यादा खुल गयी थी. पहले तो वो अपने कपड़ों का ध्यान रखती थी लेकिन अब वो कई बार घर में ब्रा में ही घूमती रहती थी.
वो ब्रा पहनकर घर के काम करती थी। मैं उनसे बाते करते करते उनके दूधों को घूरता रहता था।
जब भी वो तेल लगवाती थी तो ऊपर ब्रा और नीचे स्कर्ट या हॉफ पैंट पहनकर रखती थीं।
एक दिन नहाने के बाद दीदी ने एक नई ब्रा पहनी थी और नीचे तौलिया लपेटे हुए थी।
उस दिन भी दीदी मसाज के लिए कहने लगी. उसने मुझे आवाज लगाई और चटाई पर उल्टी लेट गई।
मैं तेल लेकर दीदी की मसाज करने के लिए आ गया।
दीदी की गांड बहुत सेक्सी लग रही थी. पीछे से मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब दीदी के ऊपर चढ़ जाऊं।
मैंने तेल लगाना शुरू किया तो दीदी ने ब्रा नहीं खोली.
उनकी ब्रा की पट्टी पर तेल लग गया तो मैंने उनको बताया.
वो बोली- ब्रा को खोल दे। फिर आराम से मालिश कर देना।
मैंने दीदी की ब्रा के हुक को खोल दिया. अब पूरी पीठ पर कोई कपड़ा नहीं था। पूरी पीठ पर मैंने तेल लगाया। तेल लगाते लगाते मेरा हाथ उनके दूध तक छू जाता था।
उस दिन मेरा लंड बहुत देर तक तड़पता रहा. जब तक दीदी मसाज करवाती रही तब तक मेरे लंड में तनाव बना रहा और मेरा लंड पानी छोड़ता रहा.
उस दिन मैंने सोच लिया कि एक दीदी चुद ही जायेगी।
अब रोज ही मैं मसाज करते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल कर ऑयल लगाने लगा।
एक दिन मैं तेल लगा रहा था कि तभी किसी का कॉल आया। मेरे हाथ में तेल लगा था और फोन बेड पर था।
हम लोग बेड के बगल में ही थे।
नेहा दीदी ने कहा- रुको … मैं फोन उठाती हूं।
उन्होंने अपने एक हाथ से फोन उठाना चाहा लेकिन फोन हल्का सा दूर था, तो उसने थोड़ा और लेटे लेटे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाया।
उनका चूचा इससे हवा में झूल गया. पहली बार मुझे दीदी के चूचे नंगे देखने को मिले।
एकदम से मेरा लंड फनफना उठा. दीदी की चूचियों का ऊपरी उभार मैंने बहुत बार देखा था लेकिन आज दीदी के निप्पल भी दिख गये थे.
मैं तो पागल सो हो गया था। एकदम से सेक्स चढ़़ गया मुझे।
देखा तो दीदी की सहेली का फोन था और दीदी फोन पर बात करने लगी।
इस बीच मैं दीदी की चूचियों को छूने लगा.
उसका ध्यान भी इस ओर गया लेकिन वो फोन पर बात करती रही. उसको मजा आ रहा था लेकिन वो फोन पर बस हां या ना में जवाब दे रही थी.
दो तीन मिनट के बाद फोन कट गया।
फिर अब मैंने सही से तेल लगाना शुरू कर दिया। मेरा हाथ पीठ से होते हुए उनके सीने को छूने लगा।
अब वो हल्की गर्म होना शुरू हो गई थी। मेरे हाथ बार बार उसके दूध को छूकर आ रहे थे।
मैं अपने हाथ को दीदी के दूध के नीचे तक ले जाना चाहता था ताकि मेरा हाथ उनके निप्पलों तक पहुंच जाये।
चूचियों को छूने से नेहा दीदी की आंखें अब हल्की हल्की बंद होना शुरू हो गयी थीं।
अचानक वो मेरी तरफ पलट गई और उनके दूध मेरे सामने आ गए।
मैंने हल्के हाथों से उनके दूध की मसाज करना शुरू कर दिया. मैं डर रहा था कि दीदी कहीं एकदम से गुस्सा न हो जाये लेकिन वो शायद गर्म हो चुकी थी और चाहती थी कि मैं उनके दूध पर मसाज करूं।
मसाज करते हुए मैंने अब दूध को दबाना शुरू किया।
दीदी अब भी चुपचाप लेटी हुई मसाज करवा रही थी।
5 मिनट बाद मैं कसकर दीदी के दूध दबाने लगा.
