💠✨सनातन रहस्य ✨💠 💠✨ Sanatan Rahasya✨💠


Гео и язык канала: Индия, Английский
Категория: Книги


टेलीग्राम शैली में सनातन भगवान, योगी, महान विचारक और किंवदंतियों, सृजन, विज्ञान और उद्धरणों का आनंद लें! तंत्र, यंत्र, मंत्र, औषधि और लगभग हर सनातन सामग्री। प्रेरणा का विस्फोट!🔥🔥
Run ads here via telega.io!
#Dyor⚠- https://t.me/sanatanarahasya/9945

Связанные каналы  |  Похожие каналы

Гео и язык канала
Индия, Английский
Категория
Книги
Статистика
Фильтр публикаций


यूरोप में तंत्र की कहानी

यूरोप में "तंत्र" का इतिहास और उसका प्रभाव भारतीय तंत्र परंपरा से भिन्न है, लेकिन इसे रहस्यमय और गूढ़ परंपराओं के रूप में देखा गया है। तंत्र, जैसा कि भारत में समझा जाता है (ध्यान, मंत्र, योग, और शक्ति पूजा), यूरोप में सीधा नहीं पाया जाता, लेकिन कुछ गूढ़ और रहस्यमय परंपराओं ने समान तत्व विकसित किए हैं। यहाँ यूरोप में तंत्र से संबंधित कहानी और परंपराओं का संक्षिप्त विवरण है:

1. प्राचीन यूरोपीय रहस्यमय परंपराएँ:
ड्र्यूइड्स (Druids):
यूरोप के प्राचीन सेल्टिक समाजों में ड्र्यूइड्स नामक पुजारियों और रहस्यमयी व्यक्तियों का वर्ग था। वे प्रकृति, ऊर्जा, और अनुष्ठानों के माध्यम से दिव्य शक्तियों से जुड़ने का प्रयास करते थे। यह भारतीय तंत्र की तरह प्रकृति के साथ तालमेल रखने पर आधारित था।

ग्नॉस्टिसिज़्म (Gnosticism):

ग्रीक और रोमन साम्राज्य में ग्नॉस्टिक परंपरा विकसित हुई, जो ज्ञान और आत्मा की मुक्ति की खोज पर केंद्रित थी। इसमें गुप्त मंत्र, ध्यान, और आंतरिक चेतना जागरण का महत्व था।

2. मध्यकालीन युग में जादू और गूढ़ विज्ञान:
एल्केमी (Alchemy):

यूरोप में 12वीं से 17वीं शताब्दी तक अल्केमी (रसायनशास्त्र और आत्मा की शुद्धि) प्रचलित रही। इसका उद्देश्य केवल धातुओं को सोने में बदलना नहीं था, बल्कि आत्मा को शुद्ध और दिव्य चेतना प्राप्त करना भी था।

काबाला (Kabbalah):
यह यहूदी गूढ़ परंपरा है, जिसमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा, ईश्वर के नामों का जप, और आंतरिक ऊर्जा के माध्यम से आत्मा को उच्च अवस्था तक पहुँचाने की प्रक्रिया शामिल है। यह भारतीय तंत्र के ध्यान और मंत्र परंपरा के समान है।

जादू (Witchcraft):
यूरोप में जादूगरों और जादूगरिनियों का प्राचीन इतिहास है। ये लोग मंत्र, जड़ी-बूटियों, और प्रकृति की शक्तियों का उपयोग करते थे। इनकी गतिविधियाँ भारतीय तंत्र के भैरवी साधना या वनस्पति आधारित उपचार की तरह थीं।

3. गुप्त समाज और तंत्र साधना:
रोसिकरूशियन (Rosicrucians):
यह एक गुप्त समाज था जो आध्यात्मिक जागृति, ब्रह्मांडीय शक्ति, और तंत्र साधना जैसी परंपराओं में विश्वास करता था। उन्होंने तंत्र के तत्व, जैसे ऊर्जा प्रवाह और ध्यान, को यूरोपीय संदर्भ में ढाला।

फ्रीमैसन्स (Freemasons):
यह एक गुप्त संगठन है जिसमें प्रतीकों और अनुष्ठानों का उपयोग किया जाता है। यह आत्मा और शरीर के समन्वय पर जोर देता है, जो भारतीय तंत्र के समान है।

4. आधुनिक युग और तंत्र का पुनरुत्थान:
19वीं और 20वीं शताब्दी में यूरोप में भारतीय तंत्र और योग का प्रभाव बढ़ा। स्वामी विवेकानंद और परमहंस योगानंद जैसे भारतीय संतों ने यूरोप में योग और ध्यान को लोकप्रिय बनाया। पश्चिमी विद्वानों ने भारतीय तंत्र, मंत्र, और कुंडलिनी साधना में रुचि ली।

