लौह कुंड में हवन या कोई भी देवपूजा नहीं करना
चाहिए।
लौह पात्र मे हवन करने से...
धन पुत्रादि की हानि की संभावना होती है।
अगर हवन कुंड का निर्माण नहीं कर सकते तो
ताम्र पात्र मे ही हवन करना चाहिए।
कई शास्त्रों में बताया गया है जैसे कि निम्न श्लोको से भी
प्रमाणित होता है
अपि ताम्रमयं प्रोक्तं कुण्डमत्र मनीषिभिः ।" (स्मृतिसार
ग्रंथ)
कुंडस्थण्डिलासंभवे पक्वमृण्मयपात्रकुंडाकृति रहितताम्रादिपात्रमृण्मयपात्राणामप्यनुज्ञा गम्यते ।
( संस्कार रत्न माला)
न चुल्ल्यां नायसे पात्रे न भूमौ न च खर्परे।।
(देवी भागवत )
कुंडाभावे बालुकाभीः
अर्थात: कुंड के अभाव से बालुका बिछाकर उस पर
कर सकते!
> > इसलिये भूलकर भी लौह कुंड मे हवन न करें !
ताम्रमय कुंड भी यज्ञ में वर्ज्य जानें क्योंकि यज्ञो के लिए
किसीभी ग्रंथमें कुंड मंडप विषयक ताम्रकुंड का उल्लेख
नहीं हैं!
>>>>>>वैश्वदेवके कार्यतक ही मर्यादित हैं!
चाहिए।
लौह पात्र मे हवन करने से...
धन पुत्रादि की हानि की संभावना होती है।
अगर हवन कुंड का निर्माण नहीं कर सकते तो
ताम्र पात्र मे ही हवन करना चाहिए।
कई शास्त्रों में बताया गया है जैसे कि निम्न श्लोको से भी
प्रमाणित होता है
अपि ताम्रमयं प्रोक्तं कुण्डमत्र मनीषिभिः ।" (स्मृतिसार
ग्रंथ)
कुंडस्थण्डिलासंभवे पक्वमृण्मयपात्रकुंडाकृति रहितताम्रादिपात्रमृण्मयपात्राणामप्यनुज्ञा गम्यते ।
( संस्कार रत्न माला)
न चुल्ल्यां नायसे पात्रे न भूमौ न च खर्परे।।
(देवी भागवत )
कुंडाभावे बालुकाभीः
अर्थात: कुंड के अभाव से बालुका बिछाकर उस पर
कर सकते!
> > इसलिये भूलकर भी लौह कुंड मे हवन न करें !
ताम्रमय कुंड भी यज्ञ में वर्ज्य जानें क्योंकि यज्ञो के लिए
किसीभी ग्रंथमें कुंड मंडप विषयक ताम्रकुंड का उल्लेख
नहीं हैं!
>>>>>>वैश्वदेवके कार्यतक ही मर्यादित हैं!