, मेरा नाम रिजवाना है। मेरी उम्र 40 साल है. मैं एक शादीशुदा औरत हूं. हमारी ज्वाइंट फैमिली थी और घर में मेरे और मेरे शौहर व बेटे के अलावा मेरा जेठ, जेठानी, उसकी बेटी और बेटा भी रहते थे.
मेरी शादी के बाद से ही मेरे शौहर ज्यादातर काम की वजह से बाहर ही रहते थे।
यह कहानी सुनकर मजा लें.
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अब मैं आपको अपने बारे में बता दूं कि मेरा रंग गोरा है. मेरा साइज 38-32-36 का है.
बच्चा होने के बाद मेरे शौहर मुझे वो मजा नहीं दे रहे थे जो पहले दिया करते थे. अब उनको भी मेरी चूत में कम मजा आने लगा था. वो चुदाई भी कम करने लगे थे. मैं अब अक्सर प्यासी ही रहती थी.
वैसे भी मेरे शौहर ज्यादा समय तो काम के कारण बाहर ही रहते थे. जब घर में होते तब भी ज्यादा चुदाई नहीं करते थे.
जब मेरा मन चूत में उंगली करने का करता तो मैं अपने जेठ और जेठानी की चुदाई देखा करती थी. मैं उनकी चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली किया करती थी.
उनकी चुदाई देखने के लिए मैं देर रात तक जागा करती थी. मेरे शौहर के मुकाबले मेरे जेठ का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा था और उसके शरीर में ताकत भी काफी ज्यादा थी।
कई बार मैंने अपने जेठ को पटाने की कोशिश भी की थी. उसकी बीवी यानि कि मेरी जेठानी उससे बहुत खुश रहती थी. इसलिए वो मेरी तरफ ज्यादा ध्यान भी नहीं देता था.
फिर ऐसे ही वक्त गुजरने लगा और हम दोनों के बच्चे बड़े होने लगे. मेरी चूत को मैं जैसे तैसे करके शांत करती रही. कभी गाजर मूली से काम चलाती तो कभी उंगली या बेलन से।
हमारी जवानी ढलने लगी और बच्चों में जवानी आने लगी.
मेरे जेठ का बेटा अब 19 साल का हो गया था. मेरा बेटा भी उसी की उम्र का हो गया था.
मेरी चूत की आग अभी भी वैसे ही जलती रहती थी.
मेरे जेठ की जवानी भी ढल गयी थी मगर अब घर में कई जवान बच्चे हो गये थे.
एक बार की बात है कि मेरी जेठानी उसके मायके में गयी हुई थी. उसकी बेटी भी साथ में गयी थी. जबकि उसका बेटा समर घर में ही था. वो मुझे चाची कहता था.
इधर मेरा बेटा अपने पिता के साथ ही कुछ दिन के लिए बाहर चला गया था.
मेरा जेठ सुबह जाता था और शाम को घर लौटता था. घर में मैं और समर ही रहते थे. मैं ही उसके लिए खाना बनाती थी. उसके कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं.
समर की आदत थी कि वो अक्सर वो जब नहाने के लिए जाता था तो तौलिया भूल जाता था. फिर वो अपनी अम्मी को आवाज लगाता था.
उस दिन भी ऐसा ही हुआ।
वो नहाने गया लेकिन तौलिया नहीं ले गया. उसकी अम्मी तो घर में थी नहीं तो उसने मुझे आवाज लगाई- चाची, मेरा तौलिया ला दो.
मैं उसका तौलिया लेकर गयी. उसने दरवाजा खोला और तौलिया ले लिया. उसने अपने लंड के सामने अपनी लोअर लगा रखी थी.
जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगा तो उसकी लोअर हाथ से छूटकर गिर गयी.
मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी तो वहीं ठहर गयी. उसका लंड बहुत ही लम्बा और मोटा था जो किसी खीरे की तरह उसकी जांघों के बीच में लटक रहा था.
मुझे वो लंड देखते ही ये सोचते देर न लगी कि इसका लंड तो इसके बाप से भी ज्यादा आगे निकल गया है.
मेरे जेठ का लंड भी बहुत मोटा-लम्बा था. मगर समर का लंड तो अभी से इतना लम्बा और मोटा हो गया था.
मैं वहीं पर ठिठक सी गयी और नजर वहां से हटी ही नहीं.