ऑकल्ट मूवमेंट (Occult Movement):

19वीं शताब्दी में "ऑकल्टिज्म" का विकास हुआ, जिसमें तंत्र, ध्यान, और आत्मा की शक्तियों पर जोर दिया गया। थियोसॉफिकल सोसाइटी ने भारतीय तंत्र और पश्चिमी गूढ़ परंपराओं को मिलाने की कोशिश की।

टांट्रिक सेक्सुअलिटी (Tantric Sexuality):

यूरोप में तंत्र का एक गलत रूप भी विकसित हुआ, जिसमें केवल यौन ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह भारतीय तंत्र के आध्यात्मिक उद्देश्य से भिन्न है।

कहानी और मिथक:
यूरोप में तंत्र के संदर्भ में कई मिथक और कहानियाँ हैं।

ड्र्यूइड्स और शक्तिशाली वृक्ष:
माना जाता है कि ड्र्यूइड्स अपने अनुष्ठानों में पवित्र वृक्षों (विशेष रूप से ओक) का उपयोग करते थे, जैसे भारतीय तंत्र में पीपल और बिल्व वृक्ष का महत्व है।

अल्केमिस्ट की खोज:
यूरोपीय अल्केमिस्ट्स द्वारा "फिलॉसफर स्टोन" की खोज, भारतीय तंत्र में अमृत या "चेतना के अमृत" की खोज के समान है।

ग्नॉस्टिक का आत्मज्ञान:
ग्नॉस्टिक कहानियों में "रोशनी का व्यक्ति" (Light Bearer) एक गुरु के रूप में प्रकट होता है, जो तंत्र में दिव्य गुरु की भूमिका के समान है।

निष्कर्ष:
यूरोप में तंत्र का सीधा रूप से उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन वहां की गूढ़ परंपराओं और रहस्यमय अनुष्ठानों में तंत्र की झलक देखी जा सकती है। आधुनिक युग में भारतीय तंत्र ने यूरोप में अपनी जगह बनाई है और योग, ध्यान, और कुंडलिनी जागरण जैसे विषयों ने गहरी रुचि पैदा की है।
#europe #tantra


बहुत गुरुर था चांद को खूबसूरती का
हमने दिल पर पत्थर रख कल
उसे भी
आईना दिखा दिया।

सनातन रहस्य


#sayari


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram


Репост из: E - समिधा BOOKS
सकृदेवप्रपन्नायतवास्मीतिचयाचते ।
अभयंसर्वभूतेभ्योददाम्येतद्व्रतंमम ।।

जो एक बार भी शरण में आकर "मैं तुम्हारा हूं" ऐसा कहकर मुझसे रक्षा की प्रार्थना करता है, उसे मैं समस्त प्रकार से अभय कर देता हूं। यह मेरा सदा के लिए व्रत है।

- भगवान श्री राम


Репост из: Oncology Department । Feminists Only
बताइए, हिन्दू माँ बापों को कोर्स कराया जा रहा है कि वो लव जिहाद से कैसे अपने बच्चों को बचाएं

https://www.hinduparentsnetwork.org/


जय गुरुदेव 🙏

श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः। 🙏


कुष्ठ रोग (Leprosy) एक पुराना संक्रमण है जिसे ठीक होने में समय और उचित उपचार की आवश्यकता होती है। नीम, अपने औषधीय गुणों के कारण, कुष्ठ रोग के उपचार में सहायक हो सकता है, लेकिन इसे डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं और अन्य उपचारों के साथ ही उपयोग करना चाहिए। नीम का उपयोग कुष्ठ रोगियों के लिए इस प्रकार किया जा सकता है:

नीम का उपयोग कुष्ठ रोग में:

1. नीम की पत्तियों का सेवन:

- रोज़ सुबह खाली पेट 5-7 ताज़ी नीम की पत्तियों को चबाएं।
- इससे रक्त शुद्ध होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

2. नीम का काढ़ा:

- 10-15 नीम की पत्तियों को 2 कप पानी में उबालें।
- इसे आधा रहने तक उबालें और दिन में दो बार पिएं।

3. नीम का तेल:

- नीम का तेल प्रभावित त्वचा पर लगाने से सूजन और जलन में आराम मिलता है।
- इसे दिन में 2-3 बार इस्तेमाल करें।

4. नीम पाउडर:

- नीम की सूखी पत्तियों का पाउडर बनाकर 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ रोज़ सेवन करें।
- यह आंतरिक शुद्धिकरण और संक्रमण को कम करने में सहायक है।

