दुनिया का हर आदमी मृत्यु की कतार में खड़ा है,इसलिए हर पल जागृत रहना।
चूँकि जीवन एक यात्रा है जिसकी समाप्ति मौत है।जैसे पंछी पिंजरे को छोड़कर उड़ जाता है ऐसे ही आत्मा का शरीर के पिंजरे को छोड़कर उड़ जाने का नाम मृत्यु है।आत्मा को यह देह रूप पिंजरा छोड़ना पड़े उससे पूर्व इन तीन तथ्यों का चिन्तन बार-बार कर लेना ...।
पहला तथ्य यह है,मेरे जीवन में कभी भी रोगों का आक्रमण हो सकता है और मैं इसे टाल नहीं सकता।चाहे कितने ही कुशल डॉक्टर, वैद्य या चिकित्सक मिल जाए... वे भी मुझे बीमारी से नहीं बचा सकते।
दूसरा तथ्य यह है,समय की धारा में बहते हुए मेरी यह सुड़ौल काया जीर्ण-शीर्ण होगी और एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा तब आवाज कंपकंपायेगी ... कदम लड़खड़ायेंगे... हाथ-पैर थरथरायेंगे और आँखें निस्तेज हो जायेगी जिसे मैं टाल नहीं सकता।
तीसरा चिन्तन यह है,किसी भी पल जीवन से चलाचली होगी और उसे मैं टाल नहीं सकता। कहा भी है-
न गाती है न गुनगुनाती है,
न चिल्लाती है न रोती है।
मौत जब लेने आ जाती है,
चुपके से लेकर चली जाती है।
मौत आग की भाँति है। जैसे मिट्टी में पड़े हुए सोने को जला डालने की ताकत आग में नहीं है परन्तु वह कचरे को जलाकर राख कर देती है। यही हाल मौत का है... उसमें आत्मा के एक भी आत्म प्रदेश को समाप्त कर डालने की क्षमता नहीं है पर शरीर के एक भी अंग को वह सलामत नहीं रहने देती।
प्रतिदिन का ऐसा चिन्तन अभिमान पर चोट करता है तथा आसक्ति से विरक्त रखकर धर्माचरण की ओर गतिशील रखता है। इस लिए धर्म करने की कोई उमर नही होती जब जागे सवेरा समझो 🙏🏻🙏🏻 इस भाग दौड वाली ज़िन्दगी मे टाईम
तो निकालने से निकल जाता है परन्तु जो लौग धर्म नही करते नास्तिक है वह जरूर कहते है अभी धर्म करने की उम्र
थोडी है व्यापार और गृहस्थी पर ध्यान देवे धर्म करने के लिए उम्र पडी है यह सुन कर हमारा विचलित मन को उसकी बात ठीक महसुस होती है और धर्म से और अरिहंत से जुडना रह जाता है और हम.पैसे,मान सम्मान,ऐश्वर्य,सुख सुविधा को ही भगवान मान लेते है और जीवन के अन्तिम समय तक मोह माया के बन्धन मे जकडे रहते है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जब की यह तो भ्रम जाल है करोडो की सम्पति आँख बन्द
करते ही पराई हो जाती है पैसा तो साथ गया नही परन्तु पैसा कमाने मे जो छल कपट नकली झूठा दगा किया है उस पाप की गठरी तो तुम्हारे साथ जायेगी और कितने भवो तक चुकाते रहने के बाद भी मुक्ति असम्भव है
हे जीव अरिहंत भक्ति मे अभी लग जा आज से लग जा जीवन का अन्तिम दिन का पता नही रोज ही जीवन का अन्तिम दिन समझो और संसार छोड कर जाने से पहले पुण्य की गठरी तो भारी कर लो..!!
चूँकि जीवन एक यात्रा है जिसकी समाप्ति मौत है।जैसे पंछी पिंजरे को छोड़कर उड़ जाता है ऐसे ही आत्मा का शरीर के पिंजरे को छोड़कर उड़ जाने का नाम मृत्यु है।आत्मा को यह देह रूप पिंजरा छोड़ना पड़े उससे पूर्व इन तीन तथ्यों का चिन्तन बार-बार कर लेना ...।
पहला तथ्य यह है,मेरे जीवन में कभी भी रोगों का आक्रमण हो सकता है और मैं इसे टाल नहीं सकता।चाहे कितने ही कुशल डॉक्टर, वैद्य या चिकित्सक मिल जाए... वे भी मुझे बीमारी से नहीं बचा सकते।
दूसरा तथ्य यह है,समय की धारा में बहते हुए मेरी यह सुड़ौल काया जीर्ण-शीर्ण होगी और एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा तब आवाज कंपकंपायेगी ... कदम लड़खड़ायेंगे... हाथ-पैर थरथरायेंगे और आँखें निस्तेज हो जायेगी जिसे मैं टाल नहीं सकता।
तीसरा चिन्तन यह है,किसी भी पल जीवन से चलाचली होगी और उसे मैं टाल नहीं सकता। कहा भी है-
न गाती है न गुनगुनाती है,
न चिल्लाती है न रोती है।
मौत जब लेने आ जाती है,
चुपके से लेकर चली जाती है।
मौत आग की भाँति है। जैसे मिट्टी में पड़े हुए सोने को जला डालने की ताकत आग में नहीं है परन्तु वह कचरे को जलाकर राख कर देती है। यही हाल मौत का है... उसमें आत्मा के एक भी आत्म प्रदेश को समाप्त कर डालने की क्षमता नहीं है पर शरीर के एक भी अंग को वह सलामत नहीं रहने देती।
प्रतिदिन का ऐसा चिन्तन अभिमान पर चोट करता है तथा आसक्ति से विरक्त रखकर धर्माचरण की ओर गतिशील रखता है। इस लिए धर्म करने की कोई उमर नही होती जब जागे सवेरा समझो 🙏🏻🙏🏻 इस भाग दौड वाली ज़िन्दगी मे टाईम
तो निकालने से निकल जाता है परन्तु जो लौग धर्म नही करते नास्तिक है वह जरूर कहते है अभी धर्म करने की उम्र
थोडी है व्यापार और गृहस्थी पर ध्यान देवे धर्म करने के लिए उम्र पडी है यह सुन कर हमारा विचलित मन को उसकी बात ठीक महसुस होती है और धर्म से और अरिहंत से जुडना रह जाता है और हम.पैसे,मान सम्मान,ऐश्वर्य,सुख सुविधा को ही भगवान मान लेते है और जीवन के अन्तिम समय तक मोह माया के बन्धन मे जकडे रहते है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जब की यह तो भ्रम जाल है करोडो की सम्पति आँख बन्द
करते ही पराई हो जाती है पैसा तो साथ गया नही परन्तु पैसा कमाने मे जो छल कपट नकली झूठा दगा किया है उस पाप की गठरी तो तुम्हारे साथ जायेगी और कितने भवो तक चुकाते रहने के बाद भी मुक्ति असम्भव है
हे जीव अरिहंत भक्ति मे अभी लग जा आज से लग जा जीवन का अन्तिम दिन का पता नही रोज ही जीवन का अन्तिम दिन समझो और संसार छोड कर जाने से पहले पुण्य की गठरी तो भारी कर लो..!!