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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) ने फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) के तहत कुछ इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लॉट साइज में बदलाव किया है। यह बदलाव मार्च 28, 2025 को जारी किए गए एक सर्कुलर के माध्यम से घोषित किया गया। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य बाजार में स्थिरता बनाए रखना और ट्रेडिंग को अधिक प्रभावी बनाना है।

🔖 कौन-कौन से इंडेक्स प्रभावित हुए हैं?

🔹 NSE ने दो इंडेक्स के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज को बढ़ाया है:
▪️निफ्टी बैंक (BANKNIFTY) – पहले एक लॉट में 30 यूनिट्स थीं, अब इसे बढ़ाकर 35 यूनिट्स कर दिया गया है।
▪️निफ्टी मिडसलेक्ट (MIDCPNIFTY) – पहले एक लॉट में 120 यूनिट्स थीं, अब इसे 140 यूनिट्स कर दिया गया है।

🔖 किन इंडेक्स के लॉट साइज में कोई बदलाव नहीं हुआ?

🔹 कुछ इंडेक्स के लॉट साइज में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यानी ये पहले की तरह ही रहेंगे:
▪️निफ्टी 50 (NIFTY) – 75 यूनिट्स
▪️निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज (FINNIFTY) – 65 यूनिट्स
▪️निफ्टी नेक्स्ट 50 (NIFTYNXT50) – 25 यूनिट्स

🔖 बदलाव कब लागू होगा?

🔹 नए लॉट साइज जुलाई 2025 में समाप्त होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स से लागू होंगे।
🔹 जो मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स अप्रैल, मई और जून 2025 में समाप्त होंगे, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

🔖 SEBI के दिशानिर्देशों के अनुरूप बदलाव:

🔹 यह बदलाव भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है।
🔹 समय-समय पर लॉट साइज में बदलाव किए जाते हैं ताकि डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मूल्य एक निश्चित सीमा के भीतर रहे और बाजार की स्थिरता तथा जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सके।

🔖 फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) के एक्सपायरी नियमों में भी हो सकता है बदलाव:

🔹 27 मार्च 2025 को SEBI ने एक प्रस्ताव दिया कि सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी केवल मंगलवार या गुरुवार को ही होनी चाहिए।
🔹 इसका उद्देश्य विभिन्न एक्सचेंजों पर एक्सपायरी के बीच संतुलन बनाना और सोमवार एवं शुक्रवार को एक्सपायरी से बचना है।

🔖 पहले भी हो चुके हैं लॉट साइज में बदलाव:

🔹 अक्टूबर 2024 में SEBI ने न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट साइज ₹15 लाख करने का फैसला किया था, जिससे निफ्टी 50 का लॉट साइज 25 से बढ़कर 75 और बैंक निफ्टी का 15 से 30 हो गया था।
🔹 NSE ने अप्रैल 2025 से F&O एक्सपायरी के दिन बदलकर सोमवार कर दिए थे।

🔖 इस बदलाव का असर क्या होगा?

🔹 ट्रेडर्स को अपनी रणनीति दोबारा बनानी होगी क्योंकि अब कुछ इंडेक्स में ट्रेड करने के लिए अधिक पूंजी की जरूरत होगी।
🔹 बाजार की तरलता (liquidity) बेहतर होगी और यह निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
🔹 निवेशक सावधानीपूर्वक योजना बनाकर ट्रेडिंग करें ताकि वे इस बदलाव का सही लाभ उठा सकें।

🔖 F&O इंडेक्स डेरिवेटिव्स क्या होते हैं?

🔹 F&O (Futures & Options) इंडेक्स डेरिवेटिव्स शेयर बाजार के डेरिवेटिव्स सेगमेंट का एक हिस्सा होते हैं।
🔹 ये डेरिवेटिव्स किसी विशेष इंडेक्स (जैसे NIFTY 50, BANKNIFTY, FINNIFTY आदि) की भविष्य की कीमतों पर आधारित ट्रेडिंग की अनुमति देते हैं।

🔖 लॉट साइज क्या होता है?

🔹 लॉट साइज (Lot Size) वह न्यूनतम संख्या होती है, जिसके आधार पर डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदे या बेचे जाते हैं।
🔹 प्रत्येक डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट का एक निश्चित लॉट साइज होता है, जो एक्सचेंज द्वारा तय किया जाता है।
🔹 उदाहरण के लिए:
▪️यदि बैंक निफ्टी का लॉट साइज 35 है, तो कोई भी ट्रेडर कम से कम 35 यूनिट्स का कॉन्ट्रैक्ट खरीदेगा या बेचेगा।

🔖 F&O इंडेक्स डेरिवेटिव्स में लॉट साइज क्यों जरूरी है?

