🌿 यदा सर्वे प्रमुच्यन्ते कामा येऽस्य हृदि स्थिताः।
अथ मर्त्योऽमृतो भवत्यत्र ब्रह्म समश्नुते॥
🌞 यदा मर्त्येन ये सर्वे कामा अस्य मर्त्यस्य हृदि स्थिताः प्रमुच्यन्ते। अथ मर्त्योऽमृतो अमरो भवत्यत्र इहलोके च ब्रह्म सर्वव्यापिभावं समश्नुते।
🌷जब इस (मरणशील मनुष्य) के हृदय में जो सभी इच्छाएँ हैं, वे त्याग दी जाती हैं, तब मनुष्य अमर हो जाता है और (इस लोक में) ब्रह्म (सर्वव्यापिभाव) प्राप्त करता है।
🌹 When all the desires that are in the heart of this (mortal) are abandoned, then the mortal becomes immortal and attains Brahman (cosmic unity) (in this world).
📍कठोपनिषद् । २।३।१४॥ #Subhashitam
अथ मर्त्योऽमृतो भवत्यत्र ब्रह्म समश्नुते॥
🌞 यदा मर्त्येन ये सर्वे कामा अस्य मर्त्यस्य हृदि स्थिताः प्रमुच्यन्ते। अथ मर्त्योऽमृतो अमरो भवत्यत्र इहलोके च ब्रह्म सर्वव्यापिभावं समश्नुते।
🌷जब इस (मरणशील मनुष्य) के हृदय में जो सभी इच्छाएँ हैं, वे त्याग दी जाती हैं, तब मनुष्य अमर हो जाता है और (इस लोक में) ब्रह्म (सर्वव्यापिभाव) प्राप्त करता है।
🌹 When all the desires that are in the heart of this (mortal) are abandoned, then the mortal becomes immortal and attains Brahman (cosmic unity) (in this world).
📍कठोपनिषद् । २।३।१४॥ #Subhashitam