5. नीम स्नान:
- नहाने के पानी में नीम की पत्तियाँ डालकर उबालें।
- इस पानी से रोज़ स्नान करें, जिससे त्वचा संक्रमण में राहत मिलेगी।

6. नीम और हल्दी का लेप:
- नीम पाउडर में हल्दी मिलाकर पेस्ट बनाएं और प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
- यह घाव और चर्म रोग को ठीक करने में सहायक है।

कुष्ठ रोग ठीक होने में समय:

- नीम अकेले कुष्ठ रोग को पूरी तरह ठीक नहीं कर सकता। यह केवल सहायक उपचार है।
- कुष्ठ रोग का पूर्ण उपचार एंटीबायोटिक्स के साथ 6 महीने से 1 साल या उससे अधिक समय तक चल सकता है, जो रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- नीम का नियमित उपयोग त्वचा की स्थिति में सुधार ला सकता है और संक्रमण को नियंत्रित कर सकता है, लेकिन इसे डॉक्टर द्वारा बताए गए इलाज के साथ ही इस्तेमाल करें।

सावधानियाँ:

1. नीम के उपयोग से पहले डॉक्टर से परामर्श करें, खासकर यदि रोगी अन्य दवाइयाँ ले रहा हो।
2. कुष्ठ रोग के उपचार में धैर्य रखें, क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है।
3. सही आहार, स्वच्छता, और दवाओं का नियमित सेवन करें।

नीम का उपयोग नियमित और संयमित रूप से किया जाए तो यह कुष्ठ रोगियों को जल्दी ठीक होने में मदद कर सकता है।

#neem #aayurveda #td #kust


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram
#rajan #ji #maharaj #ram


ग्राह्य शिष्य के लक्षण

हे कुलेशानि । सच्छिष्य शुभ लक्षणों से युक्त होता है। समाधि साधनों से युक्त, गुणशील वाले, शुद्ध शरीर एवं वस्त्र वाले, प्राज्ञ, धार्मिक, शुद्धमन, दृढ़व्रती, सदाचारी, श्रद्धा भक्ति से युक्त, समर्थ अल्पभोजी, गूढ़चित्त, निःस्वार्थ सेवा करने वाले, विवेकी, वीर, दरिद्रता से रहित, मन वाले, सब कार्यों में कुशल, स्वच्छ, सर्वोपकारी, कृतज्ञ, पाप से डरने वाले, साधु सज्जन से सम्मत, आस्तिक, दानी, सब प्राणियों की भलाई करने वाले, विश्वास और नम्रता से युक्त, धन एवं देह के अवश्वक, असाध्य को सिद्ध करने वाले, शूर, उत्साह, बल से युक्त, अनुकूल कार्य करने वाले, अप्रमादी, बुद्धिमान्, प्रिय, सत्य, अल्प और सहर्ष बोलने वाले, दोषमुक्त, एक बार कहे को समझने वाले, चतुर, अपनी प्रशंसा और दूसरी की निन्दा से विमुख, सुमुख, जितेन्द्रिय, सन्तुष्ट, धीमान्, ब्रह्मचारी, आदि से रहित, आधि, व्याधि, चापल्य, दुःख, भ्रान्ति व सन्देह से रहित शिष्य ग्राह्य हैं ।। २३-३१ ॥

#guru #sisya #kularnav


कुलधर्मकथायोगियोगिनीकौलिकप्रियम् । कुलार्चनादिनिरतं कुलद्रव्याजुगुप्सकम् ॥ ३६ ॥ जपध्यानादिनिरतं मोक्षमार्गाधिका‌ङ्क्षिणम् । कुलशास्त्रप्रियं देवि पशुशास्त्रपराङ्‌मुखम् । इत्यादिलक्षणोपेतं गुरुः शिष्यं परिग्रहेत् ॥ ३७ ॥

गुरु के ध्यान, स्तुति, कथा और देवता की पूजा बन्दना में उत्सुक, गुरु दैवत में समान भक्ति रखने वाले, कुल स्त्री पूजक, नित्य गुरु के समीप रहने वाले, गुरु को सन्तुष्ट करने वाले, मन, वचन, शरीर से नित्य सेवा में तत्पर, गुरु आज्ञा का पालन करने वाले, गुरु कीर्ति को फैलाने वाले, गुरु वाक्य को प्रमाण मानने वाले, गुरुसेवा में तत्पर, मनोनुकूल, सेवक के सामान गुरु का कार्य करने वाले, गुरु के समक्ष जाति, मान एवं धन में गर्व न करने वाले, गुरुद्रव्य से निरपेक्ष, गुरु प्रसाद के अभिलाषी, कुल धर्म कथा और योग-योगिनी कौलिकों को चाहने वाले, कुलपूजा में लगे हुए और कुल द्रव्य का गोपन करने वाले, जप व ध्यानादि में तत्पर, मोक्षमार्ग के अभिलाषी, कुलशास्त्र को मानने वाले और पशुशास्त्र से विमुख आदि-इस प्रकार के लक्षणों से युक्त व्यक्ति को शिष्य बनाए ।। ३१-३७ ।।

