Title : Sampoorna Ajnabi Shrinkhla संपूर्ण अजनबी श्रृंखला
Author : Novoneel Chakraborty
Publisher : Westland/Yatra
Year : 21 अगस्त 2017
Language : Hindi
Extention : PDF
Page : 572
Quality : SHQ
Price : 90 Rs.
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Product Description : उसकी कोई आवाज नहीं। उसकी कोई शक्ल नहीं। कोई चेहरा, कोई पहचान भी नहीं। सिर्फ मकसद है - सिर्फ मकसद है एक।
गहरा, अंधेरा जंगल था और वो रास्ता भूल गई थी। मुश्किल ये थी कि कोई उसका बहुत देर से पीछा कर रहा था। उसकी हर हरकत, हर कदम पर नजर रखे हुए था। पहले उसे लगा कि उसका ध्यान खीचने के लिए कोई बेवकूफाना खिलवाड़ कर रहा है। पर उसकी जिंदगी खतरे मे थी।
उसकी आंखों को इस अंधेरे की आदत थी। वो दौड़ती रही, बिना किसी दिशा के। वो उस इंसान की शक्ल देख नही पा रही थी जो उसके पीछे दौड़ रहा था, लेकिन फिर भी उसे लग रहा था कि जैसे ही वो रुक गई, पकड़ी जाएगी। इसलिए वो दौड़ती रही, तब भी दौड़ती रही जबकि उसके पैर थकने लगे थे। सांस लेने के लिए वो एक लम्हे के लिए रुकी, और उसने पीछे घूमकर देखा। दूर सूखे हुए पत्ते खड़खड़ा रहे थे, और डर ने अचानक 𝑅𝑒𝑎𝑑 𝑀𝑜𝑟𝑒
Ꭻᴏɪɴ ➛ @Sahitya_Junction_Official
Author : Novoneel Chakraborty
Publisher : Westland/Yatra
Year : 21 अगस्त 2017
Language : Hindi
Extention : PDF
Page : 572
Quality : SHQ
Price : 90 Rs.
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Product Description : उसकी कोई आवाज नहीं। उसकी कोई शक्ल नहीं। कोई चेहरा, कोई पहचान भी नहीं। सिर्फ मकसद है - सिर्फ मकसद है एक।
गहरा, अंधेरा जंगल था और वो रास्ता भूल गई थी। मुश्किल ये थी कि कोई उसका बहुत देर से पीछा कर रहा था। उसकी हर हरकत, हर कदम पर नजर रखे हुए था। पहले उसे लगा कि उसका ध्यान खीचने के लिए कोई बेवकूफाना खिलवाड़ कर रहा है। पर उसकी जिंदगी खतरे मे थी।
उसकी आंखों को इस अंधेरे की आदत थी। वो दौड़ती रही, बिना किसी दिशा के। वो उस इंसान की शक्ल देख नही पा रही थी जो उसके पीछे दौड़ रहा था, लेकिन फिर भी उसे लग रहा था कि जैसे ही वो रुक गई, पकड़ी जाएगी। इसलिए वो दौड़ती रही, तब भी दौड़ती रही जबकि उसके पैर थकने लगे थे। सांस लेने के लिए वो एक लम्हे के लिए रुकी, और उसने पीछे घूमकर देखा। दूर सूखे हुए पत्ते खड़खड़ा रहे थे, और डर ने अचानक 𝑅𝑒𝑎𝑑 𝑀𝑜𝑟𝑒
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