~ भगवती उमा जगत्की माता हैं और भगवान् सदाशिव जगत्के पिता है, जो इनकी सेवा करता है, उस पुत्रपर इन दोनों माता-पिताकी कृपा नित्य अधिकाधिक बढ़ती रहती है। वे उसे अपना आन्तरिक ऐश्वर्य प्रदान करते हैं, अतः आन्तरिक आनन्दकी प्राप्तिके लिये शिवलिंग को माता-पिताका स्वरूप मानकर उसकी पूजा करनी चाहिये।
~ भक्तिपूर्वक की गयी शिवपूजा मनुष्यों को पुनर्जन्म से छुटकारा दिलाती है। शिवभक्त की पूजासे भगवान् शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। शिवभक्त साक्षात् शिवस्वरूप ही है, अतः उसकी सेवामें तत्पर रहना चाहिये।
~ भगवान् शिवको अपनी आत्मा मानकर उनकी पूजा करनी चाहिये। भगवान् शिवकी प्रदक्षिणा, नमस्कार और षोडशोपचार पूजन अत्यन्त फलदायी होता है। इस पृथ्वीपर ऐसा कोई पाप नहीं है, जो शिवबी- प्रदक्षिणासे नष्ट न हो सके। इसलिये प्रदक्षिणाका आश्रय लेकर सभी पापोंका नाश कर देना चाहिये।
नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव 🚩🔱
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