विश्व हिंदू परिषद वाले है शंकाराचार्य जी नही क्योंकि शंकाराचार्य जी ने उस समय कांग्रेस और विश्व हिंदू परिषद के सम्मिलित षड़यंत्र का भंडाफोड़ कर दिया था पर धर्म विरुद्ध कार्य का समर्थन नही किया।
●1989 में हुए चुनाव के केन्द्र में वी पी सिंह की जनता दल की सरकार भाजपा के बाहर से समर्थन से बनी और उत्तर प्रदेश राज्य में वी पी सिंह के पार्टी जनता दल से मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बन गया था।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी सरकार के समय में कश्मीरी पण्डितो को कश्मीर में मारा गया तब इसी भाजपा की सरकार केंद्र में थी और मुफ़्ती मोहम्मद सईद इनका गृहमंत्री था।
● इधर संतों का जो पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था जिसका चुनाव से कोई संबंध नहीं था, उसे तो होना ही था संतों ने यह तय किया था कि जगतगुरु के नेतृत्व में उत्तरायण के शुभ मुहूर्त में 7 मई 1990 को अयोध्या में राम मन्दिर का शिलान्यास करेंगे तो करेंगे। तब तक तो केंद्र में वी पी सिंह की और राज्य में मुलायम सिंह की सरकार बन ही चुकी थी।
●30 अप्रैल 1990 को, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शंकराचार्य जी द्वारिका से दिल्ली होते हुए राम जन्मभूमि का शिलान्यास करने के लिए निकल पड़े, वाराणसी होते हुए जैसे ही वो आजमगढ़ पहुँचे उसी समय रात को ही मुलायम सिंह की सरकार ने उनको गिरफ्तार करवा लिया और यह गिरफ्तारी बीजेपी के दबाव में आकर के मुलायम सिंह से वी पी सिंह ने करवाया था क्योंकि बीजेपी के समर्थन से ही केन्द्र में जनतादल की सरकार चल रही थी और बीजेपी ने धमकी दिया था कि यदि उनको गिरफ्तार नहीं करोगे तो हम तुम्हारी सरकार गिरा देंगे और इस धमकी के डर के कारण जनता दल के नेता वी पी सिंह ने अपने नेता मुलायम सिंह को कहा कि उनको अरेस्ट किया जाए।
●बिना किसी आरोप के, बिना किसी गलती के झूठे आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को रात को आजमगढ़ में गिरफ्तार कर लिया और रात भर मिर्जापुर के जंगलों में घुमाती रही, उन्हें उनका दैनिक पूजा संध्या भी नही करने दिया और अंत में रातभर जंगल मे घुमाने के पश्चात सुबह चुनार के किले में ले जाकर बंद कर दिया। वहाँ पर पहले जो थे उन्हें बता दिया गया था कि कश्मीर से एक खूंखार आतंकवादी लाया जा रहा है जो चुनार के किले में बंद किया जाएगा जिससे वहां की सामान्य पब्लिक बहुत डर गई थी वहां की सिक्योरिटी बहुत ज्यादा चौकन्ना हो गई थी पर जब सुबह सबको पता चला कि यह कोई खूंखार आतंकवादी नहीं बल्कि पूज्यपाद जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज हैं तो सबके होश उड़ गए। यह खबर लीक हुई अगले दिन आग की तरह देश भर में फैल गयी, लोगों के होश उड़ गए चारों तरफ साधु संत विभिन्न धार्मिक संगठन आम नागरिक आंदोलन करने लग गए। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार बंगाल, इस प्रकार से सम्पूर्ण भारत में ही आंदोलन प्रदर्शन शुरू हो गए। लोगों ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि आप उनको नहीं छोड़ेंगे तो हम बहुत जल्द हिंसक आंदोलन शुरू कर देंगे और इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की होगी।
