियों का पथ्य/अपथ्य के साथ सेवन और दिनचर्या पालन) आवश्यक है।
इस जिज्ञासा के संदर्भ में कुछ विचार साझा करते हैं। बहुतायत रोगों की उपचार पद्धति को 3 प्रकार से वर्गीकृत किए जा सकते हैं।
👉 आसुरी: शल्य चिकित्सा, त्वरित लाभ/ हानि , सामान्यतः रोग समूल नष्ट होना संभव नहीं होता है।
👉 मानवी: काष्ठ औषधियां, पथ्यापथ्य , सामायिक लाभ / अलाभ, रोग सामान्यतः पूर्ण नष्ट हो जाता है।
👉 दैवीय: भस्म औषधियां, त्वरित सामायिक लाभ/ हानि, रोग समूल नष्ट हो जाता है।
अनुभवी वैद्य/डॉक्टर, औषधियों की शुद्धता और उपलब्धता के साथ रोगी का तन मन धन से समर्पण भाव आवश्यक है। विशेषतः दैवीय चिकित्सा के लिए।
उपरोक्त तीनों की जानकारी संक्षिप्त रूप में है आशा है कि अनुभवी वैद्य @ayurved27 पर समझ जायेंगे।
... ॐ
ॐ नमस्ते वैद्य जी,
मैं ये पूछना चाहता हु की क्या दवाओं के सेवन से जैसे (अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावर, कुंज बीज) वीर्य गाढ़ा होता है या जब तक दवा लेता हु, तब तक तो सही रहता है। लेकिन छोड़ने के बाद क्या फिर से वीर्य पहले जैसा हो जाता है।
कृपया बताए 🙏🙏
समाधान:
लक्षणों के उपचार का लाभ सेवन पर्यन्त ही रहता है (कुछ माह अधिक तक) बेटा, पूर्ण लाभ हेतु मूल रोग का उपचार(यौन उत्तेजना नियंत्रण, संभोग कला का ज्ञान, उत्तम औषधियों का पथ्य/अपथ्य के साथ सेवन और दिनचर्या पालन) आवश्यक है।
इस जिज्ञासा के संदर्भ में कुछ विचार साझा करते हैं। बहुतायत रोगों की उपचार पद्धति को 3 प्रकार से वर्गीकृत किए जा सकते हैं।
👉 आसुरी: शल्य चिकित्सा, त्वरित लाभ/ हानि , सामान्यतः रोग समूल नष्ट होना संभव नहीं होता है।
👉 मानवी: काष्ठ औषधियां, पथ्यापथ्य , सामायिक लाभ / अलाभ, रोग सामान्यतः पूर्ण नष्ट हो जाता है।
👉 दैवीय: भस्म औषधियां, त्वरित सामायिक लाभ/ हानि, रोग समूल नष्ट हो जाता है।
अनुभवी वैद्य/डॉक्टर, औषधियों की शुद्धता और उपलब्धता के साथ रोगी का तन मन धन से समर्पण भाव आवश्यक है। विशेषतः दैवीय चिकित्सा के लिए।
उपरोक्त तीनों की जानकारी संक्षिप्त रूप में है आशा है कि अनुभवी वैद्य @ayurved27 पर समझ जायेंगे।
... ॐ