अब मुझसे रुका न गया क्योंकि दीदी के मुंह से अब हल्की हल्की आह्ह निकलना शुरू हो गयी थी.
मैंने अब परिणाम की परवाह किये बिना अपने होंठों को दीदी के दूधों पर कस दिया और मुंह लगाकर दीदी के बूब्स को पीने लगा.
वो भी जैसे इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। उसकी आँखें बंद थीं और वो मेरे सिर के बालों को सहलाने लगी. उसके मुंह से अब आहें निकल रही थीं.
अब मैं पूरे जोश में आ गया था. मैं दीदी के बदन को चूमने लगा और फिर मैंने उसका तौलिया भी खोल दिया.
तौलिया खुलते ही दीदी नीचे से नंगी हो गयी. दीदी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी. इसलिए तौलिया हटाते ही मुझे दीदी की चूत नंगी मिली।
मेरा मुंह एकदम से सूख गया. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी की चूत इस हालत में देखने को मिलेगी.
उसकी चूत देखकर मैं पागल हो गया और मैंने सीधा उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटना शुरू कर दिया.
दीदी मेरे सिर को सहलाने लगी और अपनी टांगों को खोलने का प्रयास करते हुए मेरी जीभ को चूत में देने का इशारा करने लगी।
मैंने भी दीदी का इशारा समझा और दीदी की चूत में जीभ देकर चूसने लगा।
अब मैंने नेहा की चूत में उंगली डाल दीं और उसकी सिसकारी फूट पड़ी- आह्ह … स्स् … ओह्ह .. क्या कर रहा है … प्रतीक … आह्ह!
दीदी की चूत में उंगली करते हुए मैं बोला- आह्ह … दीदी … बस … आज मत रोको … आह्ह … दीदी … कितनी मस्त चूत है आपकी … आआह … पी जाऊंगा इसे!
मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था। इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकता था. दीदी की चूत को उंगली से चोदने के बाद अब मेरा लंड पूरा गीला हो चुका था।
उठकर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया।
मैंने तुरंत अपना लन्ड नेहा की चूत पर रखा और ए
वो ब्रा पहनकर घर के काम करती थी। मैं उनसे बाते करते करते उनके दूधों को घूरता रहता था।
जब भी वो तेल लगवाती थी तो ऊपर ब्रा और नीचे स्कर्ट या हॉफ पैंट पहनकर रखती थीं।
एक दिन नहाने के बाद दीदी ने एक नई ब्रा पहनी थी और नीचे तौलिया लपेटे हुए थी।
उस दिन भी दीदी मसाज के लिए कहने लगी. उसने मुझे आवाज लगाई और चटाई पर उल्टी लेट गई।
मैं तेल लेकर दीदी की मसाज करने के लिए आ गया।
दीदी की गांड बहुत सेक्सी लग रही थी. पीछे से मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब दीदी के ऊपर चढ़ जाऊं।
मैंने तेल लगाना शुरू किया तो दीदी ने ब्रा नहीं खोली.
उनकी ब्रा की पट्टी पर तेल लग गया तो मैंने उनको बताया.
वो बोली- ब्रा को खोल दे। फिर आराम से मालिश कर देना।
मैंने दीदी की ब्रा के हुक को खोल दिया. अब पूरी पीठ पर कोई कपड़ा नहीं था। पूरी पीठ पर मैंने तेल लगाया। तेल लगाते लगाते मेरा हाथ उनके दूध तक छू जाता था।
उस दिन मेरा लंड बहुत देर तक तड़पता रहा. जब तक दीदी मसाज करवाती रही तब तक मेरे लंड में तनाव बना रहा और मेरा लंड पानी छोड़ता रहा.
उस दिन मैंने सोच लिया कि एक दीदी चुद ही जायेगी।
अब रोज ही मैं मसाज करते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल कर ऑयल लगाने लगा।
एक दिन मैं तेल लगा रहा था कि तभी किसी का कॉल आया। मेरे हाथ में तेल लगा था और फोन बेड पर था।
हम लोग बेड के बगल में ही थे।
नेहा दीदी ने कहा- रुको … मैं फोन उठाती हूं।
उन्होंने अपने एक हाथ से फोन उठाना चाहा लेकिन फोन हल्का सा दूर था, तो उसने थोड़ा और लेटे लेटे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाया।
उनका चूचा इससे हवा में झूल गया. पहली बार मुझे दीदी के चूचे नंगे देखने को मिले।
एकदम से मेरा लंड फनफना उठा. दीदी की चूचियों का ऊपरी उभार मैंने बहुत बार देखा था लेकिन आज दीदी के निप्पल भी दिख गये थे.
