मौद्रिक नीति की कुछ महत्वपूर्ण लिखत :
RBI की मौद्रिक नीति में मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखतों का उपयोग किया जाता है। मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत इस प्रकार हैं:
रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को सरकार के संपार्श्विक के विरुद्ध और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के विरुद्ध ओवरनाईट चलनिधि प्रदान करता है।
रिवर्स रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों से पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध, ओवरनाइट आधार पर, चलनिधि को अवशोषित करता है।
चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility): एलएएफ में ओवरनाईट और साथ ही आवधि रेपो नीलामियां शामिल हैं। आवधि रेपो का उद्देश्य अंतर-बैंक आवधि मुद्रा बाजार को विकसित करने में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा की कीमत के लिए बाजार आधारित बैंचमार्क निर्धारित कर सकते हैं,और इस कारण से मौद्रिक नीति के प्रसारण में सुधार किया जा सकता हैं। रिज़र्व बैंक बाजार स्थितियों के तहत आवश्यक होने पर, भी परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामियों का संचालन करता है।
सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility): एक सुविधा जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाईट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व प्रदान करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति वक्तव्य का स्थिर रुख:
विकास की गति धीमी होने पर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समग्र मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा समायोजनात्मक रुख अपनाया जाता है।
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RBI की मौद्रिक नीति में मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखतों का उपयोग किया जाता है। मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत इस प्रकार हैं:
रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को सरकार के संपार्श्विक के विरुद्ध और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के विरुद्ध ओवरनाईट चलनिधि प्रदान करता है।
रिवर्स रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों से पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध, ओवरनाइट आधार पर, चलनिधि को अवशोषित करता है।
चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility): एलएएफ में ओवरनाईट और साथ ही आवधि रेपो नीलामियां शामिल हैं। आवधि रेपो का उद्देश्य अंतर-बैंक आवधि मुद्रा बाजार को विकसित करने में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा की कीमत के लिए बाजार आधारित बैंचमार्क निर्धारित कर सकते हैं,और इस कारण से मौद्रिक नीति के प्रसारण में सुधार किया जा सकता हैं। रिज़र्व बैंक बाजार स्थितियों के तहत आवश्यक होने पर, भी परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामियों का संचालन करता है।
सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility): एक सुविधा जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाईट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व प्रदान करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति वक्तव्य का स्थिर रुख:
विकास की गति धीमी होने पर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समग्र मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा समायोजनात्मक रुख अपनाया जाता है।
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