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Репост из: Political Science Optional UPSC
""''मुझे इतनी “फुर्सत” कहाँ दोस्तों, कि मैँ अपनी तकदीर का लिखा देखुँ.....

बस अपनी माँ की ” मुस्कुराहट” देख कर समझ जाता हुँ, कि “मेरी तकदीर” पूरी कायनात में बुलँद है....!"""

महिला दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं।।

@Ankushjadhavsir 📚🎯📚😊


इराण-अमेरिका युद्ध झाल्यास भारतालाही बसणार जबर फटका :::::
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अमेरिका आणि इराणमध्ये युद्ध झाल्यास भारतालाही त्याचा फटका बसू शकतो. इराणचे टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी यांच्या मृत्यूवरुन दोन्ही देशांमध्ये तणाव निर्माण झाला आहे.

शुक्रवारी बगदाद विमानतळाजवळ अमेरिकेने केलेल्या ड्रोन हल्ल्यात कासिम सुलेमानी यांचा मृत्यू झाला.

भारतावर काय परिणाम होणार?अमेरिका आणि इराणमध्ये युद्ध झाल्यास फक्त ऊर्जा पुरवठयावरच परिणाम होणार नाही तर, आखातामध्ये राहणाऱ्या भारतीयांनाही त्याचा फटका बसेल.

सुलेमानी यांच्या मृत्यूनंतर तेलाच्या किंमती आधीच चार टक्क्यांनी वाढल्या आहेत. युद्ध भडकल्यास पश्चिम आशियामध्ये वास्तव्याला असलेल्या ८० लाख भारतीयांच्या भवितव्यावर त्याचा परिणाम होईल.

एकटया सौदी अरेबियामध्ये तीस लाख भारतीय राहतात. यापूर्वी या भागात झालेल्या युद्धाचा तिथे राहणाऱ्या भारतीयांसह अनेक परदेशी नागरिकांवर परिणाम झाला होता.

भारताची मुख्य चिंता काय...?

भारतासाठी चिंतेची बाब म्हणजे, पश्चिम आशियात राहणारे भारतीय तिथून मोठया प्रमाणावर पैसा पाठवतात.

ही रक्कम अब्जावधीच्या घरात आहे. भारतीय अर्थव्यवस्था सध्या अडचणींचा सामना करत असताना दुसऱ्या देशाच्या युद्धामुळे बसणारा फटकाही परवडणारा नाही.

चाबहार बंदरामुळे भारताला इराणमधून अफगाणिस्तानशी संपर्क साधता येणार आहे.

तसेच येथून पूर्वेला केवळ ८० किलोमीटर अंतरावर पाकिस्तानच्या किनाऱ्यावर चीन विकसित करत असलेल्या ग्वादर या बंदराला शह देता येणे शक्य होणार आहे.
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अमेरिकेच्या हल्ल्यात इराणचे सर्वोच्च लष्करी अधिकारी ठार :::::
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अमेरिकेने शुक्रवारी पहाटे बगदादच्या आंतरराष्ट्रीय विमानतळावर हवाईहल्ला करून इराणचे इराणचे सर्वोच्च लष्करी अधिकारी कासिम सुलेमानी यांना ठार मारले. त्यामुळे आखातात तणाव निर्माण झाला आहे.

चवताळलेल्या इराणने सुलेमानी यांच्या हत्येचा सूड घेण्याचा इशारा दिल्याने आखातात युद्धजन्य तणावाचे वातावरण आहे.

अमेरिकेने धोकादायक पाऊल उचलले असून त्यांना त्याचे परिणाम भोगावे लागतील, असे इराणने ठणकावले आहे.

अमेरिका - इराणमधील संबंध गेले वर्षभर तणावपूर्ण होते. अमेरिकेने इराणवर अनेक निर्बंध लादून त्याची कोंडी केली होती.

या दोन देशांतील तणावात शुक्रवारी पहाटे अमेरिकेने सुलेमानी यांना ठार केल्याने तेल ओतले गेले.

सुलेमानी यांचा ताफा इराकची राजधानी बगदादच्या आंतरराष्ट्रीय विमानतळाकडे जात होता.

त्यावर अमेरिकेने हवाईहल्ला करून इराणच्या रिव्हॉल्युशनरी गार्ड्सचे कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी यांना ठार केले. या हल्ल्यात सुलेमानी यांच्यासह अन्य आठ जण ठार झाले.

अमेरिकेचे अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प यांच्या आदेशावरूनच हा हल्ला करण्यात आल्याचे ‘पेण्टागॉन’ने स्पष्ट केले.

परदेशातील अमेरिकेचे नागरिक आणि कर्मचारी यांच्या सुरक्षेसाठी सुलेमानी यांना ठार करण्याचा आदेश देण्यात आला होता, असे निवेदन ‘पेण्टागॉन’ने जारी केले आहे.
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Репост из: IAS Ankushjadhavsir 📰🗞️
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NCERTs Compilation- Geography, Indian Economy, Indian Polity by Career Launcher. Must Read
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राजकोषीय घाटा :::::
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यह एक ऐसी वित्तीय स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें सरकार का कुल बजट, उस राजकोषीय वर्ष के दौरान लिए गए उधारों को छोड़कर कुल प्राप्तियों से अधिक होता है। इस प्रकार, इसे निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है :::

राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - उधार को छोड़कर कुल प्राप्तियां।

