*आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरी जी के प्रकट दिवस अर्थात धनतेरस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ*
https://www.facebook.com/share/p/eTdqVoJ3uWBWMJup/
https://wa.me/c/919729619647
*भगवान धन्वंतरी जी को भगवान विष्णु* का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। ऊपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका (जोंक) और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल के बर्तन खरीदने की परम्परा है। इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे। सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे। उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी। सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) थे। कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं। त्रिलोकी के व्योम रूपी समुद्र के मंथन से उत्पन्न विष का महारूद्र भगवान शंकर ने विषपान किया, धन्वन्तरि ने अमृत प्रदान किया और इस प्रकार काशी कालजयी नगरी बन गयी।
आयुर्वेद के सम्बन्ध में सुश्रुत का मत है कि ब्रह्माजी ने पहली बार एक लाख श्लोक के आयुर्वेद का प्रकाशन किया था जिसमें एक सहस्र अध्याय थे। जिसे प्रजापति ने पढ़ा, तदुपरान्त इसे अश्विनी कुमारों ने पढ़ा और उन से इन्द्र ने पढ़ा। इन्द्रदेव से धन्वन्तरि ने पढ़ा और उन्हें सुन कर सुश्रुत मुनि ने आयुर्वेद की रचना की भावप्रकाश के अनुसार आत्रेय आदि मुनियों ने इन्द्र से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर उसे अग्निवेश तथा अन्य शिष्यों को दिया।
विध्याताथर्व सर्वस्वमायुर्वेदं प्रकाशयन्।
स्वनाम्ना संहितां चक्रे लक्ष श्लोकमयीमृजुम्।।
*जय गौमाता*
*जय भगवान धन्यवंतरि*
*प्रज्ञा गौ गव्य प्राकृतिक उत्पाद*
https://wa.me/c/919729619647
अमरिंदर गर्ग 9729619647
https://chat.whatsapp.com/GnptayNH5sUEI5Pr373iHE
https://www.facebook.com/share/p/eTdqVoJ3uWBWMJup/
https://wa.me/c/919729619647
*भगवान धन्वंतरी जी को भगवान विष्णु* का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। ऊपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका (जोंक) और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल के बर्तन खरीदने की परम्परा है। इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे। सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे। उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी। सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) थे। कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं। त्रिलोकी के व्योम रूपी समुद्र के मंथन से उत्पन्न विष का महारूद्र भगवान शंकर ने विषपान किया, धन्वन्तरि ने अमृत प्रदान किया और इस प्रकार काशी कालजयी नगरी बन गयी।
आयुर्वेद के सम्बन्ध में सुश्रुत का मत है कि ब्रह्माजी ने पहली बार एक लाख श्लोक के आयुर्वेद का प्रकाशन किया था जिसमें एक सहस्र अध्याय थे। जिसे प्रजापति ने पढ़ा, तदुपरान्त इसे अश्विनी कुमारों ने पढ़ा और उन से इन्द्र ने पढ़ा। इन्द्रदेव से धन्वन्तरि ने पढ़ा और उन्हें सुन कर सुश्रुत मुनि ने आयुर्वेद की रचना की भावप्रकाश के अनुसार आत्रेय आदि मुनियों ने इन्द्र से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर उसे अग्निवेश तथा अन्य शिष्यों को दिया।
विध्याताथर्व सर्वस्वमायुर्वेदं प्रकाशयन्।
स्वनाम्ना संहितां चक्रे लक्ष श्लोकमयीमृजुम्।।
*जय गौमाता*
*जय भगवान धन्यवंतरि*
*प्रज्ञा गौ गव्य प्राकृतिक उत्पाद*
https://wa.me/c/919729619647
अमरिंदर गर्ग 9729619647
https://chat.whatsapp.com/GnptayNH5sUEI5Pr373iHE