#kularnav #sisya #guru #shiv


टीका-समकायः अर्थात सीधा शरीर करके हाथ जोडके गुरुको प्रणाम करे और दक्षिण वामभागमें गणेशजीको प्रणाम करे और क्षेत्रपाल और जगन्माता देवीको प्रणाम करना उचित है ॥ २३ ॥

मूलम् ततश्च दक्षाङ्कष्टेन निरुद्धच पिंगलां सुधीः ॥ इडया पूरयेद्रायुं यथाशक्क्या तु कुम्भयेत् ॥ | २४ ॥ ततस्त्यक्ता पिंगळ्या शनैरेव न वेगतः ।॥ पुनः पिंगलयाऽऽपूर्य यथाशक्त्या तु कुम्भयेत्॥२५॥इडया रे- चयेद्रायं न वेगेन न शनैःशनैः । ॥ इदं योगवि- धानेन कुर्याद्विशतिकुम्भकान् ॥ सर्वद्र- ॥
न्दूविनिर्भुक्तः प्रत्यहं विगतालसः
॥९६॥

टीका-इसके पश्चात् दहिने हाथक्के अंग्रष्टसे पिंग- लाको रोककरके इडासे वायुपूरक करे अर्थात ग्राह्य करे और यथाशक्ति वायुको रोके फिर पिंगलासे शनैः शनैः रेचक अर्थात् वायुको बाहरकरे इसीप्रकार फिर पिंगलासे पूरक करके यथाशक्ति कुम्भक करे फिर इड। से धीरे धीरे रेचक करे वेगसे कदापि न करे इस योगविधा- नसे बीस कुम्भक करे और सर्वेद्वन्द्वसे राहत होजाय अर्थातू एकाकार वृत्ति रक्खे. और नित्य आळस्यको त्याग करके अभ्यास करे ।। २४ ॥ २५ ॥

#shiv #samhita #parnayam #vidhi #yog

Image credit

@sanatanarahasya


धर्म के खातिर मैंने अपना सर्वस्व का त्याग किया,
जा बुआ! तेरे पुत्र को सौ गलती पर भी जीवनदान दिया।

सनातन रहस्य

#Sisupal #krishna


सर्पभय-निवारक मन्त्र

१. मुनिराजं आस्तीकं नमः।


घर में सर्प होने की जानकारी हो तो निरन्तर उसका भय लगा रहता है या कभी सर्प आमने-सामने आ जाए तो उपर्युक्त मन्त्र का उच्चारण करने से सर्प चुपके से दूसरे मार्ग पर चला जाएगा और मन्त्र उच्चारणकर्ता पर आक्रमण करने का प्रयत्न नहीं करेगा।

कभी रात्रि में पैदल यात्रा करनी हो या किसी वनीय क्षेत्र से गुजरना हो तो पुष्य नक्षत्र में उखाड़ी गई गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला को उपर्युक्त मन्त्र से सात बार अभिमन्त्रित करके गले में धारण कर लेना चाहिए। इससे सर्पभय से रक्षा होती है।

#mantra #tantra #snake #sanp #sarp

@sanatanarahasya


बरसों हिफ़ाज़त कर जिस दिल को हमने उन्हें दिया,
पत्थर के सनम ने उसको पल भर में तोड़ दिया। 💔

#sayari


बहुत तकलीफ़ हुई आपको जब मुकम्मल दिन हमने कुछ न कहा
आज भी पहल हमने ही कि तुम्हें कहां याद आयी। 💔

#sayari


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram
#heart #attack #td #lifesaving #health


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram
#vishnu #hari #krishna #gyan #punya #dharma


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram
#premanand #ji


दांपत्य जीवन और संबंध सुधार के लिए उपाय

विवाद होने पर इडा सक्रिय करें:

यदि दांपत्य जीवन में तनाव हो, तो इडा स्वर को सक्रिय करें। यह मन को शांत करता है।

संबंध मजबूत करने के लिए चंद्र स्वर:

भावनात्मक बातचीत के दौरान चंद्र स्वर (इडा) सक्रिय रखें।

संवाद के समय सही स्वर चुनें:

व्यावसायिक और तर्कशील संवाद के लिए सूर्य स्वर सक्रिय होना चाहिए।

#swar #vigyan #relationship


Видео недоступно для предпросмотра
Смотреть в Telegram
#ram #rajan #ji maharaj

Показано 20 последних публикаций.