सरकारी प्रतिभूति, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाने वाला विनिमय-योग्य लिखत है। यह सरकार के ऋण दायित्व को प्रदर्शित करता है। सरकारी प्रतिभूतियों में व्यावहारिक रूप से चूक का कोई जोखिम नहीं होता है और इसलिए ये जोखिम-रहित श्रेष्‍ठ लिखतों के रूप में वर्णित किए जाते हैं। ये सरकार के राजकोषीय घाटे का भाग होती हैं।

ऑफ-बैलेंस शीट ऋण वित्तीय उधार लेने की एक विधि है, जहां सार्वजनिक क्षेत्रक, आंतरिक और अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों (IEBR) के अंतर्गत बाजार से धन उधार लेता है और सरकारी व्ययों को वित्तपोषित करता है। इन कंपनियों द्वारा जुटायी गयी आवश्यक राशि देनदारियों के रूप में इनकी बैलेंस शीट पर परिलक्षित होती हैं, न कि केंद्र सरकार के बजट दस्तावेजों पर। इस मामले में, भारतीय खाद्य निगम द्वारा लिया गया ऑफ बैलेंस-शीट उधार, सरकार के राजकोषीय घाटे को प्रभावित नहीं करता है।

अनुदान को ऋण का भाग नहीं माना जाता है क्योंकि उसका पुनः भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार पिछले वित्तीय वर्षों में (सरकार द्वारा) विश्व बैंक से प्राप्त अनुदान के लिए कोई पुनर्भुगतान नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप यह सरकार के राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं होता है।

पुनर्पूंजीकरण बॉण्ड, संकट ग्रस्त सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों (PSBs) के पुनर्पूंजीकरण के लिए सरकार के आदेश पर जारी किए जाने वाले समर्पित बॉन्ड होते हैं। सरकार इक्विटी शेयरों की गारंटी पर सार्वजनिक क्षेत्रक बैंकों के लिए बॉन्ड का मूल्य जारी करती है। इस प्रकार यह नकद रहित लेनदेन (प्रत्यक्ष नकद आधान के स्थान पर) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। बॉन्ड की बिक्री से जुटाया गया धन राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं होता है।
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भारत में फसल अवशेषों का दहन :::
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मुख्य रूप से अगली फसल बोने के लिए खेत को साफ करने हेतु 'खेत में' फसल अवशेषों का एक बड़ा हिस्सा जलाया जाता है। हाल के वर्षों में मानव श्रम की कमी, खेत से फसल अवशेषों को हटाने की उच्च लागत और फसलों की यंत्रीकृत कटाई के कारण खेत में फसल अवशेषों के दहन की समस्या गंभीर होती जा रही है।

उपलब्ध आकलनों के अनुसार, फसल के अवशेषों के दहन की प्रणाली मुख्य रूप से चार राज्यों अर्थात् हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में प्रचलित है।

‘फसल अवशेष प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय नीति’ (NPMCR), उत्पन्न होने वाले फसल अवशेषों और जलाए जाने वाले अतिरिक्त अवशेषों के राज्य-वार आंकड़ों का विवरण प्रदान करती है।
NPMCR के आधार पर, यह स्पष्ट है कि फसल अवशेषों का उत्पादन उत्तर प्रदेश राज्य में सबसे अधिक (60 मीट्रिक टन) होता है। इसके पश्चात् अन्य राज्यों पंजाब (51 मीट्रिक टन) और महाराष्ट्र (46 मीट्रिक टन) का स्थान है, इस प्रकार प्रति वर्ष कुल 500 मीट्रिक टन उत्पादन होता है, जिसमें से 92 मीट्रिक टन फसल अवशेष को जला दिया जाता है।

फसल अवशेषों में धान और गेहूं का योगदान लगभग 70% है। उत्पन्न कुल अपशिष्ट में से, अधिशेष अवशेष उस अपशिष्ट को संदर्भित करता है जो अवशेषों को विभिन्न अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग करने के पश्चात् शेष रहता है। अधिशेष अपशिष्ट का एक भाग जला दिया जाता है और जलने के बाद बचे अंश को खेत में छोड़ दिया जाता है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, खेत पर जलाए हुए अवशेषों की मात्रा में योगदान की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है, इसके पश्चात् पंजाब और हरियाणा का योगदान है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, कुल फसल अवशेषों का 25% से अधिक खेत में जला दिया जाता था।
विभिन्न फसल अवशेषों में, प्रमुख योगदान 43% धान का था, इसके पश्चात् गेहूँ का लगभग 21%, गन्ने का 19% और तिलहनी फसलों का लगभग 5% योगदान था।

वायु (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत फसल अवशेष दहन एक दंडनीय अपराध है।

केंद्रीय सरकार (कृषि मंत्रालय) ने 2014 में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय नीति जारी की, जिसे कार्यान्वित करने हेतु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने राज्यों को निर्देश दिया है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खेत में कृषि अवशेषों के दहन में वृद्धि हेतु मानव श्रम की कमी उत्तरदायी है।
फसल अवशेषों के 80% का दहन फसल-कटाई के बाद की अवधि अर्थात अप्रैल-मई और नवंबर-दिसंबर के दौरान किया जाता है।

उच्च आर्थिक प्रतिफल सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किए जाने वाली फसल पद्धति को इसका अंतर्निहित कारण माना जाता है,
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भारत पहली बार साल 2019 के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है.....
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यह भारत के कार्बन उत्सर्जन से उबरने हेतु किए गए प्रयासों का ही परिणाम है. वहीं दूसरी ओर, अमेरिका सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में पहली बार शामिल हुआ है.

