ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪


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Kiski kiski maa Bahane chila rahi chudai ki vajah se pm me @Desikahani_bot




लगी.
मुझे बहुत अजीब स्वाद लगा लेकिन वीर्य को मुंह में गिरवाने में मजा आया.

मैं वीर्य को मुंह में ही रखे रही और फिर पास में जाकर थूक आई. उसके बाद मैंने अपने कपड़़े पहने और कुल्ला किया. फिर भाई भी बाथरूम में गया. उसका लंड अब सिकुड़ गया था.

फिर वो नंगा ही लेट गया.
उसका लंड बहुत रसीला लग रहा था. मैं दोबारा से उसके लंड से खेलने लगी.

फिर उसने एक बार मुझे फिर से चोद दिया.

इस तरह से हमने उस रात को तीन बार चुदाई की.

फिर मैं भाई से रोज ही चुदने लगी. जब तक मेरी शादी नहीं हुई मैं अपने ही घर में रहकर बहुत बार चुदी.

कई बार तो उसने मुझे बाहर रूम पर ले जाकर भी चोदा. हम दोनों होटल में जाते थे और वहां पर चुदाई का मजा लेते थे.

उसके बाद मैंने एक बॉयफ्रेंड भी पाल लिया था. पर मुझे मेरे बॉयफ्रेंड से चुदाई में भी इतना मजा नहीं आता था जितना भाई के लंड से चुदवाने में आता था.

उसके बाद फिर शादी हो गयी लेकिन जब भी घर आती मैं भाई का लंड जरूर लेती थी.
अब भी हम दोनों का ये प्यार जारी है. मुझे भाई के लंड से चुदने में अलग ही मजा आता है.


ा जो फिर धीरे धीरे सो गया.

वो लेट तो गया लेकिन वो डर गया था. वो बोला- दीदी, मम्मी को मत बताना.
मैं बोली- नहीं बताऊंगी. मगर जैसा मैं कहती हूं फिर वैसा ही कर!

उसने कहा- हां. ठीक है. बताओ क्या करना है?
मैं बोली- मेरे पास आ जा और मेरी चूत को अच्छे से चाट.

ये सुनकर वो खुश हो गया और मेरे पास आकर उसने फिर से मुझे नीचे गिरा लिया.

उसके बाद वो जोर जोर से मेरी चूत में जीभ से चाटने लगा.

मैं तो पहले से ही गर्म थी. चूंकि अब भाई को मेरी चूत चाटने की अनुमति मिल गयी थी तो वो पूरे जोश में बिना डरे चूत को चाट रहा था.

इससे मैं जल्दी ही झड़ने को हो गयी. मैं बोली- रुक जा अब … आह्ह … रुक … मेरा आने वाला है.
वो बोला- आने दो दीदी, मैं आपका पानी पी जाऊंगा.

अब मैं तेज तेज कमर हिलाने लगी और अपनी चूत को उसके मुंह से चुदवाने लगी.
कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया और मैंने उसके मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया.

उसने मेरी चूत का सारा पानी पी लिया. मैं शांत हो गयी.
फिर वो बोला- आपका तो हो गया लेकिन मेरे इसका क्या?
उसने अपनी कैपरी में तने लंड को दिखाते हुए कहा.

वो बोला- अब आपका तो हो गया, मेरा कौन करेगा?
मैंने कहा- ठीक है, मगर मैं थोड़ा सा ही करूंगी. ज्यादा नहीं.
वो बोला- ओके.

फिर उसने अपनी कैपरी निकाल दी और मैंने उसका लंड पहली बार देखा.
उसका लंड 6 इंच का था और रस में पूरा भीग गया था.
फिर मैंने उसके लंड को मुंह में लिया.

मुझे बहुत गंदा लगा. मैंने पहली बार लंड को मुंह में लिया था. फिर मैं चूसने लगी और धीरे धीरे मुझे अच्छा लगने लगा.
अब भाई के मुंह से आह्ह … आह्ह … करके आवाजें आने लगीं.

मैं बोली- क्या हुआ भाई?
वो बोला- करती रहो दीदी … बहुत मजा आ रहा है. चूसती रहो अच्छे से!

मैं और अच्छे से उसका लंड चूसने लगी क्योंकि मुझे भी अब लंड चूसने में काफी मजा आने लगा था.

पांच मिनट तक चुसवाने के बाद फिर उससे रहा नहीं गया और वो मेरे सिर को उठाकर बोला- बस दीदी … अब आपको चोदने का मन कर रहा है. अब चूत में डालने दो प्लीज.

मेरी चूत में भी खुजली मची हुई थी इसलिए मैंने भी मौके का फायदा उठाया और मैं चूत खोलकर उसके सामने लेट गयी.
वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.

मैं भी पूरी गर्म हो गयी और मजा लेने लगी. अब मेरा मन खुद ही चुदने का कर रहा था.
मैंने कहा- भाई, जल्दी डाल दे.
लेकिन वो हरामी मेरी चूत पर लंड को रगड़ता ही रहा.

फिर उसने अपना लंड एकदम से मेरी चूत में धकेल दिया और मेरी आह्ह निकल गयी.
मैंने बहुत बार चूत में उंगली की हुई थी इसलिए मेरी चूत इतनी कुंवारी नहीं रह गयी थी.

उसका लंड मेरी चूत में फंस गया. मुझे दर्द तो हुआ लेकिन मैं बर्दाश्त कर गयी क्योंकि भाई का लंड भी औसत ही था.
फिर वो मेरी चूत में लंड घुसाकर मुझे चोदने लगा.

हम दोनों के मुंह से आह्ह … आह्ह … करके सिसकारियां निकलने लगीं.
मगर हमें ध्यान ही नहीं रहा कि घर में मम्मी पापा भी हैं.

वो तो अच्छा हुआ कि बाहर जोर से बारिश पड़ रही थी और हम भाई बहन की चुदाई की आवाजें हमारे मम्मी पापा को सुनाई नहीं दीं.

मुझे चुदाई में पूरा मजा आ रहा था. भाई भी पागलों की तरह मुझे चोदने में लगा हुआ था.

मैं अब बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी और जोर से चुदना चाह रही थी.
मैंने कहा- और तेज करो भाई.

वो बोला- हां चोद रहा हूं दीदी. मगर तुम्हें इतनी जल्दी क्यों मची है? हमें कोई ट्रेन पकड़नी है क्या?
मैं बोली- तू जोर से चोद … बहुत मजा आ रहा है … आह्ह … चोद भाई … चोद दे बहन को … बहन की चूत भाई के लंड से चुदना चाह रही है।

वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा.

फिर वो थकने लगा तो मैंने उसको नीचे लेटा दिया और मैं उसके लंड पर बैठकर आगे पीछे होने लगी.
उसको थोड़ी राहत मिली और फिर हम दोनों फिर से एक दूसरे का साथ देने लगे.

मेरी चूत का पानी निकल चुका था जो भाई के लंड को पूरा गीला कर गया था. अब पच … पच की आवाज होने लगी और भाई भी झड़ने को हो गया.

वो बोला- आह्ह दीदी … और अंदर लो … आह्ह … लेती रहो … बहुत मजा आ रहा है… आह्ह … मैं आने वाला हूं दीदी … ओह्ह … मैं आने वाला हूं.

मैंने कहा- नहीं, अंदर नहीं गिराना है.
वो बोला- ठीक है तो मैं लंड को निकाल लेता हूं. बाहर गिरा दूंगा.
मैंने कहा- नहीं, बाहर भी नहीं गिराना है.

वो गुस्सा होकर बोला- साली … फिर कहां गिराना है?
मैंने कहा- मेरे मुंह में गिराना है. मैं पीना चाहती हूं. मैं भी देखना चाहती हूं लंड के माल का स्वाद कैसा होता है. तूने तो मेरी चूत के रस का स्वाद ले लिया. अब मैं लंड के माल का स्वाद लूंगी.

जब उसका निकलने को हुआ तो उसने मेरी चूत से लंड को निकाल लिया और उठकर मेरे मुंह में लंड दे दिया.

वो मेरे मुंह में लंड से चोदने लगा.
मैं भी लंड को चूसकर उसका रस चख रही थी लेकिन वीर्य आना बाकी था.

फिर वो जोर जोर से चिल्लाते हुए आहें भरने लगा और उसके वीर्य की गर्म पिचकारी मेरे मुंह में आने


दोस्तो, मेरी नाम रिया है. मेरी आयु 24 साल है. मैं एक छोटे से गांव से हूं.

इस कहानी को सुन कर मजा लें.