समर अपने लंड को तौलिया से ढकते हुए बोला- चाची जाइये. मैंने तौलिया ले लिया है.
उसने जब मेरा नाम लिया तो मुझे होश सा आया और मैं वहां से आ गयी.
मगर अब मेरी चूत में जबरदस्त खुजली होने लगी थी.
जेठानी का जवान बेटा घर में अकेला था. उसकी जवानी भी चुदाई के लिए तड़प रही होगी. उसको भी चूत चोदने की ललक मची होगी … क्यों न मैं अपनी चूत की प्यास उसी के लंड से ही बुझा लूं?
अब मेरे दिमाग में हर वक्त समर का लंड ही घूम रहा था. उसका मोटा लम्बा बैंगन जैसा लंड मैंने देख लिया था और मुझे अब किसी भी वक्त चैन नहीं था. मैं बस उसके लंड को अपनी चूत में चखना चाह रही थी.
अब मैंने समर को चेक करने का सोचा कि देखती हूं कि ये क्या सोचता है मेरे बारे में?
जब मैं नहाने के लिए गयी तो मैं जानबूझकर अपने कपड़े वहीं बाहर ही छोड़ गयी.
नहाने के बाद मैंने उसे आवाज लगाई.
फिर वो मेरे कपड़े लेकर आ गया.
मैंने उससे नये कपड़े ले लिये पर अपने उतारे हुए कपड़े उसे दे दिये, कहा कि वाशिंग मशीन में डाल दे.
मेरे पुराने पहने हुए कपड़ों में मेरी ब्रा और पैंटी भी थी.
मैंने जानबूझकर उसको वो पैंटी और ब्रा दी थी.
फिर मैंने उसके सामने दरवाजा बंद कर लिया मगर अंदर से लॉक नहीं किया.
मैं जाते हुए चुपके से उसको देखने लगी.
वो मेरी ब्रा और पैंटी को सूंघता हुआ जा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.
मुझे पता चल गया कि वो भी चूत के लिए प्यासा है. अब मेरा काम बहुत आसान था.
उस दिन तो मुझे फिर मौका नहीं मिला लेकिन उसने अपना मौका नहीं छोड़ा.
बाद में मैंने देखा कि मशीन में पड़ी उस पैंटी पर उसके लंड का माल लगा हुआ था और उसके लंड के माल की खुशबू भी आ
मेरी शादी के बाद से ही मेरे शौहर ज्यादातर काम की वजह से बाहर ही रहते थे।
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अब मैं आपको अपने बारे में बता दूं कि मेरा रंग गोरा है. मेरा साइज 38-32-36 का है.
बच्चा होने के बाद मेरे शौहर मुझे वो मजा नहीं दे रहे थे जो पहले दिया करते थे. अब उनको भी मेरी चूत में कम मजा आने लगा था. वो चुदाई भी कम करने लगे थे. मैं अब अक्सर प्यासी ही रहती थी.
वैसे भी मेरे शौहर ज्यादा समय तो काम के कारण बाहर ही रहते थे. जब घर में होते तब भी ज्यादा चुदाई नहीं करते थे.
जब मेरा मन चूत में उंगली करने का करता तो मैं अपने जेठ और जेठानी की चुदाई देखा करती थी. मैं उनकी चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली किया करती थी.
उनकी चुदाई देखने के लिए मैं देर रात तक जागा करती थी. मेरे शौहर के मुकाबले मेरे जेठ का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा था और उसके शरीर में ताकत भी काफी ज्यादा थी।
कई बार मैंने अपने जेठ को पटाने की कोशिश भी की थी. उसकी बीवी यानि कि मेरी जेठानी उससे बहुत खुश रहती थी. इसलिए वो मेरी तरफ ज्यादा ध्यान भी नहीं देता था.
फिर ऐसे ही वक्त गुजरने लगा और हम दोनों के बच्चे बड़े होने लगे. मेरी चूत को मैं जैसे तैसे करके शांत करती रही. कभी गाजर मूली से काम चलाती तो कभी उंगली या बेलन से।
हमारी जवानी ढलने लगी और बच्चों में जवानी आने लगी.
मेरे जेठ का बेटा अब 19 साल का हो गया था. मेरा बेटा भी उसी की उम्र का हो गया था.
मेरी चूत की आग अभी भी वैसे ही जलती रहती थी.