कोयला उद्योगों के आधार पर अब भी अपनी अर्थव्यवस्था चला रहे ऑस्ट्रेलिया एवं सऊदी अरब भी अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल हैं. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में 'कॉप 25' जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 10 दिसंबर 2019 को सीसीपीआइ रिपोर्ट जारी की गई.

भारत में ऊर्जा इस्तेमाल का मौजूदा स्तर :::

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग का मौजूदा स्तर 'उच्च श्रेणी' में नौवें स्थान पर है.

हालांकि, अपनी जलवायु नीति के प्रदर्शन हेतु उच्च रेटिंग के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार को अभी जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए रूपरेखा बनानी होगी. संक्षेप में, जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु और अधिक कठोर कानून एवं संशोधन किए जाने चाहिए.

• भारत पहली बार इस वर्ष के मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है.

• भारत मैड्रिड में जारी सूचकांक में 9वें स्थान पर है. इस सूचकांक में स्वीडन चौथे स्थान पर और डेनमार्क पांचवें स्थान पर है.

• चीन ने सूचकांक में अपनी रैंकिंग में मामूली सुधार करते हुए 30वां स्थान हासिल किया है.

• इस सूची में ब्रिटेन 7वें स्थान पर और भारत 9वे को ‘‘उच्च’’ श्रेणी में स्थान दिया गया है जबकि जी20 के आठ देश सूचकांक की सबसे खराब श्रेणी में बने हुए हैं.

• ये रैंकिंग 14 मानकों के आधार पर दी गई है, जिन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया है.

• हालांकि कोई भी देश सभी मानकों पर 100 प्रतिशत खरा नहीं उतर सका, इसलिए इस सूची में पहले तीन स्थान खाली हैं.

• रिपोर्ट के अनुसार, नए जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक से कोयले की खपत में कमी समेत उत्सर्जन में वैश्विक बदलाव के संकेत दिखाई देते हैं.

CCPI क्या है....?

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति के बारे में स्पष्ट समझ विकसित करने तथा पारदर्शिता बढ़ाने हेतु बनाया गया एक अहम उपकरण है. इसका मुख्य उद्देश्य उन देशों पर राजनीतिक एवं सामाजिक दबाव बढ़ाना है जो अब तक, जलवायु संरक्षण पर महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.
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प्रियंका चोपड़ा को मिला यूनिसेफ का 'मानवतावादी पुरस्कार'.....
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प्रियंका चोपड़ा पिछले 15 सालों से सद्भावना राजदूत के रूप में यूनिसेफ से जुड़ी हुई हैं. अब उन्हें उनके काम हेतु यूनिसेफ के 'डैनी काये मानवतावादी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है.

बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) को यूनिसेफ की ओर से डैनी काये मानवतावादी पुरस्कार (Danny Kaye Humanitarian Award) से सम्मानित किया गया है. प्रियंका चोपड़ा न केवल मनोरंजन और फैशन की दुनिया में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय है।

जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने 2019 के पुरस्कार विजेता के तौर पर प्रियंका चोपड़ा के नाम की घोषणा की थी. उन्हें न्यूयॉर्क में स्नोफ्लेक बॉल में कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति में इस सम्मान से सम्मानित किया गया था.

प्रियंका चोपड़ा पिछले 15 सालों से सद्भावना राजदूत के रूप में यूनिसेफ से जुड़ी हुई हैं. अब उन्हें उनके काम हेतु यूनिसेफ के 'डैनी काये मानवतावादी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर डायेन वॉन फॉस्टनबर्ग ने अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को यह पुरस्कार सौंपा.

प्रियंका ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद क्या कहा....?

प्रियंका चोपड़ा ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि समाज सेवा अब कोई विकल्प नहीं रह गया है. उन्होंने कहा कि समाज सेवा जीवन का एक माध्यम बन गया है.

डैनी काये मानवतावादी पुरस्कार के बारे मे :::

डैनी काये मानवतावादी पुरस्कार अभिनेता डैनी काये के नाम पर रखा गया है. वे एक अमेरिकी अभिनेता, नर्तक और गायक थे. वे यूनिसेफ के पहले सद्भावना दूत भी थे.

अभिनेता डैनी काये साल 1954 में यूनिसेफ के पहले सद्भावना राजदूत बने थे. उन्हें इस फिल्म के लिए यूनिसेफ के साथ काम के लिए मानद ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

उन्होंने सार्वजनिक घोषणाओं, साक्षात्कार और अभियानों के माध्यम से यूनिसेफ को लोकप्रिय बनाने में मदद की.

डैनी काये को साल 1974 में लायंस क्लब से मानवतावादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. डैनी काये का 03 मार्च 1987 को निधन हो गया.

यूनिसेफ के बारे में ::::

यूनिसेफ की स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा 11 दिसंबर 1946 को न्यूयॉर्क में की गई थी. इसका पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र बाल कोष है.

इस संस्था का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और विकास के लिए काम करना है.

यूनिसेफ ने भारत में साल 1949 से काम करना शुरू किया. यूनीसेफ का सप्लाई प्रभाग कार्यालय कोपनहेगन, डेनमार्क में है.

यूनिसेफ द्वारा पूरे विश्व में नवजात शिशुओं के टीकाकरण के लिए प्रत्येक साल तीन बिलियन से अधिक टीके दिए जाते हैं.

विश्व के 190 से अधिक देशों में बाल कल्याण के लिए यूनिसेफ के कार्यकर्ता लगातार काम कर रहे हैं.
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल का शुभारंभ किया....
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यसभा के 250वें सत्र पूरे होने पर 250 रुपए मूल्य का सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया. सिक्के के एक ओर सत्यमेव जयते लिखा है, दूसरी ओर संसद भवन का चित्र है.