मैं तो पागल सो हो गया था। एकदम से सेक्स चढ़़ गया मुझे।
देखा तो दीदी की सहेली का फोन था और दीदी फोन पर बात करने लगी।
इस बीच मैं दीदी की चूचियों को छूने लगा.
उसका ध्यान भी इस ओर गया लेकिन वो फोन पर बात करती रही. उसको मजा आ रहा था लेकिन वो फोन पर बस हां या ना में जवाब दे रही थी.
दो तीन मिनट के बाद फोन कट गया।
फिर अब मैंने सही से तेल लगाना शुरू कर दिया। मेरा हाथ पीठ से होते हुए उनके सीने को छूने लगा।
अब वो हल्की गर्म होना शुरू हो गई थी। मेरे हाथ बार बार उसके दूध को छूकर आ रहे थे।
मैं अपने हाथ को दीदी के दूध के नीचे तक ले जाना चाहता था ताकि मेरा हाथ उनके निप्पलों तक पहुंच जाये।
चूचियों को छूने से नेहा दीदी की आंखें अब हल्की हल्की बंद होना शुरू हो गयी थीं।
अचानक वो मेरी तरफ पलट गई और उनके दूध मेरे सामने आ गए।
मैंने हल्के हाथों से उनके दूध की मसाज करना शुरू कर दिया. मैं डर रहा था कि दीदी कहीं एकदम से गुस्सा न हो जाये लेकिन वो शायद गर्म हो चुकी थी और चाहती थी कि मैं उनके दूध पर मसाज करूं।
मसाज करते हुए मैंने अब दूध को दबाना शुरू किया।
दीदी अब भी चुपचाप लेटी हुई मसाज करवा रही थी।
5 मिनट बाद मैं कसकर दीदी के दूध दबाने लगा.
अब मुझसे रुका न गया क्योंकि दीदी के मुंह से अब हल्की हल्की आह्ह निकलना शुरू हो गयी थी.
मैंने अब परिणाम की परवाह किये बिना अपने होंठों को दीदी के दूधों पर कस दिया और मुंह लगाकर दीदी के बूब्स को पीने लगा.
वो भी जैसे इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। उसकी आँखें बंद थीं और वो मेरे सिर के बालों को सहलाने लगी. उसके मुंह से अब आहें निकल रही थीं.
अब मैं पूरे जोश में आ गया था. मैं दीदी के बदन को चूमने लगा और फिर मैंने उसका तौलिया भी खोल दिया.
तौलिया खुलते ही दीदी नीचे से नंगी हो गयी. दीदी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी. इसलिए तौलिया हटाते ही मुझे दीदी की चूत नंगी मिली।
मेरा मुंह एकदम से सूख गया. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी की चूत इस हालत में देखने को मिलेगी.
उसकी चूत देखकर मैं पागल हो गया और मैंने सीधा उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटना शुरू कर दिया.
दीदी मेरे सिर को सहलाने लगी और अपनी टांगों को खोलने का प्रयास करते हुए मेरी जीभ को चूत में देने का इशारा करने लगी।
मैंने भी दीदी का इशारा समझा और दीदी की चूत में जीभ देकर चूसने लगा।
अब मैंने नेहा की चूत में उंगली डाल दीं और उसकी सिसकारी फूट पड़ी- आह्ह … स्स् … ओह्ह .. क्या कर रहा है … प्रतीक … आह्ह!
दीदी की चूत में उंगली करते हुए मैं बोला- आह्ह … दीदी … बस … आज मत रोको … आह्ह … दीदी … कितनी मस्त चूत है आपकी … आआह … पी जाऊंगा इसे!
मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था। इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकता था. दीदी की चूत को उंगली से चोदने के बाद अब मेरा लंड पूरा गीला हो चुका था।
उठकर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया।
मैंने तुरंत अपना लन्ड नेहा की चूत पर रखा और ए