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मम्मी करेगी वाली बीमारी
चिमनी लाल एक बार भ्रमण पर निकले, यात्रा देखते-देखते बहुत लंबी हो गयी। कुछ दिन होटल में गुजारे, लेकिन पैसे अब कम पड़ने लगे हैं। और इस जगह से उनका मन अभी भरा नहीं है। चिमनी को अब किसी ऐसे जगह की तलाश है जहां कम पैसे खर्च में ज्यादा दिन रुका जा सके।
ढूंढो तो क्या नहीं मिल जाता, आखिर चिमनी को मिल गया एक आश्रम। इस आश्रम की कुछ शर्तें थी, अगर उन छोटी मोटी शर्तों को मान लिया जाये तो आश्रम में निःशुल्क भी रहा जा सकता है। चिमनी की खुशी का कोई ठिकाना ही ना रहा आज। शर्तें भी क्या थी -
1. अपना कमरा स्वयं ही साफ रखना है।
2. कमरे में पानी पहुँचाया नहीं जायेगा।
3. अपना चादर गन्दा होने पर स्वयं ही बदलना है।
4. पूरे आश्रम की सफाई में मदद देनी है।
5. खाना अगर खाना है तो रसोई में हाथ बटाना है और अपने बर्तन स्वयं धोने हैं।
सारी शर्तें चिमनी को सहर्ष स्वीकार थे। चिमनी वहीं रहने लगा। कुछ महीनों बाद अब उसे घर की याद आई तो घर आ गया।
जब अपने घर पहुँच कर अपना कमरा खोला, तो देखा उसका बिस्तर तितर-बितर फैला हुआ है। गन्दे बर्तन उसके कमरे में रखे हुए हैं। आलमारी में कपड़े फैले हुये हैं। सारा कुछ अस्त व्यस्त देख कर चिमनी हैरान हो गया। उसे याद आ रहा है, सब कुछ ठीक वैसा ही जैसा वह छोड़कर गया था। चिमनी को स्वयं पर यकीन नहीं हो रहा, वह इतना गंदगी में रहता था, इतनी गन्दगी लेकिन सच यही था।
आखिर क्यों ? ऐसा विचार करते चिमनी अपने बचपन में पहुँच गया।
बेटा उठो, अपने बिस्तर ठीक कर लो - पिताजी की आवाज गूंज उठी कानों में।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे देर हो रही है।
चिमनी, अपने जूठे बर्तन धो लो नहीं तो कम से कम उठाकर रख दो।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे पढ़ाई करने जाना है।
बेटा, अपने कपडे साफ़ कर लो।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे दोस्तों के साथ बाहर जाना है।
आज चिमनी को समझ आ रहा है, हर बात पर मम्मी कर लेगी। यही सीखा है उसने, माँ ने उसके हर नखरे प्यार से उठाया और चिमनी ने हर बात को अपना अधिकार ही समझा। उसी का परिणाम है जो उसने अपने कमरे इस तरह से गन्दे कर रखें हैं।
चिमनी को आश्रम में रहकर समझ आ गया है, अगर वो अपना काम स्वयं करें। सिर्फ अपनी भी जिम्मेदारी उठा ले तो सब कुछ साफ़, स्वस्थ और सुंदरता से रखा जा सकता है।
यही आदत आपमें है ? मम्मी करेगी वाली बीमारी। आप बस गन्दगी करो, सफाई मम्मी करेगी।
खाना - मम्मी करेगी
घर और बर्तन की सफाई - मम्मी करेगी
गली की सफाई - कामवाली करेगी
समाज में कोई सुधार - दूसरा करेगा
देश में कोई सुधार - सरकार करेगी
बदलो अपनी आदत, जरुरी नहीं आप दुनियाँ को साफ़, सुन्दर और स्वस्थ बना दो। लेकिन अपने आप में परिवर्तन करो। अपनी जिम्मेदारी जितना सम्भव हो स्वयं उठाओ। अगर आपके आस पास कुछ भी गलत है तो १ % ही सही उसमें आपकी भी भागीदारी है। अपने हिस्से का जिम्मेदारी तो उठाओ कम से कम।
माताओं से निवेदन हैं, बच्चों में अपने काम स्वयं करने की आदत बचपन से डालें। साधकों को सुझाव है जितना सम्भव हो अपनी जिम्मेदारी स्वयं से निर्वाह करें। स्वावलम्बी बनें।