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 26 नवंबर 2019 को भारतीय संविधान को अपनाने की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा संसद योजना’ का एक वेब पोर्टल लॉन्च किये है. राष्ट्रपति ने देशवासियों के अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर भी जोर दिया है.

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन सभी वैचारिक मतभेदों से ऊपर है. राष्ट्रपति ने राज्यसभा के 250वें सत्र पूरे होने पर 250 रुपए मूल्य का सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी किया.

सिक्का और डाक टिकट के बारे में :::

यह सिक्का 40 ग्राम वजनी और 44 मिलीमीटर परिधि का है. इसमें अशोक स्तंभ एवं संसद भवन के चित्रों के साथ ही गांधी जी की तस्वीर है. सिक्का पर सत्यमेव जयते लिखा है. डाक टिकट पर संसद के स्थापत्य की जालीनुमा आकृतियों एवं संसद भवन का चित्र है.

राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल ::::

• भारत के सभी मान्यता प्राप्त शैक्षिक संगठन ‘राष्ट्रीय युवा संसद योजना’ में लेने के लिए पात्र होंगे.

• यह वेब-पोर्टल शिक्षण संस्थानों द्वारा भागीदारी और पंजीकरण के लिए आवेदन करने का एकमात्र माध्यम होगा.

• राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल ऑनलाइन स्व-शिक्षा के लिए वीडियो, तस्वीरें, स्क्रिप्ट और ई-प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रदान करेगा.

• एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद, पात्र शैक्षणिक संस्थान अपने संबंधित युवा संसद की बैठक में भाग ले सकेंगे.

• यह माना जाता है कि राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल देश भर में युवा संसद सत्रों के आयोजन के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण को आकार प्रदान करेगा.

10वीं राष्ट्रमंडल युवा संसद :::::

• लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिल्ली विधानसभा में दसवें राष्ट्रमंडल युवा संसद का उद्घाटन किया.

• राष्ट्रमंडल युवा संसद में 24 देशों के 47 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

• सभी प्रतिनिधि भारतीय संसदीय प्रणाली की कार्यवाही में भाग लेंगे. वे कई मौजूदा मुद्दों पर चर्चा में भी भाग लेंगे.

• इस युवा संसद से भाग ले रहे प्रतिभागियों को बहुत कुछ सीखने को मौका मिलेगा.

• राष्ट्रमंडल युवा संसद कार्यक्रम की स्थापना साल 1911 में सांसदों और संसदीय कर्मचारियों को एक साथ लाने के उद्देश्य से की गई थी.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपने विचारों को रखने का अधिकार है. इसलिए विपक्ष को भी सम्मान दिया जाता है. युवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने (डिसीजन मेकिंग) में शामिल किया जाना चाहिए.
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केंद्र सरकार ने कुपोषण से निपटने हेतु भारतीय पोषण कृषि कोष की शुरुआत की...….
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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने कहा कि भारतीय पोषण कृषि कोष को बेहतर पोषण परिणामों के लिए देश में 128 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विविध प्रकार की फसलों का भंडार होगा.

केंद्र सरकार ने भारत में कुपोषण को कम करने के उद्देश्य से भारतीय पोषण कृषि कोष की शुरुआत की है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्‍मृति इरानी ने 18 नवंबर 2019 को नई दिल्‍ली में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्‍यक्ष बिल गेट्स के साथ मिलकर भारतीय पोषण कृषि कोष का शुभारंभ किया.

भारतीय पोषण कृषि कोष बेहतर पोषण परिणामों हेतु भारत में 128 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विविध प्रकार की फसलों का भंडार होगा. कोष का उद्देश्य देश भर में महिलाओं और बच्चों के बीच कुपोषण को कम करना है, जिसमें कृषि सहित बहु-क्षेत्रीय परिणाम आधारित रूपरेखा शामिल है.

लक्ष्य ::: भारतीय पोषण कृषि कोष का उद्देश्य व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर स्वस्थ आहार प्रथाओं को बढ़ावा देना तथा उन्हें सुदृढ़ बनाना है और कुपोषण को स्थायी तरीके से निपटाना है.

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाने माने कृषि वैज्ञानिक डा. एम एस स्‍वामिनाथन कहा कि भारत को पोषण के मामले में सुरक्षित बनाने हेतु पांच सूत्री कार्य येाजना लागू करनी होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्‍चों में पोषक तत्‍वों की कमी न केवल उनके शारीरिक विकास को अवरुद्ध करती है बल्कि उसके मानसिक विकास को भी प्रभावित करती है.

उन्‍होंने भुखमरी से निबटने हेतु मंत्रालय से सामुदायिक स्‍तर पर ऐसे लोगों का समूह बनाने का आह्वान किया, जिन्‍हें इस पांच सूत्रीय कार्यक्रम का पालन करते हुए महिलाओं, गर्भवती महिलाओं एवं बच्‍चों के मध्य भुखमरी की समस्‍या से निपटने के लिए भलिभांति प्रशिक्षित किया जा सके.

पांच सूत्रीय कार्रवाई कार्यक्रम ::::

• महिलाओं, विशेषकर गर्भवती महिलाओं तथा बच्‍चों के लिए कैलरी से भरपूर आहार सुनिश्चित करना.

