🌼प्रेरणादायक कहानी 👏
एक व्यक्ति जो हमेशा नकारात्मक सोच रखता था, वह जब भी बोलता तो उसके मुख से या तो नकारात्मक, निराशा, चिंता, उग्रता और कड़वाहट भरी वाणी निकलती थी।
उस सज्जन के इस दुर्व्यवहार से उनके सगे संबंधियों और मित्रों को भी उनका साथ पसंद नही था और वे सब उस सज्जन से दूर भागते थे।
एक दिन उस आदमी के एक मित्र ने दूसरे किसी ज्ञानी व्यक्ति से इस नकारात्मक व्यक्ति की चिंता प्रकट की और उस ज्ञानी व्यक्ति से इनके लिए कुछ उपाय बताने की बात व्यक्त की।
उस ज्ञानी व्यक्ति ने कुछ समय सोचने के पश्चात यह कहा की कल उस व्यक्ति का इलाज करने में उनके घर आऊंगा और वो मित्र वहा से चला गया।
दूसरे दिन निर्धारित समय पर वो ज्ञानी सज्जन व्यक्ति बताए पते पर समय पर पहुंच गए और बैठे, और उस नकारात्मक व्यक्ति को भी वहा बिठाया गया, और फिर तुरंत उस ज्ञानी व्यक्ति ने आदेश दिया की “मुझे कड़वा काढ़ा बहुत पसंद है तो सबके लिए बनाओ”
ज्ञानी व्यक्ति के आदेश पर तुरंत काढ़ा बनाया गया और सबके सामने रखा गया
सबने एक बार एक ही घुट में पी लिया
फिर वो ज्ञानी व्यक्ति ने इस नकारात्मक व्यक्ति की और इशारा कर के कहा की इनके बर्तन में और काढ़ा डाला जाए
जैसे आदेश हुआ वैसे ही उनके बर्तन में कड़वा काढ़ा डाला गया वो व्यक्ति फिर से पी गया
तीसरी बार वो ज्ञानी व्यक्ति ने कहा की फिर से डालो
फिर से वो नकारात्मक व्यक्ति पी गया
ज्ञानी व्यक्ति ने फिर से काढ़ा डालने का आदेश दिया
कड़वा काढ़ा इतनी बार पी कर उस नकारात्मक व्यक्ति की जीभ में बहुत कड़वाहट भर गई और वो गुस्से से लाल पीला हो गया और वह ज्ञानी व्यक्ति शांति से यह सब देख रहे थे
थोड़ी देर में वो नकारात्मक व्यक्ति गुस्से से बोल पड़ा यह क्या मजाक है..?
तब उस ज्ञानी व्यक्ति ने जैसे अपना मौन तोड़ते हुए कहा की अब इनके लिए कुछ मिष्टान्न रखे जाए।
जैसे ही आदेश किया गया उनके सामने कुछ व्यंजन और भांति भांति के मिष्टान्न रखे गए और ज्ञानी व्यक्ति ने उस व्यक्ति को खाने का आदेश दिया।
उस नकारात्मक व्यक्ति ने जैसे पहले कभी मिठाई देखी न हो ऐसे मिठाई पर टूट पड़ा फिर जब वो मिठाई से ऊब गया तब उस ज्ञानी व्यक्ति ने कहा
"देखा..? जैसे एक दो बार काढ़ा पीने की तुम्हारी क्षमता से ज्यादा कड़वाहट तुमको दी गई तो उससे आप ऊब से गए और क्रोधित हो गए और कड़वाहट के बाद आप मिठाई पर ऐसे टूट पड़े जैसे मक्खियां!
