जिसने धूप नहीं देखी हो
जिसने ख़ाक नहीं छानी हो
जो बिन छाया के पला न हो
जो तन सूरज में जला न हो
जो तनिक हवा से घबराते हैं
देख विपत्ति मुड़ जाते हैं
वे वृक्ष कहाँ टिक पाते हैं
अक़्सर आँधियों में गिर जाते हैं
जिसने ख़ाक नहीं छानी हो
जो बिन छाया के पला न हो
जो तन सूरज में जला न हो
जो तनिक हवा से घबराते हैं
देख विपत्ति मुड़ जाते हैं
वे वृक्ष कहाँ टिक पाते हैं
अक़्सर आँधियों में गिर जाते हैं