🌹नरक चतुर्दशी (काली चौदस) की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌹
♦️ *रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि - ३० अक्टूबर*
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐ कमलवासिन्यै स्वाहा ।
सभी के लिए कल्पवृक्ष के समान है। इस मंत्र को यदि कोई नरक चतुर्दशी व दीपावली की रात्रि में जपता है तो लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न होती हैं।
नरक चतुर्दशी ३० अक्टूबर : (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि एवं मुक्तिकारक मुहूर्त का लाभ लें) -पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग से
नरक चतुर्दशी और दीपावली की रात ‘मुक्तिकारक मुहूर्त’ माना गया है, यह जप-तप के लिए श्रेष्ठ है । नरक चतुर्दशी की रात में जप करने से मंत्र सिद्ध होता है । इस रात्रि को सरसों के तेल या देशी घी का दीया जला के उसका काजल उतारकर रखें तो वह काजल लगानेवाले व्यक्ति को नजर नहीं लगती, नेत्रज्योति में फायदा होता है तथा भूतबाधा भाग जाती है ।(ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)
♦️ *तैलाभ्यंग स्नान – ३१ अक्टूबर*
इस दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर तिल के तेल की मालिश करके स्नान करने से नारकीय यातनाओं से मुक्ति होती है । जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभकर्मों का नाश होता है । (ऋ.प्र. अक्टूबर 2010, अंक – 141, पृ. - 21)
♦️ *नरक चतुर्दशी महात्म्य*
काली चौदस (नरक चतुर्दशी) को हनुमानजी ने अहिरावण को मारा था । नरकासुर ने कन्याओंं को कैद कर रखा था । भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और कन्याओं को कैद से छुडाया । हमारे चित्त में भी नरकासुर है । उसका वध हो जाय तो हमारे लिए सदा के लिए दिवाली हो जायेगी । सात्त्विक वृत्तियों को, शुभ भावनाओं को कैद करनेवाला जो अहंकार है, उसका वध श्रीकृष्ण कर डालें अर्थात् श्रीकृष्ण-तत्त्व के ज्ञान-प्रकाश में अगर नरकासुर (अहंकार) मर जाय तो हमारे लिए दिवाली सदा-सदा के लिए होगी । शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी और नरक चतुर्दशी - इन चार महारात्रियों में मंत्रजप करने से शीघ्र सफलता मिलती है ।
♦️ *मुक्तिकारक मुहूर्त*
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) ( 30 अक्टूबर) और दीपावली ( 1 नवंबर ) की रात जप-तप के लिए बहुत मुक्तिकारक मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है । यह रात्रि मंत्र-जापकों के लिए वरदानस्वरूप है । इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दीये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से विशेष लाभ होता है । लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के लिए काली चौदस की रात्रि में ‘श्रीं ह्रीं क्लीं एें कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जप करने से लाभ होता है। परमात्मप्राप्ति की इच्छावाले को काली चौदस की रात्रि में श्रद्धा एवं तत्परता से ‘ॐ का, अपने गुरुमंत्र का अर्थसहित जप करना चाहिए ।(ऋषि प्रसाद : अक्टूबर २०१०)
♦️ *रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि - ३० अक्टूबर*
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐ कमलवासिन्यै स्वाहा ।
सभी के लिए कल्पवृक्ष के समान है। इस मंत्र को यदि कोई नरक चतुर्दशी व दीपावली की रात्रि में जपता है तो लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न होती हैं।
नरक चतुर्दशी ३० अक्टूबर : (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि एवं मुक्तिकारक मुहूर्त का लाभ लें) -पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग से
नरक चतुर्दशी और दीपावली की रात ‘मुक्तिकारक मुहूर्त’ माना गया है, यह जप-तप के लिए श्रेष्ठ है । नरक चतुर्दशी की रात में जप करने से मंत्र सिद्ध होता है । इस रात्रि को सरसों के तेल या देशी घी का दीया जला के उसका काजल उतारकर रखें तो वह काजल लगानेवाले व्यक्ति को नजर नहीं लगती, नेत्रज्योति में फायदा होता है तथा भूतबाधा भाग जाती है ।(ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)
♦️ *तैलाभ्यंग स्नान – ३१ अक्टूबर*
इस दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर तिल के तेल की मालिश करके स्नान करने से नारकीय यातनाओं से मुक्ति होती है । जो इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभकर्मों का नाश होता है । (ऋ.प्र. अक्टूबर 2010, अंक – 141, पृ. - 21)
♦️ *नरक चतुर्दशी महात्म्य*
काली चौदस (नरक चतुर्दशी) को हनुमानजी ने अहिरावण को मारा था । नरकासुर ने कन्याओंं को कैद कर रखा था । भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और कन्याओं को कैद से छुडाया । हमारे चित्त में भी नरकासुर है । उसका वध हो जाय तो हमारे लिए सदा के लिए दिवाली हो जायेगी । सात्त्विक वृत्तियों को, शुभ भावनाओं को कैद करनेवाला जो अहंकार है, उसका वध श्रीकृष्ण कर डालें अर्थात् श्रीकृष्ण-तत्त्व के ज्ञान-प्रकाश में अगर नरकासुर (अहंकार) मर जाय तो हमारे लिए दिवाली सदा-सदा के लिए होगी । शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी और नरक चतुर्दशी - इन चार महारात्रियों में मंत्रजप करने से शीघ्र सफलता मिलती है ।
♦️ *मुक्तिकारक मुहूर्त*
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) ( 30 अक्टूबर) और दीपावली ( 1 नवंबर ) की रात जप-तप के लिए बहुत मुक्तिकारक मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है । यह रात्रि मंत्र-जापकों के लिए वरदानस्वरूप है । इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दीये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से विशेष लाभ होता है । लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के लिए काली चौदस की रात्रि में ‘श्रीं ह्रीं क्लीं एें कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जप करने से लाभ होता है। परमात्मप्राप्ति की इच्छावाले को काली चौदस की रात्रि में श्रद्धा एवं तत्परता से ‘ॐ का, अपने गुरुमंत्र का अर्थसहित जप करना चाहिए ।(ऋषि प्रसाद : अक्टूबर २०१०)