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यह भाई की चुदाई कहानी 3 साल पहले की है जब मैं 21 साल की थी; मेरी शादी नहीं हुई थी, मैं कुंवारी थी. अब तो मेरी शादी हो चुकी है और दो साल बीत चुके हैं.

हम लोग परिवार में कुल 4 सदस्य थे. मेरा भाई, मैं और मम्मी-पापा. हम मिडिल क्लास के लोग हैं.
पापा हमेशा बाहर जाते थे पैसे कमाने के लिए. वह दिल्ली में रहते हैं और सिलाई का काम करते हैं.

मैं और मेरा भाई जो कि मेरे से 2 साल छोटा है हम लोग पढ़ने जाते थे.
उस समय मैं कॉलेज के सेकेण्ड इयर में थी और मेरा भाई बाहरवीं में था. मैंने भी कभी चुदाई नहीं करवायी थी और भाई भी चुदाई से अनजान था.

वो काफी शर्मीले मिजाज का हुआ करता था और मेरी हर बात मानता था. मुझे पता था कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
मुझसे उसकी कोई बात छिपी नहीं थी.

जब मैं कॉलेज जाती थी तो एक लड़का मुझे ध्यान से देखा करता था.
मैं भी धीरे धीरे उसको पसंद करने लगी.

फिर वो बहाने से मेरे साथ बात करने लगा और हम दोनों की फ्रेंडशिप हो गयी.

चूंकि भाई मेरे कॉलेज के सामने से ही गुजरता था तो वो भी उस लड़के की निगाहें पढ़ चुका था. यह बात भाई को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी.

मुझे वो लड़का अच्छा लगने लगा था. हम लोग चोरी छुपे मिलते थे.

भाई को ये बात एक दिन पता लग गई कि हम लोग आपस में मिलते हैं.
उसने मुझे धमकी दी कि वो घर में इस बात के बारे में बोल देगा.
बड़ी मुश्किल से मैंने उसको मनाया. फिर वो मान गया.

फिर कुछ दिन के बाद गर्मी का मौसम शुरू हो गया. फिर जुलाई का महीना आ गया. गर्मी काफी पड़ रही थी. हम लोग अब छत पर सोते थे.

एक रात को बारिश का मौसम हो रहा था. मैंने भाई को छत पर सोने के लिए मना किया.
मगर वो नहीं माना.
वो कहने लगा कि बारिश आयेगी तब नीचे आ जायेगा.

फिर वो ऊपर सोने चला गया.

दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि हमारे घर में दो कमरे थे जिनमें बेड डले हुए थे. एक में मम्मी पापा सोते थे और एक में हम दोनों भाई बहन सोते थे.
मैं उस दिन अपने रूम में सो रही थी नीचे.

रात को अचानक बारिश शुरू हो गयी तो मेरी भी आंख खुली. मैं नींद में थी तो फिर मैंने दोबारा से आंखें बंद कर लीं.

मगर मुझे याद है कि मैंने भाई को भागकर नीचे आते हुए देखा था.
वो आकर मेरे पास बेड पर लेट गया. फिर मैं भी सो गयी.

कुछ देर के बाद जब अचानक से मेरी नींद हल्की सी टूटी तो मेरी नजर भाई की ओर गयी.

मैंने पूरी आंखें नहीं खोलीं मगर मैं सोने का नाटक करती रही.
वो बैठा हुआ मुझे ही देख रहा था.

कुछ देर तक वो ऐसे ही मुझे बैठा बैठा देखता रहा.
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गया.

मेरी तो धड़कनें तेज हो गईं. मगर उसने कुछ किया नहीं.
फिर वो दोबारा से लेट गया.
मगर इस बार वो मेरे काफी पास लेटा था.

लेटने के बाद उसने मेरे पेट पर अपना हाथ रख दिया.

मैं जाग गयी और मैंने उसे भी जगा दिया.
मगर वो तो पहले से ही जाग रहा था.
मैंने उसको बोला- ये क्या कर रहा है तू भाई?
वो बोला- सॉरी दीदी, नींद में था तो लग गया.

फिर मैंने कहा- ठीक है, सो जा आराम से.
उसके कुछ देर बाद उसने फिर से मेरे पेट पर हाथ रख दिया.
मेरी आंख खुली मगर मैंने सोचा कि नींद में रखा होगा और मैं भी फिर सो गयी.

एक घंटे के बाद मुझे कुछ महसूस हुआ. मुझे लगा जैसे कोई नुकीली चीज मेरे पीछे चुभ रही है. मैंने पाया कि भाई के हाथ मेरे बूब्स पर थे और वो पीछे से अपना लंड मेरी गांड पर चुभा रहा था.

मैं कुछ नहीं बोली और चुपचाप उसकी हरकतें देखने लगी.

धीरे धीरे वो मेरे पूरे बदन पर हाथ से सहलाने लगा. मेरे पेट से होते हुए मेरी चूत तक आ गया. ऊपर से उसने मेरी चूत पर हाथ फिरा दिया.

एकदम से मेरे बदन में सरसरी दौड़ी जिसको मैंने बहुत ही मुश्किल से कंट्रोल किया.
वो मेरे बूब्स दबाने लगा और मैं कुछ नहीं बोल रही थी.

भाई के सहलाने से मेरी चूत गीली होने लगी. मैंने अपनी चूत के बाल भी दो दिन पहले ही साफ किये थे.

मैं भी अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी. मगर मैं सोने का नाटक करती रही. मैं उसके हाथों का मजा ले रही थी.

उसने धीरे से फिर मेरी कैपरी नीचे कर दी. मैंने भी बिना उसको जाहिर हुए अपनी गांड थोड़ी सी उठा दी थी ताकि कैपरी आसानी से निकल जाये.
मैं सोने का नाटक पहले की तरह ही करती रही.

मेरी कैपरी को नीचे करने के बाद उसने मेरी पैंटी भी नीचे कर डाली और मेरी चूत को चाटने लगा.
उसकी गर्म जीभ मुझे मेरी चूत पर महसूस हो रही थी.
मैं खुद को अब कंट्रोल कर नहीं पा रही थी.

फिर उसने मेरी चूत के अंदर ही जीभ दे दी और मेरी आह्ह निकल गयी.
मैं उठ गयी और चौंक कर बोली- ये क्या कर रहे थे तुम?
वो बोला- सॉरी दीदी, आप बहुत हॉट हो. मुझसे रहा नहीं गया.

मैं नाटक करते हुए बोली- मैं ये सब मम्मी को बता दूंगी.
वो डर गया और अपनी साइड जाकर लेट गया.

उसका लंड उसकी कैपरी में अभी भी खड़ा थ


.

बुआ के पापा यानि मेरे पापा के चाचा ने पूछा- अब उसकी तबियत कैसी है क्या हुआ था?
मैंने कहा- कुछ नहीं सिर दर्द था, तो मैंने गोली दे दी थी. बुआ अभी आराम कर रही हैं.

फिर मैंने बुआ को नींबू पानी पिलाया.

रिश्तेदारों ने देख कर कहा- कुलजीत अपनी बुआ को बहुत मानता है.

दो दिन बाद बुआ की शादी हो गई थी. वो अगले दिन अपने ससुराल चली गईं.

बुआ के जाने के बाद अब इधर मेरी भी एक गर्लफ्रेंड बन गई है, फिर भी जब मुझे मौका मिलता है. बुआ की हर आसन में चुदाई कर लेता हूँ.


ोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया.

बुआ अपनी आंखें बंद किये हुई थीं.
मैं कुछ देर तक उन्हें प्यार से देखने लगा.

इसके बाद मैंने बेड से उठकर दरवाज़ा बंद किया और उनके पास आ गया.

बुआ ने अब भी अपनी आंखें बंद कर रखी थीं. मैंने पहले उनके सिर पर किस किया … फिर गर्दन के पास किस करते हुए बुआ के पेट पर अपना हाथ रख दिया.

फिर मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ ले जाने लगा. लाल रंग की मस्त चोली के ऊपर से मैंने उनकी बाईं ओर की चूची पकड़ी और ज़ोर से दबा दी.
बुआ की हल्की सी ‘आहहहह सीई ..’ निकल गई.

अब मैंने दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची भी पकड़ ली और दोनों चूचियों को मस्ती से दबाने लगा.

बुआ की वासना जागने लगी और वो मादक आहें भरने लगीं.
अब मैं समझ गया था आज बुआ की कुंवारी चुत का गिफ्ट मिल रहा है, इसे मजे से ले लो.

मैं अब पूरी तरह से खुल गया था. मैं बुआ के ऊपर बैठ गया और उनकी चोली के सामने से बटनों को खोल कर उनकी सेव जैसी भरी हुई चूचियों को आज़ाद कर दिया.

