भी हो चुकी थी। शंकराचार्य के रामालय न्यास ने जो राम मन्दिर बनाने का संकल्प लिया वो संघियों के रामजन्म भूमि न्यास के मन्दिर से 20 गुना बड़ा बनाने का निर्णय था और आज भी है अतः संघियों के कार्यशाला में जो पत्थर गढे गये है उसका कोई मतलब नही है। आज जनता छोटी सी राम मन्दिर नही बल्कि विशाल मन्दिर चाहती है जो रामालय न्यास ही मात्र बना सकता है।
●15 जनवरी 2020 को स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने प्रमुख शिष्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज को इस बात का अधिकार दिया कि वो भारत के प्रत्येक सनातनी हिन्दुओं के घर से स्वर्णदान ले और इस प्रकार 1008 किलो स्वर्ण एकत्रित करके, रामलला के मन्दिर में उनके सिंहासन, उनके गुम्बद आदि में मण्डित किया जाए जिससे संसार मे हिन्दुओं के हृदयसम्राट भगवान रामलला के भव्य दिव्य मन्दिर की कीर्ति युगों युगों तक फैलती रहें। इस आदेश को पाकर पूज्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी ने स्वर्णालय श्रीरामलला स्वर्ण संग्रह अभियान शुरू कर दिया था जिससे देश भर से स्वर्ण एकत्रित होना आरम्भ हो चुका था। इस स्वर्ण दान में स्वयं जगद्गुरु अपने पास से कई किलो स्वर्ण भगवान राम के मन्दिर के लिए अर्पित करने के लिए संकल्पित हैं।
●22 जनवरी 2020 को प्रयाग के संगम तट स्थित माघ मेले में भक्त सन्त सम्मेलन बुलाया गया जिसमें कई हजार साधु सन्त और आम नागरिक सम्मिलित हुए जिसमे इस बात का प्रस्ताव पारित हुआ कि भगवान राम के लिए 25 फुट ऊँचा, स्वर्ण जटित एक अस्थायी बाल मन्दिर "स्वर्णालय" का निर्माण किया जाएगा और भगवान राम को शीघ्र तम्बू से मुक्त कर एक भव्य चन्दन के लकड़ी से बने विशाल सिंहासन पर विराजमान करके स्वर्णालय में तबतक रखा जाएगा जबतक कि भगवान राम का दिव्य भव्य स्थायी मन्दिर नही बन जाता।
●भगवान रामलला को तम्बू से शीघ्र मुक्त कर उन्हें स्वर्णालय में विराजमान करने का सर्वप्रथम विचार यदि किसी देवपुरुष के मन मे आया तो है जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जिनके सपने को साकार कर दिखाया उनके प्रिय शिष्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ने। जी हाँ स्वर्णालय बनकर तैयार हो चुका था और वह शीघ्र अयोध्या के लिए लेकर जाना था पर जैसे ही यह बात संघियों को पता चली उन्होंने अपनी राजनैतिक चाल चली और अपने सरकारी ट्रस्ट से शंकराचार्य जी का बनाया हुआ स्वर्णालय अस्वीकार कर दिया और जर्मन फाइबर वाले एक कमरे में राम जी को स्थापित करा दिया।
मित्रों यह है वो सच्चाई जिसे आजतक भारत की जनता नही जानती थी पर आप सब सच्चे गुरु भक्तो से निवेदन है कि हर एक हिन्दू को ये आप पढ़ाओ। इसके पोस्टर छपवा के बटवाओ । चाहें जो करो पर परम पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रयासों को दुनिया तक ले कर जाओ। मैंने अपने अध्ययन और शोध में जो बातें पायी उसको लिखा है बाकी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने न जाने कितने ऐसे प्रयास किये जिसे कोई नही जानता पर जितना मैंने लिखा है उससे ही यह सिद्ध हो जाता है कि राम मन्दिर के लिए पूरी निष्ठा से कौन लड़ रहा था और कौन राजनीति कर रहा था।
