ख्वाहिशों का कत्ल भी दिल के ही टुकड़ों से हुआ होगा,
जब साँस सा जरूरी महबूब जुदा हुआ होगा,
जरा पूछो! उस टूटे हुए दिल से
साँसे रुकी होंगी, या उसका वक्त ठहरा होगा
होठों पर कोई नाम जब आ के रुका होगा
दूर कहीं जब उस नाम सा कोई नाम गूंजा होगा
आंखों में कोई मंजर गहरा हुआ होगा,
सड़क के उस पार जो कोई इश्क़ में गुम हुआ गुजरा होगा
बहे होंगे नगमें इश्क के हवाओं में
जब पांवों को लहरों ने छुआ होगा,
किसी शाम जब यादें यकायक टकराई होंगी
तो कोई चांद भी भीड़ में कहीं बिखरा होगा
कहां बची होगी कोई जमीं नीचे पांवों के
जब साँस सा जरूरी महबूब जुदा हुआ होगा।
❤️
@kataizaharila