उनकी दूधिया चूचियों के ऊपर कड़क हो चुके पिंक निप्पलों को देख कर मुझे तरन्नुम आ गई.
मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मजे लेकर चूसने लगा; हल्के हल्के दांतों से उन्हें खींचते हुए काटने लगा.

वो ‘उईईईईई उउन्ह ..’ की आवाजें निकालने लगीं.

मैं मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को काफी देर तक बारी बारी से चूसता रहा.

बुआ एकदम से गर्मा गई थीं.
उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर ऊपर उठाया और मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोलीं- जो भी करना है … जल्दी कर लो. मंदिर से लोग सब आने वाले होंगे.

ये बोलते हुए उन्होंने अपने हाथों से मेरे लंड पकड़ लिया और पायजामा नीचे कर लंड निकाल कर चूसने लगीं.

मेरा छोटा सा राजा बड़ा हो कर खड़ा हो गया.

बुआ ने पहले अपनी दोनों चूचियों के बीच मेरा खड़ा लंड रगड़वाया. उनकी मुलायम मुलायम चूचियों के बीच में लंड रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर बुआ ने नशीली आंखों से मुझे देख कर कहा- अब नीचे आ जाओ.

मैं नीचे आ गया और उनका पजामा खोल दिया.
उनकी गोरी टांगों पर ब्लैक कलर की पैंटी कसी हुई थी. उनकी चुत एकदम कचौड़ी सी थी जिस वजह से पैंटी एकदम पावरोटी की तरह फूली हुई थी.

मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और बिना एक पल रुके, बुआ की पैंटी के ऊपर से बुआ की चूत को मुँह में लेकर दांत गड़ा दिए.

बुआ ने एकदम से तड़फ कर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए ‘आआह हहह ..’ की आवाज निकाल दी.

मैंने बुआ की पैंटी को खोला तो देखा कि बुआ की चिकनी रसीली चूत पूरी नमकीन पानी से भरी हुई थी.
जिस चूत के लिए मैं रोज रात मुठ मारता था, आज वो मेरे सामने खुली हुई थी और मेरे लंड को लेने को रेडी थी.

मेरा जी तो कर रहा था कि बुआ की चूत के साथ कुछ देर और खेल लूं.
लेकिन बुआ ने अपनी जल्दी चुदाई करने को लेकर अपनी दोनों टांगें फैला दीं और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में घुमाने लगीं. फिर चुत के छेद में लंड का सुपारा रख दिया.

मैंने जोश में पूरी ज़ोर के साथ बुआ की चूत में लंड घुसा दिया.
मेरा लंड चुत में क्या घुसा … बुआ ज़ोर से चिल्ला दीं- आआह … मर गई मम्मी रे आऐ ययई … इस्सस्स.

मैंने जल्दी से बुआ का मुँह बंद कर दिया और आधा लंड बाहर निकाल फिर से ज़ोर से पेल दिया.

‘ओ मर गई रे … आह साले ने फाड़ दी मेरी … उम्मर ऊहह.’
बुआ की आंखें आंसुओं से भर गई थीं.

फिर भी मैं नहीं रुका, धकापेल शॉट मारता रहा. मेरे हरेक शॉट पर बुआ की चूचियां उछल उछल कर चुदाई की कहानी कह रही थीं.

बस कुछ ही देर का दर्द हुआ उसके बाद बुआ मजा लेने लगीं- आह और ज़ोर से कुलजीत … चोद दे आज आह … मजा आ गया.

बुआ की मादक आवाजों ने मेरी कमर की गति को खुद ही रफ्तार दे दी थी और मैं ज़ोर ज़ोर से बुआ की चूत चोदने में लगा था.
पूरे कमरे में चूत चुदने की आवाज़ गूंजने लगी थी.

बुआ को लगा होगा कि ये मेरी पहली चुदाई है, मैं ज़्यादा देर तक नहीं टिकूंगा.
मगर मैं पूरे ज़ोर से लगातार 15 मिनट तक उनकी चूत बजाता रहा.
फिर मैंने अपना माल बुआ की चूत में छोड़ दिया.

बुआ मुझसे पहले ही अपनी चुत का पानी छोड़ चुकी थीं.
अब बुआ एकदम शांत हो गई थीं.

मैंने बेड से उठ कर पजामा ठीक करते हुए बुआ को देखा.
वो नंगी बेड पर अपनी दोनों टांगें फैलाए हुए पड़ी थीं. बुआ की पिंक चूत खून निकलने से और भी पिंक हो गई थी, जिसमें से मेरा माल गिर रहा था.
ऊपर बुआ की चोली खुली हुई थी और उनकी चूचियां भी पिंक हो चुकी थीं.

मुझसे रहा न गया और मैंने उनकी चूचियों को फिर से पकड़ लिया. एक को मुँह में ले लिया और दूसरी को दबाने लगा.
फिर बुआ के मम्मों को चोली के अन्दर करके बटन लगा दिए.

मैंने बुआ की पैंटी लेकर उनकी चूत साफ की, फिर उनको पैंटी और पजामा पहनाया.

बुआ उठ कर खुद को ठीक करने लगीं और मैं उनके पास बैठ कर उन्हें देखने लगा.

तब तक घर के सब लोग मन्दिर से आ चुके थे.

दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने दरवाज़ा खोला


मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ. इसकी सच्ची सेक्स कहानियों को पढ़ कर मुझे बहुत मज़ा आता है. इसलिए मैंने भी सोचा कि अपने जीवन के रोचक पल आपके साथ साझा करूं.

चूंकि ये मेरी पहली सेक्स कहानी है इसलिए ग़लती को नजरअंदाज करते हुए इस देसी बुआ सेक्स कहानी का आनन्द लीजिएगा.

जिस वक्त की ये घटना है, उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी.
मेरी तीनों बुआओं में से दूसरे नंबर वाली रूबी बुआ की शादी होने वाली थी. रूबी बुआ मेरे पिताजी की चचेरी बहन है. संयुक्त परिवार होने के कारण सारा परिवार एक साथ एक बहुत बड़ी हवेली नुमा घर में रहता है.

हम लोग बचपन से साथ रहते आए थे. मैंने अपनी पढ़ाई भी रूबी बुआ के साथ ही की थी. लगभग हम उम्र होने के कारण हम दोनों हमराज़ दोस्त की तरह हैं. मेरी रूबी बुआ मुझसे तीन साल बड़ी थीं.

पूरे गांव में मेरी रूबी बुआ की खूबसूरती के चर्चे हुआ करते थे. रूबी बुआ सच में बहुत सेक्सी और बहुत सुंदर थीं.

बुआ की जवानी में उनकी फिगर का नाप 34डी-28-36 का था. बुआ एकदम दूध सी गोरी और कटरीना कैफ़ जैसी लगती थीं. जबकि फेमस पोर्न ऐक्ट्रेस मीया खलीफा जैसी क्यूट चेहरे वाली माल लगती थीं.

उनके बदन पर हर तरह की ड्रेस सुंदर लगती थी. जब भी वो बाहर जाती थीं, तो लोग एक नज़र देखने के लिए बेताब रहते थे.

मैं भी अब जवान होने लगा था. धीरे धीरे मुझे भी बुआ की जवानी लुभाने लगी थी.
अपनी इसी चढ़ती जवानी में मैंने पहली बार बुआ की लाल रंग की पैंटी में अपना लंड हिला कर उसका माल टपकाया था.

धीरे धीरे अब मैं उनसे ज्यादा क्लोज़ होने लगा था और उन्हें टच करने के बहाने खोजने लगा था.

उनकी मोटी-मोटी जांघें हों, पतली कमर हो या उठी हुई गांड हो … मैं हर जगह रूबी बुआ को टच कर चुका था.

पहले तो मैं बाथरूम में मुठ मारता था. अब मैं उनकी पैंटी चोरी करके अपने बिस्तर में लेट कर रात भर पैंटी को लंड के ऊपर लपेट कर उसमें कम से कम दो बार मुठ मारा करता था.

जिस समय मैं लंड हिलाता था, उस समय मेरी आंखों में बस बुआ की मदमस्त जवानी ही छाई रहती थी और मैं उनकी चूचियों के बारे में सोच कर लंड हिला लेता था.

कुछ दिन बाद मेरी बुआ को भी कुछ कुछ शक होने लगा था.
अब वो भी मेरे साथ और खुलने लगी थीं.
वो मुझे लड़कियों की प्रॉब्लम्स और अपनी पसंद और ना पसंद खुल कर बताने लगी थीं.