●8 मई 1990 को अन्त में जनता के दबाव के कारण 9 दिन चुनार जेल में रखने के बाद सरकार ने माफी मांगते हुए बिना शर्त शंकराचार्य जी को ससम्मान मुक्त किया ।
●उसी वर्ष 1990 में शंकराचार्य जी ने पूरे भारत मे दशरथ कौशल्या यात्रा निकाली जिसका हिन्दू समाज के जागरण में बहुत बड़ा योगदान साबित हुआ। इस अभियान में देश भर में लाखों लोगो के हस्ताक्षर लिए गए।
●2नवम्बर 1990 में संघियों ने भोलेभाले हजारो हिन्दुओ को कारसेवा के नाम पर मरवा दिया। वो बात सबको पता है जिसकी सहानुभूति ले लेकर ये आज सत्ता में बैठे हैं।
●6 दिसम्बर 1992 में फिर संघियों ने कल्याण सिंह के सरकार में राम मन्दिर जिसमे रामलला विराजमान थे और उनकी पूजा होती थी, को बाबरी मस्जिद बोल कर तोड़वा दिया, यही नही इन्होंने वो सब कुछ भी तोड़ दिया जिसमें कोई विवाद नही था और जिसपे हिन्दूओं का पूरा कब्जा था जैसे सीता रसोई, राम चबूतरा, हनुमान जी का मन्दिर और एक मन्दिर था जो जन्मभूमि के साथ सब थे। भोले भाले कारसेवक हिन्दुओं को भड़का कर हिन्दू द्रोही संघियों ने सब तोड़वा दिया। इस जबरदस्ती के गुंडागर्दी के कारण उच्चतम न्यायालय ने मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के लिए अयोध्या में मिले 5 एकड़ जमीन दी है । कोर्ट का कहना है कि जबतक मामला न्यायाधीन था तबतक कैसे उस ढाँचे को तोड़ दिया गया जिसे मुसलमान मस्जिद मानकर हमारे पास न्याय पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे अतः संविधान का विशेष अधिकार लेते हुए न्यायालय उन्हें 5 एकड़ जमीन उसी अयोध्या में देने का आदेश देती है जहाँ पर मन्दिर के आंदोलनकारियों ने ढाँचे को तोड़ दिया। जिससे इस देश मे यह विश्वास स्थापित रहे कि संविधान और कानून से बढ़कर कोई नही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट है कि
●1989 में हुए चुनाव के केन्द्र में वी पी सिंह की जनता दल की सरकार भाजपा के बाहर से समर्थन से बनी और उत्तर प्रदेश राज्य में वी पी सिंह के पार्टी जनता दल से मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बन गया था।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी सरकार के समय में कश्मीरी पण्डितो को कश्मीर में मारा गया तब इसी भाजपा की सरकार केंद्र में थी और मुफ़्ती मोहम्मद सईद इनका गृहमंत्री था।
● इधर संतों का जो पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था जिसका चुनाव से कोई संबंध नहीं था, उसे तो होना ही था संतों ने यह तय किया था कि जगतगुरु के नेतृत्व में उत्तरायण के शुभ मुहूर्त में 7 मई 1990 को अयोध्या में राम मन्दिर का शिलान्यास करेंगे तो करेंगे। तब तक तो केंद्र में वी पी सिंह की और राज्य में मुलायम सिंह की सरकार बन ही चुकी थी।
●30 अप्रैल 1990 को, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शंकराचार्य जी द्वारिका से दिल्ली होते हुए राम जन्मभूमि का शिलान्यास करने के लिए निकल पड़े, वाराणसी होते हुए जैसे ही वो आजमगढ़ पहुँचे उसी समय रात को ही मुलायम सिंह की सरकार ने उनको गिरफ्तार करवा लिया और यह गिरफ्तारी बीजेपी के दबाव में आकर के मुलायम सिंह से वी पी सिंह ने करवाया था क्योंकि बीजेपी के समर्थन से ही केन्द्र में जनतादल की सरकार चल रही थी और बीजेपी ने धमकी दिया था कि यदि उनको गिरफ्तार नहीं करोगे तो हम तुम्हारी सरकार गिरा देंगे और इस धमकी के डर के कारण जनता दल के नेता वी पी सिंह ने अपने नेता मुलायम सिंह को कहा कि उनको अरेस्ट किया जाए।