• महिलाओं और बच्‍चों में मुखमरी खत्‍म करने हेतु भोजन में समुचित मात्रा में दालों के रूप में प्रोटीन का शामिल किया जाना सुनिश्‍चित करना.

• विटामिन ए, विटामिन बी, आयरन तथा जिंक जैसे माइक्रो न्‍यूट्रीएंट की कमी के कारण से होने वाली भूख को खत्‍म करना.

• 100 दिन से कम आयु के बच्‍चों वाले गांवों में महिलाओं को पोषण के बारे में जागरुक बनाना.

• स्‍वच्‍छ पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्‍मृति इरानी ने अपने संबोधन में कुपोषण की चुनौती से निपटने हेतु कृषि और पोषण के बीच अभिसरण की आवश्यकता पर जोर दिया. स्मृति ईरानी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत को कुपोषण मुक्त बनाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्‍गज कंपनी किसानों और नागरिक समाज के सदस्‍यों के साथ एक मंच पर आयी है.

बिल गेट्स ने कहा कि भारत में यदि कोई ऐसी समस्‍या है जिसका निराकरण बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन करना चाहेगा तो वे महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और बच्‍चों में कुपोषण की समस्‍या है. उन्‍होंने कहा कि इस समस्‍या का हल करने के बाद देश के विकास में अभूतपूर्व बदलाव लायेगा तथा उसे सतत विकाल लक्ष्‍यों को हासिल करने में सहायता करेगा.

पृष्ठभूमि ::::

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भारतीय पोषण कृषि कोष परियोजना के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ भागीदारी की है. बिल गेट्स ने घोषणा की कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन कुपोषण की चुनौती से निपटने हेतु एक स्थायी पोषण कार्यक्रम बनाने के लिए हर तरह से केंद्र सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है.
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NITI Aayog के स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक मे केरल शीर्ष स्थान पर.....
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नीति आयोग की ओर से जारी इस सूची में देश के 20 बड़े राज्यों में केरल पहले स्थान पर हैं जबकि राजस्थान दूसरे स्थान पर और कर्नाटक तीसरे स्थान पर हैं.

नीति आयोग ने 30 सितंबर 2019 को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआइ) जारी किया है. इस सूचकांक में केरल पहले स्थान पर है. इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर है.

नीति आयोग की ओर से जारी इस सूची में देश के 20 बड़े राज्यों में केरल पहले स्थान पर हैं जबकि राजस्थान दूसरे स्थान पर और कर्नाटक तीसरे स्थान पर हैं. नीति आयोग ने साल 2016-17 के आंकड़ों के आधार पर इस सूचकांक को तैयार किया है.

सूचकांक छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए स्कूलों के प्रयासों पर जोर देता है. पंजाब और जम्मू कश्मीर सूची में 18वें और 19वें स्थान पर हैं. इस रिपोर्ट को नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा विश्व बैंक ने संयुक्त रूप से जारी किया है.

राज्य/संघशासित प्रदेश : सर्वश्रेष्ठ तीन राज्य👇

बड़े राज्य :::

1) केरल. 2) राजस्थान. 3)कर्नाटक

छोटे राज्य :::

1) मणिपुर. 2) त्रिपुरा. 3) गोवा

केंद्र शासित प्रदेश ::::

1) चंडीगढ़. 2) दादरा और नगर हवेली. 3) दिल्ली

मुख्य तथ्य ::::

• सूची को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है - बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश.

• शीर्ष तीन राज्यों में केरल, राजस्थान और कर्नाटक हैं. और, शीर्ष तीन निचले राज्यों में पंजाब, जम्मू और कश्मीर और उत्तर प्रदेश हैं.

• जिन छोटे राज्यों को अलग से जगह दिया गया है, उनमें आठ राज्य शामिल हैं - मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश.

• उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इसका प्रदर्शन खराब है.


रैंकिंग के साथ 20 राज्यों के नाम...👇

स्थान + राज्य का नाम ::::

1. केरल. 2. राजस्थान
3. कर्नाटक. 4. आंध्र प्रदेश
5. गुजरात. 6. असम
7. महाराष्ट्र. 8. तमिलनाडु
9. हिमाचल प्रदेश. 10. उत्तराखंड
11. हरियाणा. 12. उड़ीसा
13. छत्तीसगढ़. 14. तेलंगाना
15. मध्य प्रदेश. 16. झारखंड
17. बिहार. 18. पंजाब
19. जम्मू कश्मीर. 20. उत्तर प्रदेश

SEQI (School Education Quality Index) के उद्देश्य ::::

इस रिपोर्ट का नाम ‘द सक्सेस ऑफ़ आवर स्कूल्स-स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स’ है. यह रिपोर्ट स्कूल जाने वाले बच्चों के सीखने के परिणामों पर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सूचकांक पर आधारित है. एसईक्यूआइ का लक्ष्य नीतिगत सुधारों को चलाना है जो स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लायेगा. सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्कूल शिक्षा गुणवत्ता की स्थिति की नियमित तथा पारदर्शी समीक्षा के रूप में काम करेगा.
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मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग के कार्यकाल और कवरेज के विस्तार को मंजूरी दी......
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने पहले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु वित्त आयोग को अपनी मंजूरी दे दी. 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है.


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 अक्टूबर 2020 तक 15 वें वित्त आयोग के कार्यकाल के विस्तार को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने पहले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु वित्त आयोग को अपनी मंजूरी दे दी.