उन्होंने अपनी शादी के बारे में बताया कि उनकी शादी तय हो गई है.
मुझे भी मालूम था मगर उनकी शादी तय हो जाने की बात सुनकर मुझे न जाने क्यों बहुत गुस्सा आ गया.
मैं अपने रूम में जा कर लेट गया.

उस दिन बुआ मुझे मनाने मेरे रूम में आईं और उन्होंने मुझे पीछे से हग करके कहा- मैं अपने प्यारे बाबू को छोड़ कर नहीं जाऊंगी, जहां जाऊंगी साथ लेकर ही जाऊंगी.

बुआ ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भरा और मेरे गाल पर अपने चिकने गाल से टच कर दिया. फिर लंबी सी किस करते हुए टाइट हग कर लिया.

जब बुआ ने मुझे हग किया तो उनकी दोनों मुलायम और बड़ी बड़ी चूचियों को मैंने अपनी पीठ पर फील किया.
मुझे मजा आ गया.
कुछ देर बाद मैंने बुआ से हंस कर बात कर ली और उनके साथ मजाक करने लगा.

इस तरह से बुआ की पैंटी में मुठ मारते और बुआ के मादक बदन को स्पर्श करते करते उनकी शादी का दिन भी आ गया था.
पर आज तक उनके साथ कुछ करने की मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई थी.

शादी के एक दिन पहले बुआ ने कहा- मेरा सर दर्द हो रहा है, तू मेरे लिए दवा ले आ.

मैं बुआ के लिए सिर दर्द की दवा लेकर उनके रूम में गया.

मैंने देखा कि बुआ आईने के सामने बैठ कर तैयार हो रही थीं. उन्होंने पजामे के ऊपर रेड चोली पहनी हुई थी. उनकी ये चोली बिना ब्रा की साफ़ समझ आ रही थी.
मैं उन्हें कामुकता से देखने लगा.

फिर मैंने उनसे बात करने की कोशिश की तो देखा कि बुआ एकदम उदास बैठी थीं.

मैंने बुआ से उनकी उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा- कुलजीत, तेरे बिना मेरा मन नहीं लगेगा.
मैंने भी कहा- हां बुआ, मैं भी आपके बिना नहीं रह पाऊंगा.

बुआ ने मस्ती भरे अंदाज़ में कहा- तुझे तो सिर्फ़ मेरी पैंटी पसंद है … मैं नहीं.

मैं ये बात सुनकर चौंक गया. और मैं मन ही मन में बोला कि बुआ आपको क्या पता … आपके लिए मैंने कितनी बार मुठ मारी है. आपकी चुत के लिए बेचारा लंड तड़फता है.

मगर सामने से मैं बुआ की बात सुनकर शर्म से सिर झुकाए खड़ा था.

बुआ ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं- मुझे सब पता है.
ये कहते हुए बुआ ने मेरे हाथ को अपनी छाती के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.

मेरे हाथ से बुआ के रसीले मम्मे दबे तो मैं समझ गया कि आज लॉटरी खुल गई बेटा चढ़ जा बुआ के ऊपर और चोद दे इनको.

मैंने छाती से अपना हाथ तुरंत बुआ की गर्दन के पीछे ले गया और उनको अपनी तरफ खींचते हुए उनके होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर किस करने लगा.

बुआ ने कुछ नहीं कहा, वो भी जोश में मेरी गर्दन के पीछे हाथ डालकर मुझे किस करने लगीं.

दो मिनट की किस के बाद मैंने उन्हें ग


ं ले लो ना … एक बार इसको अपने मुंह की गर्मी दे दो. आज तक मैंने किसी के मुंह में लंड नहीं दिया है.

मैं बोली- ये तो है ही चूसने लायक. इसको कौन नहीं चूसना चाहेगी. ऐसा मोटा ताजा रसीला लंड बहुत ही कम मर्दों के पास होता है. तुम उन्हीं में से एक हो।

ये कहते ही मैं उसके लंड पर झुक गयी और उसके लंड को मुंह में पूरा भरकर चूसने लगी.
मैंने अपने शौहर का लंड बहुत चूसा था लेकिन कभी इतना बड़ा लंड मुंह में नहीं लिया था.

समर का लंड मेरे मुंह में समा भी नहीं रहा था. मैं उसे मुंह में लेने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरे बाल पकड़ कर लंड को धकेलने लगा.
मैं पूरा लंड गले तक लेने की खुद ही कोशिश कर रही थी.

मगर समर को अभी भी चैन नहीं था; वो मेरे बालों को खींचते हुए पूरे लंड को अंदर धकेल देना चाहता जबकि उसका लंड पहले ही मेरे गले में जाकर फंसा हुआ था.

दम मिनट तक किसी तरह मैंने उसका लंड चूसा और मेरी हालत खराब हो गयी. फिर उसने मुझे जोर से धक्का देकर पटक लिया.

मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि जेठ के लंड से चुदाई का सपना आज उसका बेटा पूरा करेगा. मैं जानती थी कि समर आज मेरी चूत को फाड़कर रख देगा और मैं भी यही चाहती थी.

फिर उसने मेरी टांगों को पकड़ कर फैला दिया. उसने मेरी दोनों टांगों के बीच उसका मुंह डाला और मेरी चूत को बेतहाशा चूसने और चाटने लगा.

मेरे मुंह से एकदम से सीत्कार फूट पड़े- आह्ह … आह्ह … ओह्ह … समर … मेरे बच्चे … ओह्ह … यही तो चाहती थी मैं … आह्ह … हाह्ह … हाये … ओह्ह … स्स्स … आह्ह और जोर से चूस … आह्ह … मेरी चूत की प्यास मिटा दे … आह्ह … चोद दे … फाड़ दे … आह्ह।

उसके चाटने की वजह से मेरी चूत एकदम से धधक उठी. मैंने मुश्किल से कंट्रोल किया नहीं तो उस रात मैं समर को अपनी चूत में ही घुसा लेती.
मैं बोली- बस कर … अब चोद दे … अपने मोटे लंड से मेरी चूत फाड़ दे … चोद मुझे जल्दी.

वो बोला- हां चाची, मैं आपकी चूत का भोसड़ा कर दूंगा आज!
फिर उसने मुझे कुत्तिया की तरह खड़ी कर दिया और मेरी चूत पर उसका लंड सेट करने लगा।

लंड लगाकर उसने मेरी कमर से मुझे पकड़ लिया और एक जोर का धक्का दे मारा.
उसका लंड मेरी चूत में आधा जा घुसा.

मेरी तो बांछें खिल गयीं. इतने सालों के बाद कोई दमदार लंड चूत में गया था.

फिर उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैंने अपनी चूत को पूरी तरह से ढीली छोड़ दिया ताकि उसका लंड जितना हो सके मेरी चूत में आ सके.
उसने दो तीन झटकों में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया था.

उसका लंड मुझे मेरे पेट में चोट करता हुआ अलग से महसूस हो रहा था. मेरी चूत की दीवारें चरमरा गयी थीं लेकिन ऐसा सुकून मिल रहा था जो जन्नत में भी नसीब न हो.

चूत को केवल लंड चाहिए होता है. मेरी चूत को समर का लंड मिल गया था. लंड इतना दमदार था कि मेरी चूत से खुशी के आंसू गिरने लगे थे.
मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और वो पच पच की आवाज के साथ समर के लंड से चुद रही थी.

उसने दस मिनट तक मुझे कुतिया बनाकर चोदा.
फिर उसने मुझे बेड के नीचे धकेल दिया; मुझे दीवार के साथ ले गया और मेरी एक टांग उठाकर अपनी कमर पर रखवा ली और नीचे से अपना लंड मेरी चूत में चढ़ा दिया.

नीचे ही नीचे धक्के देते हुए वो मेरी चूत में लंड को नापने लगा. मेरी चूचियां उसके हर धक्के के साथ फुटबाल की तरह उछल जाती थीं.
मेरी चूत अंदर तक तृप्त हो रही थी.

फिर वो मेरी चूचियों को काटते हुए चोदने लगा.
अब मुझसे रुका न गया और मैं झर झर झरने की तरह कामरस की धारा बहाने लगी.
मेरी चूत का रस पच पच … होती चुदाई के साथ ही मेरी जांघों पर बह निकला.

अब समर ने मुझे बेड की ओर धक्का मारा और झुकाकर पीछे से मेरी चूत में लंड दे दिया.
वो पीछे से मुझे चोदने लगा. मेरा सिर बेड से टकराते हुए धम धम कर रहा था. मगर वो मुझे चोदे जा रहा था.