●बिना किसी आरोप के, बिना किसी गलती के झूठे आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को रात को आजमगढ़ में गिरफ्तार कर लिया और रात भर मिर्जापुर के जंगलों में घुमाती रही, उन्हें उनका दैनिक पूजा संध्या भी नही करने दिया और अंत में रातभर जंगल मे घुमाने के पश्चात सुबह चुनार के किले में ले जाकर बंद कर दिया। वहाँ पर पहले जो थे उन्हें बता दिया गया था कि कश्मीर से एक खूंखार आतंकवादी लाया जा रहा है जो चुनार के किले में बंद किया जाएगा जिससे वहां की सामान्य पब्लिक बहुत डर गई थी वहां की सिक्योरिटी बहुत ज्यादा चौकन्ना हो गई थी पर जब सुबह सबको पता चला कि यह कोई खूंखार आतंकवादी नहीं बल्कि पूज्यपाद जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज हैं तो सबके होश उड़ गए। यह खबर लीक हुई अगले दिन आग की तरह देश भर में फैल गयी, लोगों के होश उड़ गए चारों तरफ साधु संत विभिन्न धार्मिक संगठन आम नागरिक आंदोलन करने लग गए। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार बंगाल, इस प्रकार से सम्पूर्ण भारत में ही आंदोलन प्रदर्शन शुरू हो गए। लोगों ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि आप उनको नहीं छोड़ेंगे तो हम बहुत जल्द हिंसक आंदोलन शुरू कर देंगे और इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की होगी।
●8 मई 1990 को अन्त में जनता के दबाव के कारण 9 दिन चुनार जेल में रखने के बाद सरकार ने माफी मांगते हुए बिना शर्त शंकराचार्य जी को ससम्मान मुक्त किया ।
●उसी वर्ष 1990 में शंकराचार्य जी ने पूरे भारत मे दशरथ कौशल्या यात्रा निकाली जिसका हिन्दू समाज के जागरण में बहुत बड़ा योगदान साबित हुआ। इस अभियान में देश भर में लाखों लोगो के हस्ताक्षर लिए गए।
●2नवम्बर 1990 में संघियों ने भोलेभाले हजारो हिन्दुओ को कारसेवा के नाम पर मरवा दिया। वो बात सबको पता है जिसकी सहानुभूति ले लेकर ये आज सत्ता में बैठे हैं।
●6 दिसम्बर 1992 में फिर संघियों ने कल्याण सिंह के सरकार में राम मन्दिर जिसमे रामलला विराजमान थे और उनकी पूजा होती थी, को बाबरी मस्जिद बोल कर तोड़वा दिया, यही नही इन्होंने वो सब कुछ भी तोड़ दिया जिसमें कोई विवाद नही था और जिसपे हिन्दूओं का पूरा कब्जा था जैसे सीता रसोई, राम चबूतरा, हनुमान जी का मन्दिर और एक मन्दिर था जो जन्मभूमि के साथ सब थे। भोले भाले कारसेवक हिन्दुओं को भड़का कर हिन्दू द्रोही संघियों ने सब तोड़वा दिया। इस जबरदस्ती के गुंडागर्दी के कारण उच्चतम न्यायालय ने मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के लिए अयोध्या में मिले 5 एकड़ जमीन दी है । कोर्ट का कहना है कि जबतक मामला न्यायाधीन था तबतक कैसे उस ढाँचे को तोड़ दिया गया जिसे मुसलमान मस्जिद मानकर हमारे पास न्याय पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे अतः संविधान का विशेष अधिकार लेते हुए न्यायालय उन्हें 5 एकड़ जमीन उसी अयोध्या में देने का आदेश देती है जहाँ पर मन्दिर के आंदोलनकारियों ने ढाँचे को तोड़ दिया। जिससे इस देश मे यह विश्वास स्थापित रहे कि संविधान और कानून से बढ़कर कोई नही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट है कि