जिंदगी में कड़वाहट भरी वाणी भी जरूरी है परंतु उसके बाद मधुर और स्नेह भरी वाणी भी तो जरूरी है। तुम्हारी बात कहने का तात्पर्य सच हो सकता है लेकिन बात प्रकट करने का तरीका सही नही है, जैसे कौआ और कोयल दोनो क्या बोलते है हमे कुछ नही पता फिर भी हमें कौवे की वाणी कर्कश और कोयल की आवाज मधुर लगती हैं।
इसी प्रकार आप जो भी बोलो मधुर बोलो सब आपको सुनना पसंद करेंगे।"
उस व्यक्ति को अब समझ आ गया था और पछतावे के साथ वो माफी मांगते हुए उस ज्ञानी व्यक्ति का शरण ग्रहण करते हुए उनके पैर में गिर गया।
एक व्यक्ति जो हमेशा नकारात्मक सोच रखता था, वह जब भी बोलता तो उसके मुख से या तो नकारात्मक, निराशा, चिंता, उग्रता और कड़वाहट भरी वाणी निकलती थी।
उस सज्जन के इस दुर्व्यवहार से उनके सगे संबंधियों और मित्रों को भी उनका साथ पसंद नही था और वे सब उस सज्जन से दूर भागते थे।
एक दिन उस आदमी के एक मित्र ने दूसरे किसी ज्ञानी व्यक्ति से इस नकारात्मक व्यक्ति की चिंता प्रकट की और उस ज्ञानी व्यक्ति से इनके लिए कुछ उपाय बताने की बात व्यक्त की।
उस ज्ञानी व्यक्ति ने कुछ समय सोचने के पश्चात यह कहा की कल उस व्यक्ति का इलाज करने में उनके घर आऊंगा और वो मित्र वहा से चला गया।
दूसरे दिन निर्धारित समय पर वो ज्ञानी सज्जन व्यक्ति बताए पते पर समय पर पहुंच गए और बैठे, और उस नकारात्मक व्यक्ति को भी वहा बिठाया गया, और फिर तुरंत उस ज्ञानी व्यक्ति ने आदेश दिया की “मुझे कड़वा काढ़ा बहुत पसंद है तो सबके लिए बनाओ”
ज्ञानी व्यक्ति के आदेश पर तुरंत काढ़ा बनाया गया और सबके सामने रखा गया
सबने एक बार एक ही घुट में पी लिया
फिर वो ज्ञानी व्यक्ति ने इस नकारात्मक व्यक्ति की और इशारा कर के कहा की इनके बर्तन में और काढ़ा डाला जाए
जैसे आदेश हुआ वैसे ही उनके बर्तन में कड़वा काढ़ा डाला गया वो व्यक्ति फिर से पी गया
तीसरी बार वो ज्ञानी व्यक्ति ने कहा की फिर से डालो
फिर से वो नकारात्मक व्यक्ति पी गया
ज्ञानी व्यक्ति ने फिर से काढ़ा डालने का आदेश दिया
कड़वा काढ़ा इतनी बार पी कर उस नकारात्मक व्यक्ति की जीभ में बहुत कड़वाहट भर गई और वो गुस्से से लाल पीला हो गया और वह ज्ञानी व्यक्ति शांति से यह सब देख रहे थे
थोड़ी देर में वो नकारात्मक व्यक्ति गुस्से से बोल पड़ा यह क्या मजाक है..?
तब उस ज्ञानी व्यक्ति ने जैसे अपना मौन तोड़ते हुए कहा की अब इनके लिए कुछ मिष्टान्न रखे जाए।
जैसे ही आदेश किया गया उनके सामने कुछ व्यंजन और भांति भांति के मिष्टान्न रखे गए और ज्ञानी व्यक्ति ने उस व्यक्ति को खाने का आदेश दिया।
उस नकारात्मक व्यक्ति ने जैसे पहले कभी मिठाई देखी न हो ऐसे मिठाई पर टूट पड़ा फिर जब वो मिठाई से ऊब गया तब उस ज्ञानी व्यक्ति ने कहा
"देखा..? जैसे एक दो बार काढ़ा पीने की तुम्हारी क्षमता से ज्यादा कड़वाहट तुमको दी गई तो उससे आप ऊब से गए और क्रोधित हो गए और कड़वाहट के बाद आप मिठाई पर ऐसे टूट पड़े जैसे मक्खियां!
जिंदगी में कड़वाहट भरी वाणी भी जरूरी है परंतु उसके बाद मधुर और स्नेह भरी वाणी भी तो जरूरी है। तुम्हारी बात कहने का तात्पर्य सच हो सकता है लेकिन बात प्रकट करने का तरीका सही नही है, जैसे कौआ और कोयल दोनो क्या बोलते है हमे कुछ नही पता फिर भी हमें कौवे की वाणी कर्कश और कोयल की आवाज मधुर लगती हैं।
इसी प्रकार आप जो भी बोलो मधुर बोलो सब आपको सुनना पसंद करेंगे।"
उस व्यक्ति को अब समझ आ गया था और पछतावे के साथ वो माफी मांगते हुए उस ज्ञानी व्यक्ति का शरण ग्रहण करते हुए उनके पैर में गिर गया।