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चिमनी लाल एक बार भ्रमण पर निकले, यात्रा देखते-देखते बहुत लंबी हो गयी। कुछ दिन होटल में गुजारे, लेकिन पैसे अब कम पड़ने लगे हैं। और इस जगह से उनका मन अभी भरा नहीं है। चिमनी को अब किसी ऐसे जगह की तलाश है जहां कम पैसे खर्च में ज्यादा दिन रुका जा सके।
ढूंढो तो क्या नहीं मिल जाता, आखिर चिमनी को मिल गया एक आश्रम। इस आश्रम की कुछ शर्तें थी, अगर उन छोटी मोटी शर्तों को मान लिया जाये तो आश्रम में निःशुल्क भी रहा जा सकता है। चिमनी की खुशी का कोई ठिकाना ही ना रहा आज। शर्तें भी क्या थी -
1. अपना कमरा स्वयं ही साफ रखना है।
2. कमरे में पानी पहुँचाया नहीं जायेगा।
3. अपना चादर गन्दा होने पर स्वयं ही बदलना है।
4. पूरे आश्रम की सफाई में मदद देनी है।
5. खाना अगर खाना है तो रसोई में हाथ बटाना है और अपने बर्तन स्वयं धोने हैं।
सारी शर्तें चिमनी को सहर्ष स्वीकार थे। चिमनी वहीं रहने लगा। कुछ महीनों बाद अब उसे घर की याद आई तो घर आ गया।
जब अपने घर पहुँच कर अपना कमरा खोला, तो देखा उसका बिस्तर तितर-बितर फैला हुआ है। गन्दे बर्तन उसके कमरे में रखे हुए हैं। आलमारी में कपड़े फैले हुये हैं। सारा कुछ अस्त व्यस्त देख कर चिमनी हैरान हो गया। उसे याद आ रहा है, सब कुछ ठीक वैसा ही जैसा वह छोड़कर गया था। चिमनी को स्वयं पर यकीन नहीं हो रहा, वह इतना गंदगी में रहता था, इतनी गन्दगी लेकिन सच यही था।
आखिर क्यों ? ऐसा विचार करते चिमनी अपने बचपन में पहुँच गया।
बेटा उठो, अपने बिस्तर ठीक कर लो - पिताजी की आवाज गूंज उठी कानों में।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे देर हो रही है।
चिमनी, अपने जूठे बर्तन धो लो नहीं तो कम से कम उठाकर रख दो।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे पढ़ाई करने जाना है।
बेटा, अपने कपडे साफ़ कर लो।
मम्मी कर लेगी, पिताजी मुझे दोस्तों के साथ बाहर जाना है।
आज चिमनी को समझ आ रहा है, हर बात पर मम्मी कर लेगी। यही सीखा है उसने, माँ ने उसके हर नखरे प्यार से उठाया और चिमनी ने हर बात को अपना अधिकार ही समझा। उसी का परिणाम है जो उसने अपने कमरे इस तरह से गन्दे कर रखें हैं।
चिमनी को आश्रम में रहकर समझ आ गया है, अगर वो अपना काम स्वयं करें। सिर्फ अपनी भी जिम्मेदारी उठा ले तो सब कुछ साफ़, स्वस्थ और सुंदरता से रखा जा सकता है।
यही आदत आपमें है ? मम्मी करेगी वाली बीमारी। आप बस गन्दगी करो, सफाई मम्मी करेगी।
खाना - मम्मी करेगी
घर और बर्तन की सफाई - मम्मी करेगी
गली की सफाई - कामवाली करेगी
समाज में कोई सुधार - दूसरा करेगा
देश में कोई सुधार - सरकार करेगी
बदलो अपनी आदत, जरुरी नहीं आप दुनियाँ को साफ़, सुन्दर और स्वस्थ बना दो। लेकिन अपने आप में परिवर्तन करो। अपनी जिम्मेदारी जितना सम्भव हो स्वयं उठाओ। अगर आपके आस पास कुछ भी गलत है तो १ % ही सही उसमें आपकी भी भागीदारी है। अपने हिस्से का जिम्मेदारी तो उठाओ कम से कम।
माताओं से निवेदन हैं, बच्चों में अपने काम स्वयं करने की आदत बचपन से डालें। साधकों को सुझाव है जितना सम्भव हो अपनी जिम्मेदारी स्वयं से निर्वाह करें। स्वावलम्बी बनें।
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