Репост из: Dr. Dharm Guru Ji
पंचम चरण .....
एक आदर्श दिनचर्या को जानने से पहले यह भी समझें कि यह एक विद्यार्थी से लेकर श्रमिक तक अलग अलग हो सकती है इसलिए कोई एक दिनचर्या सबके लिए बराबर रुप मान्य नहीं होती है। हा समान्य मानव जीवन को प्रकृति एक सामंजस्य स्थापित करने का समय अवश्य देती है अतः सूक्ष्म अवलोकन करते हुए स्वयं के अनुरूप इसका पालन करते रहें।
सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त ( सूर्योदय से 1.30 घण्टे पहले) उठना , बिस्तर पर ही बैठ कर 2..3 मिनट कराग्रे वसते लक्ष्मी आदि मंत्रो के साथ जीवन्त हो कर गहरी सांस लें। सकारात्मक ऊर्जा के साथ पृथ्वी का सम्पर्क करें।
इससे बाद शरीर शुद्धि के लिऐ शीतोष्ण जल 1 से 4 ग्लास तक ले सकते हैं। दांत जीभ और मुंह को साफ़ करने के लिए, नीम दातुन या तेल और नमक का मंजन या जो उपलब्ध हो प्रयोग करें । चेहरा, हाथ, पैर धोएं और मुंह में पानी भर कर आंखे धोएं साफ करें।
इसके बाद व्यायाम या आसन और ब्रह्मचर्य बहुत ही आवश्यक है। अन्तिम आसन शवासन हो और पसीना सूखने पर ही स्नान करे।
स्नान करने के बाद ईश्वर से प्रार्थना और ध्यान योग को अपने जीवन में उतारें। ध्यान के अनेक गूढ़ रहस्य हैं अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं एक और नही लिखते हुए आगे बढ़ते हैं। बस इतना समझ लें जैसे-जैसे आप ध्यान करेंगे यह आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता जाएगा।
ध्यान के बाद और इससे पहले भी प्रार्थना आवश्य करें प्रार्थना अर्थात् संकल्प पवह शब्द जो हम अपने अंदर बैठे ईश्वर, प्राण से कहते हैं, ईश्वर तो पहले ही पूर्ण हैं बस उसी पूर्णता को प्राप्त करें अनुभव करे।
जीवन में प्रगति के लिऐ स्वयं का आंकलन आवश्यक है इसलिए एक नोट बुक या डायरी लेखन करें और गीता, रामायण, महाभारत ( इनके एक दो पेज भी उचित हैं) अथवा अपने कार्य क्षेत्र की पुस्तक के कम से कम 17 से 90 पेज तक अर्थात् एक घंटा समय देकर अध्ययन करें।
निरोगता एवं शुद्धि और शक्ति के लिए, ताजे फल अथवा एक ग्लास पानी में नींबू, आंवला, एलोवेरा जैसे जीवनोपयोगी पेय उचित मात्रा में मिलाकर पिएं।
अब तक8:00 बज चुके होंगे अब आप शांति से शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन करें सुबह भारी भोजन किया जा सकता है लेकिन सायं काल केवल हल्का भोजन करें ।
हर बार भोजन के 1 घंटे बाद पानी पिए भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से भोजन का विष जैसा प्रभाव बन जाता है।
अधिक मिर्च मसालों से बना भोजन , अधिक तला हुआ भोजन, पैक्ड फूड, जंक फूड हमारे जीवन के कई घंटों को हमसे छीन लेता है और धीरे धीरे रोगी बना देता है, इसलिए ऐसे भोजन से बचें।
अब आप 8 घंटे के कार्य क्षेत्र के लिए निकल जाएं मन लगाकर मेहनत से काम करें।
जो समय बचा है इसमें आप कुछ समय अपने परिवार को दें, कुछ समय अपने मित्रों को और कुछ समय खुद को आप चाहें तो शाम के समय में भी ध्यान कर सकते हैं।
सोने जाने से पहले अच्छे विचार रखे, अंतिम विचार ही सुबह का पहला विचार होता है, दुःख शोक क्रोध शंका आदि त्याग कर शांत हों। जब आप सुबह उठेंगे तो अपने जीवन के महान लक्ष्य को साथ लेकर उठेंगे।7 घंटों की नींद चाहे जितना भी काम हो अवश्य लें रात को 10:00 बजे तक सो जाएं और सुबह 5:00 तक उठ जाएं क्योंकि नींद हमारे दिमाग के लिए उतनी ही आवश्यक है।
पूर्ववत लेखों के समान ही केवल मुख्य बिंदुओं के साथ इस विषय को विराम दे रहे हैं। इस विषय पर अपनी शंकाएं समूह @ayurved18 में ही पूछ लें।
