वीर्य जिसे मनुष्य के प्रजनन का मूलाधार कहते है। वीर्य जो हमारे शरीर का ढाँचा चलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण शक्ति का स्त्रोत है । इसके अनर्थक नाश से मनुष्य के विवेकबुद्धि का सम्पूर्ण नाश तय है, हमारे जीवन काल के उत्साह का त्याग यानी वीर्य का नाश ।
- डर, असंतोष, लालसा, क्रोध, महत्वाकांक्षा का अभाव. निरित्साह,नकारात्मकता ये सब वीर्य के नाश के कारण हमारे स्वभाव में बढ़ता रहता है ।
- शरीर मे वीर्य का भंडार होना यानी जान में जान आना; जीवन में हर्ष, उत्साह, उमंग का सूर्योदय होना ।
- वीर्य की कमी से एकाग्रता की कमी महसूस होती है, इससे अपने काम मे हमेशा परेशानी होती हैं ।
- आत्महीनता: इसके कारण हम अपना आत्मविश्वास खों बैठते है , जिससे हम हमेशा डरते है ।
- अपने सामर्थ्य को हम न्यून मानकर खुदको ही कोसते रहते है ।
- अपने माता-पिता को दोष देना, अपने आपको कोसते रहना, किसीसे से बात न करना, अपने आपको चार दीवारी के अंदर कैद करना यह सब अनुभव अतिरिक्त वीर्यनाश के कारण महसूस होते है ।
- वीर्य नाश से बाल झडते है,पुरुषों में दाढ़ी और मूछ आना बंद होता है ।
- किसी भी चीज़ को समझने-समजाने की, लिखने की,पढ़ने की,बोलने की गति धीमी हो जाती है ।
- किसी के साथ बातचीत करना भी कठिन जान पड़ता है, अपनी बात बोलने के लिए शब्द भी आसानी से नही मिल पाते ।
- डर, असंतोष, लालसा, क्रोध, महत्वाकांक्षा का अभाव. निरित्साह,नकारात्मकता ये सब वीर्य के नाश के कारण हमारे स्वभाव में बढ़ता रहता है ।
- शरीर मे वीर्य का भंडार होना यानी जान में जान आना; जीवन में हर्ष, उत्साह, उमंग का सूर्योदय होना ।
- वीर्य की कमी से एकाग्रता की कमी महसूस होती है, इससे अपने काम मे हमेशा परेशानी होती हैं ।
- आत्महीनता: इसके कारण हम अपना आत्मविश्वास खों बैठते है , जिससे हम हमेशा डरते है ।
- अपने सामर्थ्य को हम न्यून मानकर खुदको ही कोसते रहते है ।
- अपने माता-पिता को दोष देना, अपने आपको कोसते रहना, किसीसे से बात न करना, अपने आपको चार दीवारी के अंदर कैद करना यह सब अनुभव अतिरिक्त वीर्यनाश के कारण महसूस होते है ।
- वीर्य नाश से बाल झडते है,पुरुषों में दाढ़ी और मूछ आना बंद होता है ।
- किसी भी चीज़ को समझने-समजाने की, लिखने की,पढ़ने की,बोलने की गति धीमी हो जाती है ।
- किसी के साथ बातचीत करना भी कठिन जान पड़ता है, अपनी बात बोलने के लिए शब्द भी आसानी से नही मिल पाते ।