बापू- अच्छा मैं तुझे इतना अच्छा लगता हूँ?
काकी- हां लल्लू, गांव की न जाने कितनी औरतों के लिए तू रामबाण औषधि है.
बापू हंसने लगा और बोला- क्यों किस किस ने बताया तुझे?
काकी हंस कर बोली- सबसे पहले तो उसी चौधरन ने बताया था, जिसके खेत पर तू मुझे पेलता है.
बापू- चल अब वो सब छोड़, जल्दी से नंगी हो जा बुधिया … तेरी चूत चाटनी है.
काकी खुश हो गईं.
उन्होंने अपनी साड़ी ऊपर कर दी और अपनी चूत खोल कर चित लेट गईं.
काकी ने चूत पर हाथ फेर कर कहा- आ जा मेरे शेर चढ़ जा मेरे ऊपर.
बापू ने काकी की चूत पर हाथ फेरा और बोला- एक दिन तेरी फसल काटना है. बड़ी बड़ी झांटें चाटने में मुँह में लगती हैं.
काकी- बाल सफा साबुन ले आना. मैं खुद कुँए पर साफ़ कर लूंगी.
‘हां ले आऊंगा.’
कुछ देर मैं दरवाजे पर खड़ा रहा. मेरे लंड में आग लग गई थी.
मैंने सोचा कि बीवी पर चढ़ जाऊं.
पर आज काकी की चुदाई देखने का लोभ न छूटा.
मैंने एक बार बीवी की तरफ देखा और वापस हॉल में नजर गड़ा दी.
पांच मिनट बाद जब बाहर की हॉल की लाइट बन्द हो गयी, तो मैं समझ गया कि अब कुछ न कुछ कबड्डी होने लगी है.
मैं धीरे से वापस पर्दे में हॉल में देखने लगा.
अभी बापू और काकी में कबड्डी शुरू नहीं हुई थी. मेरे बापू और पड़ोस की काकी आपस में चुम्मी कर रहे थे.
उनको चुम्मी करता देख कर मेरा लंड वापस खड़ा हो गया था.
फिर मैंने देखा कि धीरे धीरे बापू ने काकी की टांगें फैला दी थीं और उनकी चूत पर अपना मुँह ले गए.
काकी ने भी टांगें पूरी फैला दी थीं और बापू ने अपनी जीभ काकी की चूत पर लगा दी थी.
अब वो मस्ती से काकी की चूत चाट रहे थे. काकी की कामुक आवाजें धीरे धीरे निकल रही थीं- आ ऊ ई आई और करो उइ मां और अन्दर जीभ डालो लल्लू … बहुत मजा आ रहा है.
मेरा बापू काकी की चूत के मजे ले रहा है, ये देख कर मेरा लंड आन्दोलन करने लगा.
मैं अपने लंड को हिलाने लगा.
कुछ ही पलों में में मेरे लंड से आपने आप ही वीर्य बाहर निकल गया.
मैं आखें बंद करके अपने लंड के स्खलन का मजा लेने लगा.
एक दो पल बाद जब लंड से पानी निकल गया, तो मैंने पर्दे से हाथ पौंछे और काकी की तरफ देखा.
उधर काकी की गांड उठने लगी थी और वो भी झड़ने को आ गई थीं.
काकी ने मेरे बापू का सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था और ‘हूँ ऊं उं चाट ले साले … आह लल्लूऊ … मैं गई आह.’ दबी आवाज में चिल्ला रही थीं.
बस ये कहते हुए काकी की चूत से पानी निकल गया और वो थोड़ी शांत हो गईं.
फिर बापू ने अपना 6 इंच का लंड हाथ में लिया और हिलाया.
काकी की आंखें खुल गई थीं. काकी ने बापू के लंड को देखा तो उनकी आंखें चमक उठीं और उन्होंने मेरे बापू का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया.
बापू ने भी अपना लंड काकी के मुँह में दे दिया.
काकी लंड को मुँह में ऐसे ले रही थीं जैसे कोई रंडी लंड चूस रही हो.
बापू भी काकी के गले में अन्दर तक लंड पेल रहा था.
काकी भी बापू के गोटे पकड़ कर सहला रही थीं और बापू की आंखें मस्ती में बंद थीं.
बापू काकी के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह में लंड दबादब पेले जा रहा था.