15वें वित्त आयोग का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है ताकि वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक का अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके. कार्यकाल के विस्‍तार से वित्‍त आयोग साल 2020 से साल 2026 तक की अवधि हेतु अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने तथा सुधारों और नई वास्‍तविकताओं को ध्‍यान में रखते हुए वित्‍तीय अनुमानों के लिए विभिन्‍न तुलनीय अनुमानों की जांच पड़ताल करने में सक्षम होगा.

चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण से कई तरह के प्रतिबंध लगे होने के कारण आयोग विभिन्न राज्यों की दौरा हाल ही में पूरा कर पाया है. इससे आयोग द्वारा राज्यों की जरूरतों का विस्तृत आकलन करने पर भी असर पड़ा है.

आयोग का कार्यकाल क्यों बढ़ाया गया..?

आयोग के विचारणीय विषय व्‍यापक स्‍वरूप के हैं. जो काम आयोग को दिया गया है वह व्यापक क्षेत्र में फैला है. इनके प्रभाव की व्यापक जांच परख करने एवं उन्हें राज्यों और केन्द्र सरकार की आवश्यकताओं के साथ जोड़कर देखने में अतिरिक्त समय की जरूरत होगी.

वित्त आयोग के कार्यकाल विस्तार सरकारों को कैसे मदद करेगा...?

वित्त आयोग का कार्यकाल विस्तार और इसकी अवधि की कवरेज में आयोग की सिफारिशें लागू हैं इससे राज्‍य सरकारों और केंद्र सरकार हेतु मध्‍यावधि संसाधन की योजना बनाने में सहायता मिलेगी. इसके अलावा, 01 अप्रैल 2021 के बाद आयोग के लिए पांच साल की कवरेज उपलब्‍ध होने से राज्‍य सरकारों और केंद्र सरकार, दोनों को मध्‍यम से लम्‍बी अवधि हेतु वित्‍तीय परिप्रेक्ष्‍य के साथ अपनी योजनाओं को तैयार करने में सहायता मिलेगी.

पृष्ठभूमि :::

15वें वित्त आयोग को 30 नवंबर 2019 तक अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है. यह अनुमान है कि आर्थिक सुधारों का प्रभाव वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के अंत में प्राप्‍त आंकड़ों में दिखाई देगा. आयोग का कार्यकाल मूल रूप से अक्टूबर 2019 तक था. लेकिन, राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने जुलाई 2019 में इसका कार्यकाल एक महीना बढ़ाकर 30 नवंबर 2019 तक कर दिया था.
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फोर्ब्स पत्रिका द्वारा हाल ही में विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची जारी की गई....!
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इस सूची में भारत की वित्त मंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को 34वां स्थान हासिल हुआ है.

फ़ोर्ब्स की इस सूची में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल पहले स्थान पर और यूरोपीय केंद्रीय बैंक की अध्यक्ष क्रिश्टिन लागार्ड दूसरे नंबर पर हैं.

निर्मला सीतारमण ने फोर्ब्स की शक्तिशाली महिलाओं की इस सूची में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप से पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया है.

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल लगातार नौंवी बार पहले स्थान पर इस सूची में आई हैं.

सूची में अन्य भारतीय महिलाएं ::::::

निर्मला सीतारमण के अतिरिक्त एचसीएल कॉर्पोरेशन की सीईओ और कार्यकारी निदेशक रोशनी नादर मल्होत्रा 54वें स्थान पर है. जबकि, दवा कंपनी बायोकॉन की एमडी और सीईओ किरण मजूमदार शॉ इस सूची में 65वें स्थान पर मौजूद हैं.

इस सूची के संदर्भ में फोर्ब्स ने लिखा है कि वर्ष 2019 में दुनिया भर में महिलाओं ने सक्रियता से आगे बढ़कर सरकार, उद्योगों, मीडिया और परमार्थ कार्यों में नेतृत्वकारी भूमिका संभाली है.

सूची के मुख्य बिंदु :::

• फोर्ब्स 2019 की विश्व की टॉप 100 शक्तिशाली महिलाओं की सूची में पहले स्थान जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल हैं. 

• दूसरे स्थान पर, यूरोपियन सेंट्रल बैंक की प्रेसिडेंट क्रिस्टीन लेगार्ड और तीसरे स्थान पर यूएस हाऊस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज़ की स्पीकर नैन्सी पेलोसी हैं.

• इस सूची में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय को 40 वां और इवांका ट्रंप को 42 वां स्थान मिला है.

• आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पॉप सिंगर और गीतकार रिहाना भी इस सूची में जगह हासिल करने में कामयाब रही हैं. 

• बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस सूची में 29वें स्थान पर हैं. ग्रेटा थनबर्ग इस सूची में 100वें स्थान पर हैं.

फ़ोर्ब्स के बारे में जानकारी ::::

फ़ोर्ब्स इनकॉर्पोरेट एक निजी स्वामित्व वाली प्रकाशन और मीडिया कंपनी है. इसका प्रमुख प्रकाशन एक द्वि-साप्ताहिक पत्रिका फोर्ब्स है. कंपनी फोर्ब्स एशिया, फोर्ब्स लाइफ और फोर्ब्स वुमन पत्रिकाओं को प्रकाशित करती है.