उसका लंड अब मुझे चूत में बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं दर्द से कराहने लगी थी.
फिर पांच मिनट तक किसी तरह मैंने उसको बर्दाश्त किया और वो भी मेरी चूत में झड़ता हुआ मेरे ऊपर लेट गया.

इस घमासान चुदाई के बाद मेरा अंग अंग समर को दुआ दे रहा था. ऐसी चुदाई न जाने कितने सालों के बाद हुई थी.
मैं तो समर की दीवानी हो गयी.

उसके बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे लिपट कर सो गये.

तीन चार दिनों तक जब तक कि मेरा बेटा वापस न आ गया मैं अपने जेठ के बेटे से खूब चुदी.
हम दोनों ने खूब इंजॉय किया.

फिर सबके आने के बाद भी हम स्टोर रूम में चुदाई कर लेते थे.


रही थी उसमें से!

फिर अगले दिन मैंने वही किया.
मैं जानबूझकर अपने कपड़े भूल गयी. कुछ देर बाद मैंने दरवाजा खोल दिया. मैंने आधा दरवाजा खोला था ताकि उसको ये लगे कि दरवाजा अपने आप ही हल्का सा खुल गया है.
मैंने समर को मेरे कपड़े लाने के लिए कहा.

मैं अपनी गांड को उसकी ओर करके नहाने लगी. मैं जानती थी कि बाहर से वो मुझे देख सकता था. मैं नहाती रही और वो कुछ नहीं बोला.

फिर मैं अचानक से उसकी तरफ घूमी तो वो दूसरी ओर घूम गया और एकदम से बोला- चाची … ये … ये आपके कपड़े लीजिये.
मैंने दरवाजा ढालकर मुस्कराकर कपड़े उसके हाथ से ले लिये. मैंने उसको अपनी गांड के दर्शन करवा दिये थे और उसने वो पूरा नजारा लिया.

अगले दिन तकरीबन 10 बजे वो उठकर चाय पी रहा था। तब मैं उसके सामने झुक झुककर झाड़ू पौंछा लगा रही थी.
मैंने देखा कि वो घूर घूरकर मेरे चूचों को देख रहा था.

तो मैंने उससे कहा- समर, मुझे आजकल रात में डरावने सपने आते हैं. मैं अकेली हूं और डर जाती हूं. अपने पापा से बोलकर तुम आज मेरे रूम में ही सो जाना. नहीं तो मैं रातभर जागती रहूंगी.

वो बोला- ठीक है चाची. मैं सो जाऊंगा.
अब मेरा काम हो गया था. आज मैं किसी भी हाल में रात को उसका लंड अपनी चूत में लेने वाली थी.

फिर वो रात को शॉर्ट्स पहन कर मेरे रूम में आया.
वो पूछने लगा- मैं कहां सोऊंगा?
मैं बोली- मेरे बेड पर ही सो जाना. तुम तो मेरे बेटे जैसे ही हो. तुम्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए मेरे साथ एक ही बेड पर सोने में?

वो बोला- हां, बिल्कुल चाची, मुझे क्या तकलीफ हो सकती है. मैं सो जाऊंगा इसी बेड पर।

मैं कपड़े चेंज करने के लिए बाथरूम में चली गई.
मुझे पता था कि समर को लाल रंग बहुत अच्छा लगता है इसलिए मैंने लाल रंग की ब्रा-पैंटी और मैक्सी पहनी।

जब मैं बाथरूम से बाहर आई तो वो मुझे देखता रह गया।

फिर मैं उसके पास जाकर बैठ गयी. वो टीवी देख रहा था. मैं भी टीवी देखने लगी.

मैं बीच बीच में उसके साथ बातें करने लगी. मैंने पूछा- समर कोई लड़की है तुम्हारी जिन्दगी में?
वो बोला- नहीं चाची, मेरी जिन्दगी में तो अभी कोई नहीं है.
ये कहते हुए भी उसकी नजर मेरे चूचों पर ही जा रही थी.

मैंने अपने चूचों को उसके सामने ही हाथों से एडजस्ट किया.
ऐसा करते ही उसने मेरे चूचों से नजर हटा ली.
मैं बोली- अरे शर्मा क्यों रहा है तू … अगर मन कर रहा है तो देख ले. मैं एक औरत हूं और तू एक जवान मर्द है … ये सब तो आम सी बात है.

वो शर्मा गया. फिर मैं उसके पास आकर बैठ गयी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगी.
मैं बोली- अगर तेरे दिल में कुछ बात है तो तू मुझसे बेझिझक कह सकता है. मैं किसी को नहीं कहूंगी. मुझे तू अपनी दोस्त ही मान ले.

इस पर भी वो कुछ नहीं बोला.
मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लिये हुए ही अपना हाथ उसके शॉर्ट्स के ऊपर उसके लंड की जगह पर टिका दिया और मेरा हाथ ठीक उसके लंड पर जा टिका.

कुछ ही पलों के अंदर उसके लंड में आ रहा तनाव मुझे अपने हाथ पर महसूस होने लगा.
देखते ही देखते उसका लंड नीचे ही नीचे तन गया और मेरे हाथ पर दबाव बढ़ाने लगा.

उसकी सांसें तेज हो गयी थीं. वो अपने तनाव को रोक नहीं पा रहा था क्योंकि मेरी चूचियों की घाटी भी उसके सामने ही खुली हुई थी.
मैं बोली- तेरा मन कर रहा है ना?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था.

फिर मैंने उसका लंड अपने हाथ में उसके शॉर्ट्स के ऊपर से पकड़ लिया. उसका लंड हाथ में लेते ही मेरी चूत में तो खलबली मच गयी. इतना मोटा ताजा लंड था और वो भी एक 19 साल के जवान लड़के का।

मैं उसके लंड को सहलाने लगी और बोली- मुझे पता है तू मुझे चाहता है. तू शर्मा मत. कल मैंने तुझे मेरी पैंटी को सूँघते हुए देख लिया था.
उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा और फिर मैं उसके करीब सरक गयी.

उसके दोनों हाथों को मैंने अपनी कमर पर लपेटा और उसकी गोद में जाकर उसके होंठों पर होंठों रखकर उसे किस करने लगी.
पहले तो उसने साथ नहीं दिया और शर्माता रहा.

फिर मैंने उसके हाथ अपने चूचों पर रखवा दिये और धीरे धीरे वो उनको दबाने लगा. अब उसके होंठ भी खुल गये और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे. वो मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरा रहा था और मैंने उसके शॉर्ट्स में हाथ डालकर उसके लंड को पकड़ लिया था.

अब मैंने अपनी मैक्सी खोल दी. मैं उसके सामने लाल ब्रा पैंटी में थी.

वो मेरी चूचियों पर टूट पड़ा. नया नया जवान हुआ था और उससे इंतजार नहीं हो रहा था.

फिर उसने मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाया. मेरी चूत को हाथ से सहलाया.
मेरी चूत पहले से ही गीली होना शुरू हो गयी थी.

फिर मैंने अपनी ब्रा उतार डाली. अब वो मेरे मम्मों को चूसने लगा बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह। बीच बीच में वो निप्पलों को काट भी लेता था।

तब हम दोनों पूरे नंगे हो गए। मैं उसका लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी।

वो बोला- मुंह में नहीं लोगी मेरी जान … मुंह मे


, मेरा नाम रिजवाना है। मेरी उम्र 40 साल है. मैं एक शादीशुदा औरत हूं. हमारी ज्वाइंट फैमिली थी और घर में मेरे और मेरे शौहर व बेटे के अलावा मेरा जेठ, जेठानी, उसकी बेटी और बेटा भी रहते थे.
मेरी शादी के बाद से ही मेरे शौहर ज्यादातर काम की वजह से बाहर ही रहते थे।

यह कहानी सुनकर मजा लें.

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अब मैं आपको अपने बारे में बता दूं कि मेरा रंग गोरा है. मेरा साइज 38-32-36 का है.

बच्चा होने के बाद मेरे शौहर मुझे वो मजा नहीं दे रहे थे जो पहले दिया करते थे. अब उनको भी मेरी चूत में कम मजा आने लगा था. वो चुदाई भी कम करने लगे थे. मैं अब अक्सर प्यासी ही रहती थी.

वैसे भी मेरे शौहर ज्यादा समय तो काम के कारण बाहर ही रहते थे. जब घर में होते तब भी ज्यादा चुदाई नहीं करते थे.

जब मेरा मन चूत में उंगली करने का करता तो मैं अपने जेठ और जेठानी की चुदाई देखा करती थी. मैं उनकी चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली किया करती थी.