कमाल की बात ये थी कि मेरा छोटा भाई बापू के बिस्तर के बाजू में ही टांगें फैलाए खर्राटे ले रहा था.
थोड़ी देर के बाद काकी बोली- लल्लू, अब झंडा फहरा दे … बड़ी आग लगी है.
बापू ने कहा- हां बुधिया, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता. चल सीधी लेट जा.
काकी ने लंड मुँह से निकाला और चूत पसार कर लेट गईं.
बापू ने काकी को चुदाई की पोजीशन में अपने नीचे लिटाया दिया और उनकी चूत में लंड एक ही झटके में डाल दिया.
‘उई मां मर गई … साले एकदम से पेल देता है … धीरे से नहीं पेल सकता.’
बापू ने काकी का एक हॉर्न दबाया और बोला- साली, तेरी मखमली चूत में एक झटके में ही लंड पेलने में मजा आता है.
अब तक काकी ने लंड झेल लिया था.
उसने बापू से पूछा- क्यों और दूसरी क्या मजा नहीं देती हैं?
बापू- तेरे अलावा बस चौधरन ही मजा देती है … बाकी की तो सब साली लंडखोर हैं. सत्तर लंड खाए बैठी हैं.
काकी हंसने लगीं.
बापू- अब तुझे भी मेरे लंड से ही मजा आता है तो तू किसी और लौड़े को घास नहीं डालती है.
काकी- लल्लू, मुझे अपनी इज्जत का भी ख्याल रहता है. विधवा हूँ, अगर मेरे बारे में ऊलजुलूल खबर फ़ैल गई तो हर कोई मेरी सवारी के लिए लंड उठाए घूमेगा.
मेरा बापू हो हो करके हंसने लगा और काकी की चूत में ताबड़तोड़ लंड पेलने लगा.
फिर बापू ने पूछा- अब एकाध जवान लंड की भूख हो तो बताईओ बुधिया.
काकी- जवान लंड … तेरा मतलब क्या है लल्लू?
बापू की आवाज मेरे कानों में बम फोड़ती हुई सुनाई दी- मेरा बड़ा लड़का भी गबरू हो गया है. बहू को पीस कर रख देता होगा.
काकी- हां लल्लू, गांव की न जाने कितनी औरतों के लिए तू रामबाण औषधि है.
बापू हंसने लगा और बोला- क्यों किस किस ने बताया तुझे?
काकी हंस कर बोली- सबसे पहले तो उसी चौधरन ने बताया था, जिसके खेत पर तू मुझे पेलता है.
बापू- चल अब वो सब छोड़, जल्दी से नंगी हो जा बुधिया … तेरी चूत चाटनी है.
काकी खुश हो गईं.
उन्होंने अपनी साड़ी ऊपर कर दी और अपनी चूत खोल कर चित लेट गईं.
काकी ने चूत पर हाथ फेर कर कहा- आ जा मेरे शेर चढ़ जा मेरे ऊपर.
बापू ने काकी की चूत पर हाथ फेरा और बोला- एक दिन तेरी फसल काटना है. बड़ी बड़ी झांटें चाटने में मुँह में लगती हैं.
काकी- बाल सफा साबुन ले आना. मैं खुद कुँए पर साफ़ कर लूंगी.
‘हां ले आऊंगा.’
कुछ देर मैं दरवाजे पर खड़ा रहा. मेरे लंड में आग लग गई थी.
मैंने सोचा कि बीवी पर चढ़ जाऊं.
पर आज काकी की चुदाई देखने का लोभ न छूटा.
मैंने एक बार बीवी की तरफ देखा और वापस हॉल में नजर गड़ा दी.
पांच मिनट बाद जब बाहर की हॉल की लाइट बन्द हो गयी, तो मैं समझ गया कि अब कुछ न कुछ कबड्डी होने लगी है.
मैं धीरे से वापस पर्दे में हॉल में देखने लगा.
अभी बापू और काकी में कबड्डी शुरू नहीं हुई थी. मेरे बापू और पड़ोस की काकी आपस में चुम्मी कर रहे थे.
उनको चुम्मी करता देख कर मेरा लंड वापस खड़ा हो गया था.
फिर मैंने देखा कि धीरे धीरे बापू ने काकी की टांगें फैला दी थीं और उनकी चूत पर अपना मुँह ले गए.