वर्ष 1917 में, बर्टी चार्ल्स फोर्ब्स ने फोर्ब्स पत्रिका को द्वि-मासिक प्रकाशन के रूप में लॉन्च किया था. मौजूदा समय में स्टीव फोर्ब्स प्रधान संपादक हैं और रेन्डेल लेन फोर्ब्स के संपादक हैं.
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दोस्तों,


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 18 से 30 साल की युवतियों के लिए तेलंगाना देश में सबसे असुरक्षित राज्य है।


वर्ष 2017 में यहां दर्ज दुष्कर्म के कुल मामलों में 91 फीसदी पीड़ताएं 18 से 30 साल की हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है।


हालांकि, दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश में सामने आए हैं।
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कुपोषणाच्या विरोधात UNWFP च्या 'फीड अवर फ्यूचर' मोहीमेचा प्रारंभ ::::
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जागतिक अन्न दिनानिमित्त भारतात उपासमार व कुपोषण या गंभीर बाबींविषयी जागृती निर्माण करण्यासाठी संयुक्त राष्ट्रसंघ जागतिक अन्न कार्यक्रमाने (UNWFP) 'फीड अवर फ्यूचर' नावाच्या सिनेमा जाहिरात मोहीमेचा प्रारंभ केला आहे.

या मोहिमेच्या प्रारंभामध्ये टीव्ही होस्ट मिनी माथुर यांच्याकडून संचालित सिनेमा आणि सामाजिक परिवर्तनाबद्दल चर्चासत्र आयोजित केले जाणार.

शून्य उपासमारीचे जग तयार करण्याच्या उद्देशाने UFO मूव्हीज संस्थेच्या पाठिंब्याने हे अभियान चालवले जाणार आहे.

WFPचे ‘शेयर द मील’ हे जागतिक उपासमारी विरोधातले जगातले पहिले मोबाइल अॅप जाहीर करण्यात आले आहे.

अ‍ॅप वापरकर्त्यांना लहान देणग्या देता येणार आणि त्यातल्या प्रगतीचा मागोवा घेण्यास सक्षम करते.

सर जॉन हेगर्टी ह्यांनी सामाजिक परिवर्तनासाठी चित्रपटाची शक्ती वापरण्याची संकल्पना मांडली होती.

जाहिरातीच्या माध्यमातून डिजिटल सोशल मिडिया प्लॅटफॉर्मवर देणग्या देण्यासाठी देणगीदारांना प्रवृत्त करणे हा त्या संकल्पनेचा हेतू होता.
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नागालॅड मध्ये सर्वाधिक बेरोजगारी दर :::
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राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षणने जुलै २०१९ रोजी बेरोजगारी दर प्रकशित केले.

या अहवालानुसार नागालॅड (21.4%) मध्ये सर्वाधिक बेरोजगार आढळून आला आहे त्यानंतर गोवा (13.9%) दुसऱ्या स्थानावर तर मणिपुर (11.6%) तिसऱ्या स्थानावर आहे

सर्वात कमी बेरोजगार दर मेघालय (1.5%), छत्तीसगढ़ (3.3%) व सिक्किम (3.5%) या राज्यांमध्ये आहे.

या अहवालानुसार ग्रामीण क्षेत्रात ५.३% तर शहरी क्षेत्रात ७.८% बेरोजगारी दर आहे. यामध्ये पुरुष बेरोजगारी दर ६.२ तर महिलांमध्ये बेरोजगारीचा दर ५.७ एवढा आहे.

या अहवालात उच्च महिला बेरोजगार दर सर्वाधिक नागालॅड (34.4%), गोवा (26.0%) आणि केरळ (23.3%) असा आहे तर सर्वात कमी उच्च महिला बेरोजगारी दर मेघालय मेघालय (1.9%), मध्य प्रदेश (2.1%) व राजस्थान (2.3%) असा आहे

पुरुषांचा सर्वाधिक बेरोजगार दर नागालॅड (18.3%), मणिपुर (10.2) व दिल्ली (9.4%) असा आहे तर सर्वात कमी बेरोजगार दर मेघालय (1.3%) सिक्किम (2.6%) व छत्तीसगढ़ (3.3%) असा आढळून आला आहे
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पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने 16 अक्टूबर 2019 को पशुधन आबादी की जनगणना रिपोर्ट जारी की...... APJSIR ::::
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आंकड़ों से पता चला कि भारत की पशुधन आबादी 2012 की तुलना में 4.6% से बढ़कर 53 करोड़ 57.8 लाख हो गई है. यह जानकारी केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय द्वारा जारी 20वीं पशुगणना रिपोर्ट में दी गई. इस बार टैबलेट की सहायता से पशुगणना हुई है.

भारत में बीते पांच सालों में गायों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़कर 14.51 करोड़ हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार देश में भैंसों की संख्या इस दौरान मात्र एक प्रतिशत बढ़ी है. वहीं देश में मुर्गियों की कुल संख्या 85.18 करोड़ है. नवीनतम गणना के मुताबिक, बकरियों की संख्या 10 फीसदी बढ़कर 14.9 करोड़ हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सुअर की संख्या 12 फीसदी घटकर 90.6 लाख है.

पशुधन जनसंख्या 2019 :::

(जनसंख्या : मिलियन में)

श्रेणी : जनसंख्या 2019 : 2012 : वृद्धि %

मवेशी : 192.49 ::: 190.90 ::: 0.83

भैंस : 109.85 ::: 108.70 ::: 1.06

भेड़ : 74.26 ::: 65.07 ::: 14.13

बकरी : 148.88 ::: 135.17 ::: 10.14

सुअर : 9.06 ::: 10.29 ::: -1203

मिथुन : 0.38 ::: 0.30 ::: 26.66

याक : 0.06 ::: 0.08 ::: -25.00

घोड़े और टट्टू : 0.34 ::: 0.63 ::: -45.58

खच्चर : 0.08 ::: 0.20 ::: -57.09

गधा : 0.12 ::: 0.32 ::: -61.23

ऊंट : 0.25 ::: 0.40 ::: -37.05

कुल पशुधन : 535.78 ::: 512.06 ::: 4.63

पशुधन जनगणना 2019 ::::

गोधन (गाय-बैल), भैंस, मिथुन और याक की संख्या साल 2012 की जनगणना की तुलना में 01 प्रतिशत बढ़कर 30 करोड़ 27.9 लाख हो गई. मिथुन अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है.

