*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 16 जुलाई 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - आषाढ़*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 08:33 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:14 जुलाई 17 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - साध्य प्रातः 07:19 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - शाम 04:07 से शाम 05:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 17 से रात्रि 01:07 जुलाई 17 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - कर्क संक्रांति पुण्यकाल सूर्योदय से प्रातः 11:29 तक*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ🔹*
*पूज्य बापू जी के सत्संग-अमृत से संकलित*
*🔸1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।*
*🔸2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔸3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।*
*🔸4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।*
*🔸5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।*
*🔸6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔸7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।*
*🔸8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।*
*🔸9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।*
*🔸10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2018*
*⛅दिनांक - 16 जुलाई 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - आषाढ़*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 08:33 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:14 जुलाई 17 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - साध्य प्रातः 07:19 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - शाम 04:07 से शाम 05:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 17 से रात्रि 01:07 जुलाई 17 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - कर्क संक्रांति पुण्यकाल सूर्योदय से प्रातः 11:29 तक*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ🔹*
*पूज्य बापू जी के सत्संग-अमृत से संकलित*
*🔸1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।*
*🔸2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔸3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।*
*🔸4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।*
*🔸5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।*
*🔸6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔸7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।*
*🔸8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।*
*🔸9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।*
*🔸10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।*
*स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2018*