👑⚔️🚩“रामो विग्रहवान् धर्मः।
♥️⚘️वाल्मीकि रामायण में कहा गया है – “रामो विग्रहवान् धर्मः।” राम धर्म के मूर्त स्वरूप हैं। लक्ष्मण सुरि ने अपनी रचना ‘पौलस्त्य वध’ में श्रीराम का वर्णन करते हुए कहा है, “हाथ में दान, पैरों से तीर्थ-यात्रा, भुजाओं में विजयश्री, वचन में सत्यता, प्रसाद में लक्ष्मी, संघर्ष में शत्रु की मृत्यु – ये राम के स्वाभाविक गुण हैं।”
♥️⚘️आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने “गोस्वामी तुलसीदास” नामक अपनी पुस्तक में कहा है, “राम के बिना हिन्दू जीवन नीरस है – फीका है। यही रामरस उसका स्वाद बनाए रहा और बनाए रहेगा। राम ही का मुख देख हिन्दू जनता का इतना बड़ा भाग अपने धर्म और जाति के घेरे में पड़ा रहा। न उसे तलवार काट सकी, न धन-मान का लोभ, न उपदेशों की तड़क-भड़क।”
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