काकी ने भी टांगें पूरी फैला दी थीं और बापू ने अपनी जीभ काकी की चूत पर लगा दी थी.
अब वो मस्ती से काकी की चूत चाट रहे थे. काकी की कामुक आवाजें धीरे धीरे निकल रही थीं- आ ऊ ई आई और करो उइ मां और अन्दर जीभ डालो लल्लू … बहुत मजा आ रहा है.
मेरा बापू काकी की चूत के मजे ले रहा है, ये देख कर मेरा लंड आन्दोलन करने लगा.
मैं अपने लंड को हिलाने लगा.
कुछ ही पलों में में मेरे लंड से आपने आप ही वीर्य बाहर निकल गया.
मैं आखें बंद करके अपने लंड के स्खलन का मजा लेने लगा.
एक दो पल बाद जब लंड से पानी निकल गया, तो मैंने पर्दे से हाथ पौंछे और काकी की तरफ देखा.
उधर काकी की गांड उठने लगी थी और वो भी झड़ने को आ गई थीं.
काकी ने मेरे बापू का सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था और ‘हूँ ऊं उं चाट ले साले … आह लल्लूऊ … मैं गई आह.’ दबी आवाज में चिल्ला रही थीं.
बस ये कहते हुए काकी की चूत से पानी निकल गया और वो थोड़ी शांत हो गईं.
फिर बापू ने अपना 6 इंच का लंड हाथ में लिया और हिलाया.
काकी की आंखें खुल गई थीं. काकी ने बापू के लंड को देखा तो उनकी आंखें चमक उठीं और उन्होंने मेरे बापू का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया.
बापू ने भी अपना लंड काकी के मुँह में दे दिया.
काकी लंड को मुँह में ऐसे ले रही थीं जैसे कोई रंडी लंड चूस रही हो.
बापू भी काकी के गले में अन्दर तक लंड पेल रहा था.
काकी भी बापू के गोटे पकड़ कर सहला रही थीं और बापू की आंखें मस्ती में बंद थीं.
बापू काकी के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह में लंड दबादब पेले जा रहा था.
कमाल की बात ये थी कि मेरा छोटा भाई बापू के बिस्तर के बाजू में ही टांगें फैलाए खर्राटे ले रहा था.
थोड़ी देर के बाद काकी बोली- लल्लू, अब झंडा फहरा दे … बड़ी आग लगी है.
बापू ने कहा- हां बुधिया, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता. चल सीधी लेट जा.
काकी ने लंड मुँह से निकाला और चूत पसार कर लेट गईं.
बापू ने काकी को चुदाई की पोजीशन में अपने नीचे लिटाया दिया और उनकी चूत में लंड एक ही झटके में डाल दिया.
‘उई मां मर गई … साले एकदम से पेल देता है … धीरे से नहीं पेल सकता.’
बापू ने काकी का एक हॉर्न दबाया और बोला- साली, तेरी मखमली चूत में एक झटके में ही लंड पेलने में मजा आता है.
अब तक काकी ने लंड झेल लिया था.
उसने बापू से पूछा- क्यों और दूसरी क्या मजा नहीं देती हैं?
बापू- तेरे अलावा बस चौधरन ही मजा देती है … बाकी की तो सब साली लंडखोर हैं. सत्तर लंड खाए बैठी हैं.
काकी हंसने लगीं.
बापू- अब तुझे भी मेरे लंड से ही मजा आता है तो तू किसी और लौड़े को घास नहीं डालती है.
काकी- लल्लू, मुझे अपनी इज्जत का भी ख्याल रहता है. विधवा हूँ, अगर मेरे बारे में ऊलजुलूल खबर फ़ैल गई तो हर कोई मेरी सवारी के लिए लंड उठाए घूमेगा.
मेरा बापू हो हो करके हंसने लगा और काकी की चूत में ताबड़तोड़ लंड पेलने लगा.
फिर बापू ने पूछा- अब एकाध जवान लंड की भूख हो तो बताईओ बुधिया.
काकी- जवान लंड … तेरा मतलब क्या है लल्लू?
बापू की आवाज मेरे कानों में बम फोड़ती हुई सुनाई दी- मेरा बड़ा लड़का भी गबरू हो गया है. बहू को पीस कर रख देता होगा.