उनकी चुदाई देखने के लिए मैं देर रात तक जागा करती थी. मेरे शौहर के मुकाबले मेरे जेठ का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा था और उसके शरीर में ताकत भी काफी ज्यादा थी।

कई बार मैंने अपने जेठ को पटाने की कोशिश भी की थी. उसकी बीवी यानि कि मेरी जेठानी उससे बहुत खुश रहती थी. इसलिए वो मेरी तरफ ज्यादा ध्यान भी नहीं देता था.

फिर ऐसे ही वक्त गुजरने लगा और हम दोनों के बच्चे बड़े होने लगे. मेरी चूत को मैं जैसे तैसे करके शांत करती रही. कभी गाजर मूली से काम चलाती तो कभी उंगली या बेलन से।

हमारी जवानी ढलने लगी और बच्चों में जवानी आने लगी.
मेरे जेठ का बेटा अब 19 साल का हो गया था. मेरा बेटा भी उसी की उम्र का हो गया था.

मेरी चूत की आग अभी भी वैसे ही जलती रहती थी.

मेरे जेठ की जवानी भी ढल गयी थी मगर अब घर में कई जवान बच्चे हो गये थे.

एक बार की बात है कि मेरी जेठानी उसके मायके में गयी हुई थी. उसकी बेटी भी साथ में गयी थी. जबकि उसका बेटा समर घर में ही था. वो मुझे चाची कहता था.
इधर मेरा बेटा अपने पिता के साथ ही कुछ दिन के लिए बाहर चला गया था.

मेरा जेठ सुबह जाता था और शाम को घर लौटता था. घर में मैं और समर ही रहते थे. मैं ही उसके लिए खाना बनाती थी. उसके कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं.

समर की आदत थी कि वो अक्सर वो जब नहाने के लिए जाता था तो तौलिया भूल जाता था. फिर वो अपनी अम्मी को आवाज लगाता था.

उस दिन भी ऐसा ही हुआ।
वो नहाने गया लेकिन तौलिया नहीं ले गया. उसकी अम्मी तो घर में थी नहीं तो उसने मुझे आवाज लगाई- चाची, मेरा तौलिया ला दो.

मैं उसका तौलिया लेकर गयी. उसने दरवाजा खोला और तौलिया ले लिया. उसने अपने लंड के सामने अपनी लोअर लगा रखी थी.
जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगा तो उसकी लोअर हाथ से छूटकर गिर गयी.

मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी तो वहीं ठहर गयी. उसका लंड बहुत ही लम्बा और मोटा था जो किसी खीरे की तरह उसकी जांघों के बीच में लटक रहा था.

मुझे वो लंड देखते ही ये सोचते देर न लगी कि इसका लंड तो इसके बाप से भी ज्यादा आगे निकल गया है.
मेरे जेठ का लंड भी बहुत मोटा-लम्बा था. मगर समर का लंड तो अभी से इतना लम्बा और मोटा हो गया था.

मैं वहीं पर ठिठक सी गयी और नजर वहां से हटी ही नहीं.
समर अपने लंड को तौलिया से ढकते हुए बोला- चाची जाइये. मैंने तौलिया ले लिया है.

उसने जब मेरा नाम लिया तो मुझे होश सा आया और मैं वहां से आ गयी.
मगर अब मेरी चूत में जबरदस्त खुजली होने लगी थी.

जेठानी का जवान बेटा घर में अकेला था. उसकी जवानी भी चुदाई के लिए तड़प रही होगी. उसको भी चूत चोदने की ललक मची होगी … क्यों न मैं अपनी चूत की प्यास उसी के लंड से ही बुझा लूं?

अब मेरे दिमाग में हर वक्त समर का लंड ही घूम रहा था. उसका मोटा लम्बा बैंगन जैसा लंड मैंने देख लिया था और मुझे अब किसी भी वक्त चैन नहीं था. मैं बस उसके लंड को अपनी चूत में चखना चाह रही थी.

अब मैंने समर को चेक करने का सोचा कि देखती हूं कि ये क्या सोचता है मेरे बारे में?

जब मैं नहाने के लिए गयी तो मैं जानबूझकर अपने कपड़े वहीं बाहर ही छोड़ गयी.

नहाने के बाद मैंने उसे आवाज लगाई.
फिर वो मेरे कपड़े लेकर आ गया.

मैंने उससे नये कपड़े ले लिये पर अपने उतारे हुए कपड़े उसे दे दिये, कहा कि वाशिंग मशीन में डाल दे.
मेरे पुराने पहने हुए कपड़ों में मेरी ब्रा और पैंटी भी थी.
मैंने जानबूझकर उसको वो पैंटी और ब्रा दी थी.

फिर मैंने उसके सामने दरवाजा बंद कर लिया मगर अंदर से लॉक नहीं किया.
मैं जाते हुए चुपके से उसको देखने लगी.

वो मेरी ब्रा और पैंटी को सूंघता हुआ जा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.
मुझे पता चल गया कि वो भी चूत के लिए प्यासा है. अब मेरा काम बहुत आसान था.

उस दिन तो मुझे फिर मौका नहीं मिला लेकिन उसने अपना मौका नहीं छोड़ा.
बाद में मैंने देखा कि मशीन में पड़ी उस पैंटी पर उसके लंड का माल लगा हुआ था और उसके लंड के माल की खुशबू भी आ


क धक्के के साथ उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

दीदी की हल्की आह्ह निकली और उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
मैं लेटते ही दीदी की चूत में लंड के धक्के मारने लगा.
दीदी की चुदाई का पहला मजा मिल रहा था मुझे।

मुझे मजा आने ही लगा था कि दीदी ने मुझे रोक दिया।
वो बोली- अलमारी से कंडोम निकालकर पहन लो!

मैं गया और जल्दी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर पहन लिया.

मेरे लंड में इससे पहले मैंने इतना तनाव महसूस नहीं किया था। कंडोम पहनने के बाद फिर मैंने चोदना शुरू किया।
दीदी भी मस्त होकर चुदने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

दीदी की चूत में लंड को पेलते हुए अब मैं दीदी की चूचियों पर मुंह लगाकर धक्के लगा रहा था.
कसम से दोस्तो, ममेरी बहन की चुदाई में इतना मजा मिलेगा मैंने सोचा नहीं था।

मैंने पांच सात मिनट तक दीदी की चुदाई की और फिर मेरा माल निकल गया और मैं दीदी के ऊपर लेटकर हांफने लगा.
उसने मुझे प्यार से सहलाया और फिर अपने ऊपर से उठा दिया.

कुछ देर तक मैं लेटा रहा और फिर वो उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।
मैंने भी कॉन्डम उताकर फेंका और फिर खुद को साफ करके अपने कपड़े पहन लिये।

उस दिन मैंने दीदी को चार बार चोदा।
जीजा जी सुबह ऑफिस चले जाते थे और फिर मैं रोज़ नेहा दीदी को चोदता था।
दीदी अब नहाने के बाद बिना कपड़ों के ही मेरे सामने घूमती रहती थी।

मुझे अब वहां बहुत मजा आ रहा था. नेहा दीदी की बहुत सी नंगी फोटो और वीडियो मेरे मोबाइल में थीं।
मुझे अब दिल्ली में बहुत अच्छा लगता था।

दीदी की चुदाई रात को जीजा जी करते थे और सुबह मैं चोदता था। करीब 7 महीने बाद जीजा ने मेरे फोन से हम दोनों के फोटो देख लिए।

फिर उन्होंने नेहा दीदी को खूब मारा और मेरी भी खूब पिटाई हुई।
उनको बदनामी का डर लग रहा था; उन्होंने कहा कि ये बात कहीं और नहीं फैलनी चाहिए।

जीजा जी मेरे लिए फिर अलग कमरे का इंतजाम करने लगे। अब वो मुझसे नाराज भी रहने लगे।

उनके ऑफिस जाने के बाद मैं और नेहा अलग अलग कमरे में रहते थे. आपस में कुछ बात भी नहीं करते थे।

रात को जीजा जी अपना कमरा खुला रखकर दीदी को चोदते थे।

एक बार रात को जीजा जी ने मुझे कमरे में बुलाया। उस समय वे दोनों नंगे थे।
जीजा जी ने अंडे उबालकर लाने को कहा।
मैं अंडे उबाल कर ले आया।

जीजा जी ने उसे टेबल पर रखने को बोला और नेहा दीदी को चोदना शुरू कर दिया।
वो पूरी ताकत से दीदी के दूध दबाने लगे जिससे उनकी चीख निकाल रही थी।

चोदने के बाद मुझसे जीजा जी ने दारू के पैग बनाने को कहा.
फिर उन्होंने दारू पी और मुझे भी पिलाई.
अब उन्होंने अपने सामने ही मुझसे दीदी को चोदने के लिए कहा।

