*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:41 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मूल प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*⛅योग - सुकर्मा प्रातः 10:51 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:48*
*⛅सूर्यास्त - 05:59*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 06 से रात्रि 12:49 नवम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹*
*(Biological Clock Based on Routine)*
*🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹*
*🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*
*🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹*
*प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹*
*इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।*
*🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹*
*यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।*
*🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹*
*दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।*
*🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹*
*भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।*
*🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹*
*२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*
*🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹*
*इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।*
*🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹*
*इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*
*🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹*
*इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।*
*🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹*
*इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।*
*🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹*
*इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।*
*🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2015*
*⛅दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:41 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मूल प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*⛅योग - सुकर्मा प्रातः 10:51 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:48*
*⛅सूर्यास्त - 05:59*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 06 से रात्रि 12:49 नवम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹*
*(Biological Clock Based on Routine)*
*🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹*
*🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*
*🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹*
*प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹*
*इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।*
*🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹*
*यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।*
*🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹*
*दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।*
*🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹*
*भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।*
*🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹*
*२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*
*🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹*
*इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।*
*🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹*
*इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*
*🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹*
*इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।*
*🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹*
*इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।*
*🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹*
*इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।*
*🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2015*