सभी जीव भगवान के समान ही हैं। वे उनकी संतान हैं। जिस प्रकार बच्चा माँ के शरीर का अंग होता है, उसके गर्भ में रहता है और वहीं पलता-बढ़ता है, उसी प्रकार हम भगवान में जन्म लेते हैं, उनमें पलते-बढ़ते हैं और उनसे उसी प्रकार जुड़े रहते हैं, जिस प्रकार बच्चा माँ से होता है। वास्तव में वह कभी भी उससे अलग नहीं होता।… माँ कभी भी अपने बच्चे के प्रति लापरवाह नहीं होती। अपने सच्चे प्रेम के कारण वह उसके प्रति उदासीन नहीं हो सकती। भगवान के साथ हमारा संबंध और भी मजबूत है।… भगवान एक क्षण के लिए भी हमें भूलते नहीं। वे हमेशा हमारा ध्यान रखते हैं। हम उनसे कभी अलग नहीं हुए। वे हमेशा हमारे साथ हैं और हमेशा हमारे पूरे अस्तित्व में व्याप्त हैं.....!!