सादर 🙏
एक आदर्श दिनचर्या को जानने से पहले यह भी समझें कि यह एक विद्यार्थी से लेकर श्रमिक तक अलग अलग हो सकती है इसलिए कोई एक दिनचर्या सबके लिए बराबर रुप मान्य नहीं होती है। हा समान्य मानव जीवन को प्रकृति एक सामंजस्य स्थापित करने का समय अवश्य देती है अतः सूक्ष्म अवलोकन करते हुए स्वयं के अनुरूप इसका पालन करते रहें।
सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त ( सूर्योदय से 1.30 घण्टे पहले) उठना , बिस्तर पर ही बैठ कर 2..3 मिनट कराग्रे वसते लक्ष्मी आदि मंत्रो के साथ जीवन्त हो कर गहरी सांस लें। सकारात्मक ऊर्जा के साथ पृथ्वी का सम्पर्क करें।
इससे बाद शरीर शुद्धि के लिऐ शीतोष्ण जल 1 से 4 ग्लास तक ले सकते हैं। दांत जीभ और मुंह को साफ़ करने के लिए, नीम दातुन या तेल और नमक का मंजन या जो उपलब्ध हो प्रयोग करें । चेहरा, हाथ, पैर धोएं और मुंह में पानी भर कर आंखे धोएं साफ करें।
इसके बाद व्यायाम या आसन और ब्रह्मचर्य बहुत ही आवश्यक है। अन्तिम आसन शवासन हो और पसीना सूखने पर ही स्नान करे।
स्नान करने के बाद ईश्वर से प्रार्थना और ध्यान योग को अपने जीवन में उतारें। ध्यान के अनेक गूढ़ रहस्य हैं अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं एक और नही लिखते हुए आगे बढ़ते हैं। बस इतना समझ लें जैसे-जैसे आप ध्यान करेंगे यह आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता जाएगा।
ध्यान के बाद और इससे पहले भी प्रार्थना आवश्य करें प्रार्थना अर्थात् संकल्प पवह शब्द जो हम अपने अंदर बैठे ईश्वर, प्राण से कहते हैं, ईश्वर तो पहले ही पूर्ण हैं बस उसी पूर्णता को प्राप्त करें अनुभव करे।
जीवन में प्रगति के लिऐ स्वयं का आंकलन आवश्यक है इसलिए एक नोट बुक या डायरी लेखन करें और गीता, रामायण, महाभारत ( इनके एक दो पेज भी उचित हैं) अथवा अपने कार्य क्षेत्र की पुस्तक के कम से कम 17 से 90 पेज तक अर्थात् एक घंटा समय देकर अध्ययन करें।
निरोगता एवं शुद्धि और शक्ति के लिए, ताजे फल अथवा एक ग्लास पानी में नींबू, आंवला, एलोवेरा जैसे जीवनोपयोगी पेय उचित मात्रा में मिलाकर पिएं।
अब तक8:00 बज चुके होंगे अब आप शांति से शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन करें सुबह भारी भोजन किया जा सकता है लेकिन सायं काल केवल हल्का भोजन करें ।
हर बार भोजन के 1 घंटे बाद पानी पिए भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से भोजन का विष जैसा प्रभाव बन जाता है।
अधिक मिर्च मसालों से बना भोजन , अधिक तला हुआ भोजन, पैक्ड फूड, जंक फूड हमारे जीवन के कई घंटों को हमसे छीन लेता है और धीरे धीरे रोगी बना देता है, इसलिए ऐसे भोजन से बचें।
अब आप 8 घंटे के कार्य क्षेत्र के लिए निकल जाएं मन लगाकर मेहनत से काम करें।
जो समय बचा है इसमें आप कुछ समय अपने परिवार को दें, कुछ समय अपने मित्रों को और कुछ समय खुद को आप चाहें तो शाम के समय में भी ध्यान कर सकते हैं।
सोने जाने से पहले अच्छे विचार रखे, अंतिम विचार ही सुबह का पहला विचार होता है, दुःख शोक क्रोध शंका आदि त्याग कर शांत हों। जब आप सुबह उठेंगे तो अपने जीवन के महान लक्ष्य को साथ लेकर उठेंगे।7 घंटों की नींद चाहे जितना भी काम हो अवश्य लें रात को 10:00 बजे तक सो जाएं और सुबह 5:00 तक उठ जाएं क्योंकि नींद हमारे दिमाग के लिए उतनी ही आवश्यक है।
पूर्ववत लेखों के समान ही केवल मुख्य बिंदुओं के साथ इस विषय को विराम दे रहे हैं। इस विषय पर अपनी शंकाएं समूह @ayurved18 में ही पूछ लें।
सादर 🙏