एक वो दौर था कि गाय की चर्बी लगे कारतूस की वजह से 1857 की क्रांति हो गई थी❗️
आज लड्डू खाकर भी कथाकथित भगत मौन धारण कर बैठे है, क्योकि दूर तक अब्दुल का कनेक्शन नहीं है और सर'कार अब्बा की है❗️
यकीन मानिए अगर गलती से ✋ की सर'कार होती या जगन रेड्डी ✋के साथ होते तो अभी तक मीडिया लहंगा उठा चुकी होती और भगत सड़कों पर तांडव नृत्य कर रहे होते❗️
आका तो अभी भी चुप है तब भी चुप रहते, क्योकि सवाल चंदे का है❗️
सब कुछ शांति से निपट रहा है, यह बहुत खुशी की बात है, धैर्य रखकर ही ऐसे मुद्दों को निपटाना चाहिए❗️
आज लड्डू खाकर भी कथाकथित भगत मौन धारण कर बैठे है, क्योकि दूर तक अब्दुल का कनेक्शन नहीं है और सर'कार अब्बा की है❗️
यकीन मानिए अगर गलती से ✋ की सर'कार होती या जगन रेड्डी ✋के साथ होते तो अभी तक मीडिया लहंगा उठा चुकी होती और भगत सड़कों पर तांडव नृत्य कर रहे होते❗️
आका तो अभी भी चुप है तब भी चुप रहते, क्योकि सवाल चंदे का है❗️
सब कुछ शांति से निपट रहा है, यह बहुत खुशी की बात है, धैर्य रखकर ही ऐसे मुद्दों को निपटाना चाहिए❗️