भाग्य के बटेर और RPF SI की प्रतियोगिता
किसी ने सही कहा है, "हमें जिंदगी में कई जंग लड़नी पड़ती है," लेकिन RPF SI की परीक्षा तो सीधा महाभारत बन गई है। 400 पोस्ट और 15,38,060 आवेदन? अब यह प्रतियोगिता नहीं रही, यह तो "सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट" का प्रीमियम एडिशन हो गया है!
कल्पना कीजिए—आपको एक नौकरी चाहिए और उसके लिए इतने सारे आवेदन हैं कि अगर सभी उम्मीदवार एक लाइन में खड़े हो जाएं, तो लाइन भारत के किसी राज्य की सीमा से बाहर निकल जाए! भीड़ का आलम ये है कि यहाँ तो हर फार्म वाले को इंटरव्यू में बुलाने के बजाय, भजन मंडली बुलाकर बोल देना चाहिए—‘जय हो प्रतियोगी महाराज की!’
इतना कॉम्पिटिशन देखकर तो भगवान गणेश भी माथे पर पसीना पोंछ रहे होंगे और कह रहे होंगे, "भाई, ये काजल की कोठरी में से सफेद कमल निकालने जैसा काम है!"
अब RPF SI के उम्मीदवारों की हालत समझिए। ये वही लोग हैं जो सालों से ‘रणनीति प्लस भगवान भरोसे’ वाली पॉलिसी पर चलते आ रहे हैं। सुबह नौकरी की प्रार्थना, दिन में नोट्स की पूजा, और रात को ‘मैथ्स से डरने का इलाज कैसे करें’ वाला गूगल सर्च—पूरा शास्त्र लिख सकते हैं इनकी लाइफ पर।
15 लाख लोगों में से सिर्फ 400 की चांदी होगी, बाकी का क्या? कुछ तो कहेंगे, "भैया, कोशिश करना भी एक तरह की साधना है!" और बाकी लोग पोस्ट-एग्जाम "सेल्फ मोटिवेशन" कोर्स में एडमिशन ले लेंगे।
अंततः यही कह सकते हैं कि ये प्रतियोगिता नहीं, कुंभ का मेला है, जहाँ सिर्फ वही तर सकते हैं जिनकी किस्मत तेज़ हवा के साथ बहती है। और हाँ, इतना भीख मांगने से भी कामयाबी नहीं मिलती जितनी RPF SI में मेहनत करनी पड़ती है!
धन्यवाद 👍
आदित्य रंजन ❣
#railway_aspirants
किसी ने सही कहा है, "हमें जिंदगी में कई जंग लड़नी पड़ती है," लेकिन RPF SI की परीक्षा तो सीधा महाभारत बन गई है। 400 पोस्ट और 15,38,060 आवेदन? अब यह प्रतियोगिता नहीं रही, यह तो "सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट" का प्रीमियम एडिशन हो गया है!
कल्पना कीजिए—आपको एक नौकरी चाहिए और उसके लिए इतने सारे आवेदन हैं कि अगर सभी उम्मीदवार एक लाइन में खड़े हो जाएं, तो लाइन भारत के किसी राज्य की सीमा से बाहर निकल जाए! भीड़ का आलम ये है कि यहाँ तो हर फार्म वाले को इंटरव्यू में बुलाने के बजाय, भजन मंडली बुलाकर बोल देना चाहिए—‘जय हो प्रतियोगी महाराज की!’
इतना कॉम्पिटिशन देखकर तो भगवान गणेश भी माथे पर पसीना पोंछ रहे होंगे और कह रहे होंगे, "भाई, ये काजल की कोठरी में से सफेद कमल निकालने जैसा काम है!"
अब RPF SI के उम्मीदवारों की हालत समझिए। ये वही लोग हैं जो सालों से ‘रणनीति प्लस भगवान भरोसे’ वाली पॉलिसी पर चलते आ रहे हैं। सुबह नौकरी की प्रार्थना, दिन में नोट्स की पूजा, और रात को ‘मैथ्स से डरने का इलाज कैसे करें’ वाला गूगल सर्च—पूरा शास्त्र लिख सकते हैं इनकी लाइफ पर।
15 लाख लोगों में से सिर्फ 400 की चांदी होगी, बाकी का क्या? कुछ तो कहेंगे, "भैया, कोशिश करना भी एक तरह की साधना है!" और बाकी लोग पोस्ट-एग्जाम "सेल्फ मोटिवेशन" कोर्स में एडमिशन ले लेंगे।
अंततः यही कह सकते हैं कि ये प्रतियोगिता नहीं, कुंभ का मेला है, जहाँ सिर्फ वही तर सकते हैं जिनकी किस्मत तेज़ हवा के साथ बहती है। और हाँ, इतना भीख मांगने से भी कामयाबी नहीं मिलती जितनी RPF SI में मेहनत करनी पड़ती है!
धन्यवाद 👍
आदित्य रंजन ❣
#railway_aspirants