आज से लगभग 30 साल पुराना वो पोस्टर मिल गया जो 3 जून 1989 के कार्यक्रम के लिए छपा था।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की जय
हर हर महादेव
जय जय श्री सीताराम
+3
Share
●15 जनवरी 2020 को स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने प्रमुख शिष्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज को इस बात का अधिकार दिया कि वो भारत के प्रत्येक सनातनी हिन्दुओं के घर से स्वर्णदान ले और इस प्रकार 1008 किलो स्वर्ण एकत्रित करके, रामलला के मन्दिर में उनके सिंहासन, उनके गुम्बद आदि में मण्डित किया जाए जिससे संसार मे हिन्दुओं के हृदयसम्राट भगवान रामलला के भव्य दिव्य मन्दिर की कीर्ति युगों युगों तक फैलती रहें। इस आदेश को पाकर पूज्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी ने स्वर्णालय श्रीरामलला स्वर्ण संग्रह अभियान शुरू कर दिया था जिससे देश भर से स्वर्ण एकत्रित होना आरम्भ हो चुका था। इस स्वर्ण दान में स्वयं जगद्गुरु अपने पास से कई किलो स्वर्ण भगवान राम के मन्दिर के लिए अर्पित करने के लिए संकल्पित हैं।
●22 जनवरी 2020 को प्रयाग के संगम तट स्थित माघ मेले में भक्त सन्त सम्मेलन बुलाया गया जिसमें कई हजार साधु सन्त और आम नागरिक सम्मिलित हुए जिसमे इस बात का प्रस्ताव पारित हुआ कि भगवान राम के लिए 25 फुट ऊँचा, स्वर्ण जटित एक अस्थायी बाल मन्दिर "स्वर्णालय" का निर्माण किया जाएगा और भगवान राम को शीघ्र तम्बू से मुक्त कर एक भव्य चन्दन के लकड़ी से बने विशाल सिंहासन पर विराजमान करके स्वर्णालय में तबतक रखा जाएगा जबतक कि भगवान राम का दिव्य भव्य स्थायी मन्दिर नही बन जाता।
●भगवान रामलला को तम्बू से शीघ्र मुक्त कर उन्हें स्वर्णालय में विराजमान करने का सर्वप्रथम विचार यदि किसी देवपुरुष के मन मे आया तो है जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जिनके सपने को साकार कर दिखाया उनके प्रिय शिष्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ने। जी हाँ स्वर्णालय बनकर तैयार हो चुका था और वह शीघ्र अयोध्या के लिए लेकर जाना था पर जैसे ही यह बात संघियों को पता चली उन्होंने अपनी राजनैतिक चाल चली और अपने सरकारी ट्रस्ट से शंकराचार्य जी का बनाया हुआ स्वर्णालय अस्वीकार कर दिया और जर्मन फाइबर वाले एक कमरे में राम जी को स्थापित करा दिया।
मित्रों यह है वो सच्चाई जिसे आजतक भारत की जनता नही जानती थी पर आप सब सच्चे गुरु भक्तो से निवेदन है कि हर एक हिन्दू को ये आप पढ़ाओ। इसके पोस्टर छपवा के बटवाओ । चाहें जो करो पर परम पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रयासों को दुनिया तक ले कर जाओ। मैंने अपने अध्ययन और शोध में जो बातें पायी उसको लिखा है बाकी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने न जाने कितने ऐसे प्रयास किये जिसे कोई नही जानता पर जितना मैंने लिखा है उससे ही यह सिद्ध हो जाता है कि राम मन्दिर के लिए पूरी निष्ठा से कौन लड़ रहा था और कौन राजनीति कर रहा था।
आज से लगभग 30 साल पुराना वो पोस्टर मिल गया जो 3 जून 1989 के कार्यक्रम के लिए छपा था।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की जय
हर हर महादेव
जय जय श्री सीताराम
+3
Share