रिपोर्ट के अनुसार देश में साल 2019 में गधों की संख्या 61 प्रतिशत घटकर 1,20,000 रह गई, जबकि ऊंटों की संख्या 37 प्रतिशत घटकर 2,50,000 रह गई है.

साल 2019 में कुक्कुट की संख्या करीब 17 प्रतिशत बढ़कर 85 करोड़ 18.1 लाख हो गई है.

पिछली गणना की तुलना में साल 2019 में स्वदेशी/गैर-विवरणी मादा मवेशियों की संख्या में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है.

देश में साल 2019 में कुल घोड़े और टट्टू 3.4 लाख हैं, जो पिछली गणना के मुकाबले 45.6 फीसदी कम है.

पशुधन की जनगणना विधि :::::

पशुपालन और डेयरी विभाग ने कहा कि पशुधन की जनगणना हेतु 80,000 से अधिक लोगों को तैनात किया गया था. उन्होंने 27 करोड़ से अधिक घरों और गैर-परिवारों से डेटा एकत्र किया. टैब के माध्यम से इस बार पशुधन की जनगणना की गई थी.
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट-2019 हाल ही में जारी की गई है........ APJSIR
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रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब भी काफी भुखमरी मौजूद है. भारत की रैंकिंग ग्लोबल हंगर इंडेक्स में एशियाई देशों में सबसे खराब है. यह रिपोर्ट किसी देश में कुपोषित बच्‍चों के अनुपात, पांच साल से कम आयु वाले बच्‍चे जिनका वजन या लंबाई उम्र के हिसाब से कम है और पांच साल से कम उम्र वाले बच्‍चों में मृत्‍यु दर के आधार पर तैयार की जाती है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 में कुल 117 देशों को शामिल किया गया जिसमें भारत 102वें पायदान पर है. यह दक्षिण एशियाई देशों का सबसे निचला स्थान है. भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी पीछे हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 तैयार करने के लिए साल 2014 से साल 2018 के आंकड़ों का उपयोग हुआ है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 के मुख्य बिंदु ::::

• भारत में बच्चों में कुपोषण की स्थिति बहुत ही खराब है. देश में 20.8 प्रतिशत बच्चों का पूर्ण शारीरिक विकास नहीं हो पाता, इसकी सबसे बड़ी मुख्य ‘कुपोषण’ है.

• भारत इस रिपोर्ट में ब्रिक्स देशों में भी सबसे नीचे स्थान पर है. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान 94वें स्थान पर, बांग्लादेश 88वें स्थान पर, नेपाल 73वें स्थान पर और श्रीलंका 66वें स्थान पर है.

• इस सूची में दक्षिण अफ्रीका 59वें स्थान पर है. चीन ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 25वें स्थान पर है.

• इस रिपोर्ट में बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत टॉप पर हैं. यहां तक कि रवांडा और इथियोपिया जैसे देशों के जीएचआई रैंकों में अच्छा सुधार हुआ हैं.

• रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छह से 23 महीने की उम्र के सभी बच्चों में से केवल 9.6 फीसदी को न्यूनतम जरूरी आहार दिया जाता है.

• रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के वजह से भूख का संकट चुनौतीपूर्ण हो गया है. इससे विश्व के पिछले क्षेत्रों में लोगों के लिए भोजन की उपलब्धता और बहुत ही मुश्किल हो गई है.

भारत पिछले वर्षों में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में :::

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में साल 2014 के बाद से भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट आई है. भारत साल 2014 में 55वें स्थान पर था. वहीं भारत साल 2015 में 80वें स्थान पर, साल 2016 में 97वें स्थान पर, साल 2017 में 100वें स्थान पर और साल 2018 में 103वें स्थान पर था. भारत साल 2010 में 95वें स्थान पर था और साल 2000 में 83वें स्थान पर आ गया था.

भूख की 'गंभीर समस्या' भारत में ::::

जीएचआई ने भूख की स्थिति के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार किया है. इस रिपोर्ट में भूख की स्थिति के आधार पर देशों को 0 से 100 अंक दिये गये है. इस रिपोर्ट में 0 अंक सबसे अच्छा अर्थात भूख की स्थिति नहीं होना है. रिपोर्ट में 10 से कम अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत कम समस्या है. इसी तरह, रिपोर्ट में 20 से 34.9 अंक का मतलब भूख का गंभीर संकट है. रिपोर्ट में 35 से 49.9 अंक का मतलब हालत बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और 50 या इससे ज्यादा अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत ही भयावह स्थिति है. इस रिपोर्ट में भारत को 30.3 अंक मिला है. इस अंक का मतलब है कि भारत में भूख का गंभीर संकट है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है....?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत जानकारी दिया जाता है. इस इंडेक्स में यह देखा जाता है कि लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है तथा उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं. यह रिपोर्ट प्रत्येक साल अक्टूबर महीने में जारी की जाती है.

इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की शुरुआत साल 2006 में की थी. वेल्ट हंगरलाइफ नाम के एक जर्मन संस्था ने साल 2006 में पहली बार ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ जारी किया था.
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