🌺 आज का सुविचार 🌺
ये ज़मी, ये आसमान
ये खुशी, ये मुस्कान
रोटी, कपड़ा और मकान
सबके हिस्से में नहीं आता ।
ये ऐतबार, ये प्यार
ये आंसू, ये इंतज़ार
सुकून भरा एक इतवार
सबके हिस्से में नहीं आता।
ये मंजिल ये रास्ता, ये सफर
ये रात, ये शाम, ये सहर
हाथ पकड़ के चले, वो हमसफर
सबके हिस्से में नहीं आता।
बेशक ये किसी कहानी
किसी किस्से में नहीं आता,
के जिंदगी मिलती है, मगर जीना
सबके हिस्से में नहीं आता।
🙇♂ जय श्री कृष्णा 🙇♂
🙏 सुप्रभात 🙏
─❀⊰ 𝐉𝐨𝐢𝐧
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ये ज़मी, ये आसमान
ये खुशी, ये मुस्कान
रोटी, कपड़ा और मकान
सबके हिस्से में नहीं आता ।
ये ऐतबार, ये प्यार
ये आंसू, ये इंतज़ार
सुकून भरा एक इतवार
सबके हिस्से में नहीं आता।
ये मंजिल ये रास्ता, ये सफर
ये रात, ये शाम, ये सहर
हाथ पकड़ के चले, वो हमसफर
सबके हिस्से में नहीं आता।
बेशक ये किसी कहानी
किसी किस्से में नहीं आता,
के जिंदगी मिलती है, मगर जीना
सबके हिस्से में नहीं आता।
🙇♂ जय श्री कृष्णा 🙇♂
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