मेरे जेठ की जवानी भी ढल गयी थी मगर अब घर में कई जवान बच्चे हो गये थे.
एक बार की बात है कि मेरी जेठानी उसके मायके में गयी हुई थी. उसकी बेटी भी साथ में गयी थी. जबकि उसका बेटा समर घर में ही था. वो मुझे चाची कहता था.
इधर मेरा बेटा अपने पिता के साथ ही कुछ दिन के लिए बाहर चला गया था.
मेरा जेठ सुबह जाता था और शाम को घर लौटता था. घर में मैं और समर ही रहते थे. मैं ही उसके लिए खाना बनाती थी. उसके कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं.
समर की आदत थी कि वो अक्सर वो जब नहाने के लिए जाता था तो तौलिया भूल जाता था. फिर वो अपनी अम्मी को आवाज लगाता था.
उस दिन भी ऐसा ही हुआ।
वो नहाने गया लेकिन तौलिया नहीं ले गया. उसकी अम्मी तो घर में थी नहीं तो उसने मुझे आवाज लगाई- चाची, मेरा तौलिया ला दो.
मैं उसका तौलिया लेकर गयी. उसने दरवाजा खोला और तौलिया ले लिया. उसने अपने लंड के सामने अपनी लोअर लगा रखी थी.
जैसे ही वो दरवाजा बंद करने लगा तो उसकी लोअर हाथ से छूटकर गिर गयी.
मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी तो वहीं ठहर गयी. उसका लंड बहुत ही लम्बा और मोटा था जो किसी खीरे की तरह उसकी जांघों के बीच में लटक रहा था.
मुझे वो लंड देखते ही ये सोचते देर न लगी कि इसका लंड तो इसके बाप से भी ज्यादा आगे निकल गया है.
मेरे जेठ का लंड भी बहुत मोटा-लम्बा था. मगर समर का लंड तो अभी से इतना लम्बा और मोटा हो गया था.
मैं वहीं पर ठिठक सी गयी और नजर वहां से हटी ही नहीं.
समर अपने लंड को तौलिया से ढकते हुए बोला- चाची जाइये. मैंने तौलिया ले लिया है.
उसने जब मेरा नाम लिया तो मुझे होश सा आया और मैं वहां से आ गयी.
मगर अब मेरी चूत में जबरदस्त खुजली होने लगी थी.
जेठानी का जवान बेटा घर में अकेला था. उसकी जवानी भी चुदाई के लिए तड़प रही होगी. उसको भी चूत चोदने की ललक मची होगी … क्यों न मैं अपनी चूत की प्यास उसी के लंड से ही बुझा लूं?
अब मेरे दिमाग में हर वक्त समर का लंड ही घूम रहा था. उसका मोटा लम्बा बैंगन जैसा लंड मैंने देख लिया था और मुझे अब किसी भी वक्त चैन नहीं था. मैं बस उसके लंड को अपनी चूत में चखना चाह रही थी.
अब मैंने समर को चेक करने का सोचा कि देखती हूं कि ये क्या सोचता है मेरे बारे में?
जब मैं नहाने के लिए गयी तो मैं जानबूझकर अपने कपड़े वहीं बाहर ही छोड़ गयी.
नहाने के बाद मैंने उसे आवाज लगाई.
फिर वो मेरे कपड़े लेकर आ गया.
मैंने उससे नये कपड़े ले लिये पर अपने उतारे हुए कपड़े उसे दे दिये, कहा कि वाशिंग मशीन में डाल दे.
मेरे पुराने पहने हुए कपड़ों में मेरी ब्रा और पैंटी भी थी.
मैंने जानबूझकर उसको वो पैंटी और ब्रा दी थी.
फिर मैंने उसके सामने दरवाजा बंद कर लिया मगर अंदर से लॉक नहीं किया.
मैं जाते हुए चुपके से उसको देखने लगी.
वो मेरी ब्रा और पैंटी को सूंघता हुआ जा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.
मुझे पता चल गया कि वो भी चूत के लिए प्यासा है. अब मेरा काम बहुत आसान था.
उस दिन तो मुझे फिर मौका नहीं मिला लेकिन उसने अपना मौका नहीं छोड़ा.
बाद में मैंने देखा कि मशीन में पड़ी उस पैंटी पर उसके लंड का माल लगा हुआ था और उसके लंड के माल की खुशबू भी आ