भारतीय रिजर्व बैंक ने 2020-21 की दूसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का वक्तव्य किया जारी: LAF और MSF दर रहेगी अपरिवर्तितभारतीय रिज़र्व बैंक की वित्त वर्ष 2020-21 की मौद्रिक नीति समिति की दूसरी बैठक 4, 5 और 6 अगस्त को की गई । दूसरी मौद्रिक नीति की बैठक के दौरान, एमपीसी ने वर्तमान और विकसित व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थितियों का विश्लेषण किया और विकास को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ COVID-19 के प्रभाव को कम करने के लिए समायोजन रुख के साथ जारी रखने का निर्णय लिया है। अपने निर्णयों के साथ, एमपीसी का लक्ष्य मुद्रास्फीति को लक्ष्य के भीतर रखना है और इस प्रकार वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है।
इसके अलावा, वित्त वर्ष 2020-21 में पूरी वास्तविक जीडीपी विकास द्वारा नेगेटिव रहने की उम्मीद जताई गई है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय हैं:
चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 4.00% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
LAF के तहत रिवर्स रेपो दर को 3.35% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर और बैंक दर को 4.25% पर अपरिवर्तित रखा गया है।
क्या होती है मौद्रिक नीति?
मौद्रिक नीति रिज़र्व बैंक की नीति है जो अधिनियम में वर्णित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, लिक्विडिटी समायोजन सुविधा जैसे और कई अन्य मौद्रिक साधनों का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य?
देश में मौद्रिक नीति का मुख्य लक्ष्य विकास के साथ-साथ मूल्य स्थिरता को बनाए रखना है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मूल्य स्थिरता को एक आवश्यक पूर्व शर्त के रूप में देखा जाता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक को मई 2016 में किए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 संशोधन के अनुसार भारत सरकार के साथ-साथ लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का कार्य भी दिया गया हैं। यह प्रत्येक पाँच में एक बार किया जाता है। भारत सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 5 अगस्त, 2016 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के लिए लक्ष्य के रूप में 4 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को अधिसूचित किया है। लक्ष्य को ऊपरी सहन सीमा 6 प्रतिशत और निचली सहन सीमा 2 प्रतिशत तय की गई है।
मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम स्पष्ट रूप से रिज़र्व बैंक के लिए देश के मौद्रिक नीति ढांचे को परिचालित करने के लिए विधायी अधिदेश का प्रावधान करता है। इस ढांचे का लक्ष्य वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति और मुद्रा बाजार दरों को रेपो दर के आसपास संचालित करने के लिए चलनिधि स्थिति के उतार-चढ़ाव के आकलन के आधार पर नीति (रेपो) दर निर्धारित करना है।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना?
केंद्र सरकार ने सितंबर 2016 में संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत, छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन किया है।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना इस प्रकार की गई है:
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर - अध्यक्ष, शक्तिकांत दास
भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति के प्रभारी – सदस्य, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा
भारतीय रिजर्व बैंक के एक ओर अधिकारी को केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाना है - सदस्य, पदेन सदस्य: डॉ. मृदुल सागर.
चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) - सदस्य
प्रोफेसर पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स - सदस्य
डॉ. रवींद्र ढोलकिया, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद - सदस्य
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