कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकार||
भावार्थ
जगत में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो हे तात! तुमसे न हो सके। श्री राम जी के कार्य के लिए ही तो तुम्हारा अवतार हुआ है । यह सुनते ही हनुमान जी पर्वत के आकार के (अत्यंत विशालकाय) हो गए! ❤️
राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकार||
भावार्थ
जगत में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो हे तात! तुमसे न हो सके। श्री राम जी के कार्य के लिए ही तो तुम्हारा अवतार हुआ है । यह सुनते ही हनुमान जी पर्वत के आकार के (अत्यंत विशालकाय) हो गए! ❤️