मैंने कपड़े उतार दिए और मैं नेहा दीदी के पास गया. उनके दोनों दूध मैं मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर मैंने उनको मज़े से चोदा।

जीजा जी नेहा दीदी को रण्डी बोल बोलकर गाली दे रहे थे।

सुबह तक फिर हम तीनों नंगे लेटे थे.
और वो फिर हम दोनों को बिना बोले ऑफिस चले गए।

मैं और नेहा दीदी बेड पर नंगे ही लेटे थे। अब अधिकतर रात को जीजा जी पीने के बाद मेरे साथ में नेहा की ठुकाई देखकर मज़े करते थे।

नेहा दीदी अब हर जगह नंगी घूमा करती थी। जीजा जी और मैं टीवी देख रहे होते थे तो भी नेहा दीदी नंगी आकर सोफे पर बैठ जाती थी.
उसको ऐसे देखना अब आम बात हो गई थी।

जीजा जी मुझसे कहते कि जिस दिन तुम शादी करोगे उस दिन तुम्हारी बीवी को खूब चोदूंगा।
नेहा भी ये सुनकर खूब हंसती थी।

इस तरह से हम तीनों की दोस्ती हो गयी और अब दीदी हम दोनों से चुदने लगी।


यादा खुल गयी थी. पहले तो वो अपने कपड़ों का ध्यान रखती थी लेकिन अब वो कई बार घर में ब्रा में ही घूमती रहती थी.

वो ब्रा पहनकर घर के काम करती थी। मैं उनसे बाते करते करते उनके दूधों को घूरता रहता था।
जब भी वो तेल लगवाती थी तो ऊपर ब्रा और नीचे स्कर्ट या हॉफ पैंट पहनकर रखती थीं।

एक दिन नहाने के बाद दीदी ने एक नई ब्रा पहनी थी और नीचे तौलिया लपेटे हुए थी।
उस दिन भी दीदी मसाज के लिए कहने लगी. उसने मुझे आवाज लगाई और चटाई पर उल्टी लेट गई।

मैं तेल लेकर दीदी की मसाज करने के लिए आ गया।
दीदी की गांड बहुत सेक्सी लग रही थी. पीछे से मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब दीदी के ऊपर चढ़ जाऊं।

मैंने तेल लगाना शुरू किया तो दीदी ने ब्रा नहीं खोली.
उनकी ब्रा की पट्टी पर तेल लग गया तो मैंने उनको बताया.
वो बोली- ब्रा को खोल दे। फिर आराम से मालिश कर देना।

मैंने दीदी की ब्रा के हुक को खोल दिया. अब पूरी पीठ पर कोई कपड़ा नहीं था। पूरी पीठ पर मैंने तेल लगाया। तेल लगाते लगाते मेरा हाथ उनके दूध तक छू जाता था।

उस दिन मेरा लंड बहुत देर तक तड़पता रहा. जब तक दीदी मसाज करवाती रही तब तक मेरे लंड में तनाव बना रहा और मेरा लंड पानी छोड़ता रहा.
उस दिन मैंने सोच लिया कि एक दीदी चुद ही जायेगी।

अब रोज ही मैं मसाज करते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल कर ऑयल लगाने लगा।

एक दिन मैं तेल लगा रहा था कि तभी किसी का कॉल आया। मेरे हाथ में तेल लगा था और फोन बेड पर था।
हम लोग बेड के बगल में ही थे।

नेहा दीदी ने कहा- रुको … मैं फोन उठाती हूं।
उन्होंने अपने एक हाथ से फोन उठाना चाहा लेकिन फोन हल्का सा दूर था, तो उसने थोड़ा और लेटे लेटे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाया।

उनका चूचा इससे हवा में झूल गया. पहली बार मुझे दीदी के चूचे नंगे देखने को मिले।
एकदम से मेरा लंड फनफना उठा. दीदी की चूचियों का ऊपरी उभार मैंने बहुत बार देखा था लेकिन आज दीदी के निप्पल भी दिख गये थे.

मैं तो पागल सो हो गया था। एकदम से सेक्स चढ़़ गया मुझे।

देखा तो दीदी की सहेली का फोन था और दीदी फोन पर बात करने लगी।
इस बीच मैं दीदी की चूचियों को छूने लगा.

उसका ध्यान भी इस ओर गया लेकिन वो फोन पर बात करती रही. उसको मजा आ रहा था लेकिन वो फोन पर बस हां या ना में जवाब दे रही थी.

दो तीन मिनट के बाद फोन कट गया।

फिर अब मैंने सही से तेल लगाना शुरू कर दिया। मेरा हाथ पीठ से होते हुए उनके सीने को छूने लगा।
अब वो हल्की गर्म होना शुरू हो गई थी। मेरे हाथ बार बार उसके दूध को छूकर आ रहे थे।

मैं अपने हाथ को दीदी के दूध के नीचे तक ले जाना चाहता था ताकि मेरा हाथ उनके निप्पलों तक पहुंच जाये।
चूचियों को छूने से नेहा दीदी की आंखें अब हल्की हल्की बंद होना शुरू हो गयी थीं।

अचानक वो मेरी तरफ पलट गई और उनके दूध मेरे सामने आ गए।
मैंने हल्के हाथों से उनके दूध की मसाज करना शुरू कर दिया. मैं डर रहा था कि दीदी कहीं एकदम से गुस्सा न हो जाये लेकिन वो शायद गर्म हो चुकी थी और चाहती थी कि मैं उनके दूध पर मसाज करूं।

मसाज करते हुए मैंने अब दूध को दबाना शुरू किया।
दीदी अब भी चुपचाप लेटी हुई मसाज करवा रही थी।
5 मिनट बाद मैं कसकर दीदी के दूध दबाने लगा.

अब मुझसे रुका न गया क्योंकि दीदी के मुंह से अब हल्की हल्की आह्ह निकलना शुरू हो गयी थी.
मैंने अब परिणाम की परवाह किये बिना अपने होंठों को दीदी के दूधों पर कस दिया और मुंह लगाकर दीदी के बूब्स को पीने लगा.

वो भी जैसे इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। उसकी आँखें बंद थीं और वो मेरे सिर के बालों को सहलाने लगी. उसके मुंह से अब आहें निकल रही थीं.

अब मैं पूरे जोश में आ गया था. मैं दीदी के बदन को चूमने लगा और फिर मैंने उसका तौलिया भी खोल दिया.

तौलिया खुलते ही दीदी नीचे से नंगी हो गयी. दीदी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी. इसलिए तौलिया हटाते ही मुझे दीदी की चूत नंगी मिली।

मेरा मुंह एकदम से सूख गया. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी की चूत इस हालत में देखने को मिलेगी.

उसकी चूत देखकर मैं पागल हो गया और मैंने सीधा उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटना शुरू कर दिया.
दीदी मेरे सिर को सहलाने लगी और अपनी टांगों को खोलने का प्रयास करते हुए मेरी जीभ को चूत में देने का इशारा करने लगी।

मैंने भी दीदी का इशारा समझा और दीदी की चूत में जीभ देकर चूसने लगा।
अब मैंने नेहा की चूत में उंगली डाल दीं और उसकी सिसकारी फूट पड़ी- आह्ह … स्स् … ओह्ह .. क्या कर रहा है … प्रतीक … आह्ह!

दीदी की चूत में उंगली करते हुए मैं बोला- आह्ह … दीदी … बस … आज मत रोको … आह्ह … दीदी … कितनी मस्त चूत है आपकी … आआह … पी जाऊंगा इसे!

मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था। इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं सकता था. दीदी की चूत को उंगली से चोदने के बाद अब मेरा लंड पूरा गीला हो चुका था।

उठकर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया।
मैंने तुरंत अपना लन्ड नेहा की चूत पर रखा और ए


सेक्स स्टोरी जो मैं अब बताने जा रहा हूं ये लगभग 3 साल पुरानी है। तब नेहा की उम्र 26 साल थी। वो मुझसे कई साल बड़ी थी। नेहा बहुत हॉट हुआ करती थी और उसके दूध बहुत मोटे थे। उसकी गान्ड चलते समय मस्त तरीके से हिलती और मटकती थी।

नेहा दीदी की शादी एक मोटे से आदमी से हुई थी। उसका पति सरकारी नौकरी करता था और दिल्ली में उसकी जॉब थी।
वो लोग सरकारी क्वार्टर में रहते थे। जहां केवल 2 कमरे थे।

वहां पर केवल वही दोनों रहते थे। जीजा जी के घर वाले अपने भोपाल वाले पुश्तैनी घर पर रहते थे।

उनकी शादी के 1 साल बाद ही मैं दिल्ली पढ़ने चला गया।

मुझे कॉलेज में पढ़ाई करनी थी और वहीं पर रहना था. मगर कॉलेज में हॉस्टल खाली नहीं था. जगह नहीं खाली होने के कारण मैं दीदी जीजाजी के साथ ही रहने लगा।

घर में दो कमरे थे और उनमें से एक कमरे में मैं रहने लगा. दूसरे में जीजा जी और नेहा रहने लगे।

रात के वक्त कभी कभी मुझे नेहा दीदी की चुदाई की हल्की हल्की आवाज़ें आती थीं।
दीदी जीजा चुदाई की आवाजें सुनकर फिर मेरा लन्ड खड़ा हो जाता था।

अब मुझे वहां पर रहते हुए एक महीने से ज्यादा हो चुका था।
मैं भी रात को ब्लू फिल्म देखता और दीदी की चुदाई की आवाज़ सुनकर मुठ मारता था।

जीजा जी मुझसे 10 साल बड़े थे और नेहा दीदी 6 साल बड़ी थी। मैं उन लोगों से काफी छोटा था। जीजा जी मुझसे बहुत मज़ाक करते थे।
कई बार वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछकर मज़ाक किया करते थे।

धीरे धीरे दिन गुजरने लगे. मुझे वहां रहते हुए छह महीने हो गये. दिल्ली की गर्मी तो आपको पता ही है.

उस वक्त दिल्ली में भयंकर गर्मी पड़ रही थी. हमारे यहां ए.सी. नहीं था बल्कि कूलर ही था।

एक दिन जीजा जी ने नेहा दीदी से कहा- घर में हल्के कपड़े पहना करो। इतनी गर्मी हो रही है।

दीदी कुछ दिनों बाद हाथों पर से खुला हुआ टॉप और हाफ स्कर्ट पहनने लगी।
मगर कोई जब बाहर से आता था तो दीदी अपने कपड़े बदल लेती थी. जीजा को इससे कोई दिक्कत नहीं थी.

नेहा दीदी की वो ड्रेस बहुत छोटी लगती थी। उनका आधे से ज्यादा सीना खुला रहता था। बिना झुके भी दीदी के दूध हल्के हल्के दिखते रहते थे। स्कर्ट भी ढीली सी और बहुत छोटी सी थी।

दीदी उस ड्रेस में बहुत सुंदर लगती थी। उनसे बात करते करते मेरी नजर उनके सीने पर चली जाती थी। वो भी मुझे देख लेती थी। मगर कुछ रिएक्ट नहीं करती थी।

हमारे घर में बाथरूम मेरे ही कमरे के बाहर था इसलिए जो भी नहाकर बाहर आता था तो उसी कमरे के सामने से होकर गुजरता था।

एक दिन ऐसे ही दीदी नहाकर मेरे कमरे के सामने से जा रही थी। मैंने देखा कि उन्होंने ऊपर टॉप पहना हुआ था और नीचे तौलिया लपेटा था। टॉप के अन्दर शायद वो ब्रा नहीं पहने हुए थी इसलिए चलते समय उनके दूध उछल रहे थे।

फिर वो कमरे में चली गयी.

मैंने सोचा शायद वो पूरे कपड़े पहन चुकी होंगी किंतु जब मैं उनके कमरे में गया तो देखा कि वो वही सब पहने हुए थी।

वो तौलिया लपेटे हुए अपने रूम में बैठकर सब्जी काट रही थी. उनके बूब्स के उभार साफ नजर आ रहे थे। उनकी चूचियों को देखकर मेरी पैंट के अंदर ही मेरा लंड टाइट होने लगा।

मैं बेड पर बैठकर उनसे बातें करने लगा और न चाहते हुए भी मेरी नज़र उनके दूध पर जाकर टिक जाती थी।
नेहा दीदी ये सब बार बार देख रही थी।

दीदी की चूची देखकर मेरा मन उनको दबाने के लिए कर रहा था. मैं उत्तेजित हो रहा था. मेरा वहां पर बैठना ठीक नहीं था क्योंकि मेरे मन में दीदी के लिए सेक्स के ख्याल आ रहे थे इसलिए मैं वहां से आ गया.

जब से दीदी ने वो छोटे कपड़े पहनना शुरू किया था तब से ही मेरा आकर्षण दीदी की ओर बढ़ता जा रहा था।
अब वो घर में कपड़ों के अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनती थी। मुझे अब कभी उसकी पैंटी और ब्रा बाथरूम में या कपडों में सूखती हुई नहीं दिखती थी.
अब वो केवल स्कर्ट और टॉप या हल्के कपड़े ही पहनकर काम करती थी।

कई दिन से दीदी कह रही थी उसको अपने सिर में तेल की मसाज करवानी है।

एक दिन मेरी छुट्टी थी और दीदी ने नहाने के बाद मुझे अपने रूम में बुलाया और उसके सिर की मसाज करने के लिए कहने लगी.
मैंने दीदी के सिर की मसाज की। दीदी को बहुत आराम मिला.

एक दिन फिर वो कहने लगी कि जैसे सिर की मसाज की थी वैसे ही मेरी पीठ की मसाज भी कर दे।
दीदी ने मुझे रूम में बुला लिया और बेड पर लेटकर अपना टॉप निकाल दिया.

आज दीदी ने नीचे से ब्रा भी पहनी हुई थी।
उनकी ब्रा फुल साइज की थी जिसमें से उनके दूध और अच्छे से दिख रहे थे।

दीदी ने ब्रा पीछे से खोल दी।
उनकी पीठ बहुत ही मुलायम और चिकनी लग रही थी.

मैंने नेहा दीदी की पूरी पीठ पर तेल लगाया और पैरों पर भी तेल लगाया।
मैं धीरे धीरे मसाज करने लगा.

मैंने दीदी की पीठ को सहला सहलाकर मसाज की; उसके पैरों की मालिश की।
दीदी को बहुत आराम मिला और जब वो मसाज करवाकर उठी तो वो मुस्करा रही थी. फिर उसने मुझे थैंक्स बोला।

उस दिन के बाद दीदी अब मुझसे काफी ज्


हुई थी. मैं अब अपनी स्पीड बढ़ा रहा था.
स्नेहा आह आह आह कर रही थी.

मुझे बहुत मजा आने लगा था. मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.

मैं अब झड़ने वाला था. दिल तो कर रहा था कि उसकी चूत में ही पानी छोड़ दूं.
पर कुछ हो न जाए इस डर से मैंने लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में पकड़ कर झड़ गया.

फिर बाथरूम में जाकर मैंने सब धो लिया. मैं रूम में आ गया. स्नेहा अभी तक उसी हालत में सोई हुई थी.
मैं उसके बाजू लेट गया और उसका एक पैर मेरे ऊपर ले लिया, जिससे मेरा लंड उसके चूत को टच कर रहा था.

कुछ आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने फिर से स्नेहा को चोदना शुरू कर दिया. इस बार में बिना किसी डर के उसे चोदे जा रहा था.

करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी.
मैं जैसे जैसे धक्के मारता तो पच पच करके आवाज आती.

मैं अब स्नेहा को चोदते चोदते उसके बदन पर लेट गया था. वो मुझे टाइट पकड़ कर चुदवा रही थी. उसके नाखून मुझे चुभ रहे थे. मैं उसके मम्मे चूस रहा था और साथ ही साथ उसे जोर जोर से चोद भी रहा था.

कुछ देर बाद मेरा पानी निकालने ही वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसने झट से उठ कर लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूस कर सारा पानी पी गई. फिर चाट चाट कर मेरा लंड साफ भी कर दिया.

तब से 3 महीनों तक लगातार मैंने अपनी हॉट बहन को चोदा.

अभी 2 दिन पहले वो वापिस अपने शहर भोपाल चली गई. उसे जाने का बिल्कुल दिल नहीं था, पर जाना पड़ा.

जिस दिन स्नेहा चली गई .. उस दिन से चाचा का काम-काज कुछ हद तक शुरू हो गया था. इसलिए 2 दिन से दिन के समय मैं चाची के साथ सोफे पर नंगा ही लेटा रहता हूं. चाची तीन महीने की बची हुई चुदाई पूरी करवा रही हैं.

श्वेता भी एक दो दिन मैं आ जाएगी. तब उसको चाची के साथ एक बिस्तर पर रगड़ कर मजा लूंगा.

स्नेहा ने भी जाते समय उसके लिए अपनी पैंटी और ब्रा रखी है ताकि वो पहने तो मुझे स्नेहा का अहसास हो.

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