🔹 बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए – यदि लॉट साइज बहुत छोटा होगा, तो अत्यधिक ट्रेडिंग से बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
🔹 अनुशासित ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए – लॉट साइज निर्धारित होने से ट्रेडर्स को एक निश्चित मात्रा में निवेश करना पड़ता है, जिससे वे सोच-समझकर ट्रेडिंग करते हैं।
🔹 जोखिम प्रबंधन के लिए – बड़े लॉट साइज से अत्यधिक सट्टा गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकता है।

🔖 F&O इंडेक्स डेरिवेटिव्स में लॉट साइज कैसे तय किया जाता है?

🔹 भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) न्यूनतम अनुबंध मूल्य (Minimum Contract Value) के आधार पर समय-समय पर लॉट साइज बदलता है।
▪️यदि किसी इंडेक्स की कीमत बढ़ जाती है, तो लॉट साइज घटाया जा सकता है।
▪️यदि कीमत गिरती है, तो लॉट साइज बढ़ाया जा सकता है।

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केंद्र सरकार राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए अगले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में ₹8 लाख करोड़ बाजार से उधार लेगी। यह उधार डेटेड सिक्योरिटीज (लंबी अवधि के बॉन्ड) के माध्यम से लिया जाएगा।

🔖 मुख्य बातें:

🔹 ऋण का उद्देश्य:
▪️सरकार अपने राजस्व घाटे को पूरा करने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए यह राशि जुटा रही है।
▪️यह उधारी बॉन्ड बाजार को बिना प्रभावित किए वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की योजना का हिस्सा है।

🔹 ऋण की संरचना:
▪️कुल उधारी में से ₹10,000 करोड़ सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स के माध्यम से जुटाए जाएंगे।
▪️यह उधारी साप्ताहिक किश्तों (weekly tranches) में ली जाएगी, जिससे बॉन्ड बाजार में स्थिरता बनी रहे।

🔹 ऋण वितरण और अवधि:
▪️सरकार ने कुल ₹14.82 लाख करोड़ का सकल बाजार उधार लक्ष्य तय किया है।
▪️पहली छमाही में ₹8 लाख करोड़ उधारी, वार्षिक लक्ष्य का 54% है।
▪️उधारी को 26 सप्ताह की 25,000-36,000 करोड़ की किश्तों में पूरा किया जाएगा।

🔹 अलग-अलग अवधि के बॉन्ड:
▪️तीन साल: 5.3%
▪️पांच साल: 11.3%
▪️सात साल: 8.2%
▪️दस साल: 26.2%
▪️पंद्रह साल: 14%
▪️तीस साल: 10.5%
▪️चालीस साल: 14%
▪️पचास साल: 10.5%

🔹 खुदरा निवेशकों के लिए अवसर: सरकार 5% आरक्षित कोटा खुदरा निवेशकों के लिए रखेगी, ताकि वे भी इस योजना में भाग ले सकें।

🔹 अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय:
▪️ट्रेजरी बिल्स के माध्यम से साप्ताहिक उधारी:
▪️91-दिवसीय बिल: ₹9,000 करोड़
▪️182-दिवसीय बिल: ₹5,000 करोड़
▪️364-दिवसीय बिल: ₹5,000 करोड़

🔹 RBI ने सरकार के अस्थायी वित्तीय असंतुलन (temporary mismatches) को पूरा करने के लिए ₹1.50 लाख करोड़ का Ways & Means Advances (WMA) सीमा तय की है।

🔖 विशेषज्ञों की राय:

📌 विश्लेषकों का मानना है कि यह उधारी लक्ष्य बाजार को स्थिर बनाए रखते हुए सरकार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी।
📌 इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डीके पंत के अनुसार, इस बार सरकार ने छोटी अवधि (3-5 वर्ष) की प्रतिभूतियों का हिस्सा बढ़ाया है, जबकि लंबी अवधि (15-50 वर्ष) की प्रतिभूतियों की हिस्सेदारी थोड़ी घटी है।

🔖 डेटेड सिक्योरिटीज (लंबी अवधि के बॉन्ड) क्या होते हैं?

डेटेड सिक्योरिटीज वे सरकारी बॉन्ड या ऋणपत्र होते हैं, जिनकी एक निश्चित परिपक्वता अवधि (Maturity Period) होती है और इन पर निश्चित या परिवर्तनीय ब्याज दर दी जाती है। इन्हें आमतौर पर सरकारें अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए जारी करती हैं।

🔖 मुख्य विशेषताएँ:

🔹 परिपक्वता अवधि (Maturity Period):
▪️डेटेड सिक्योरिटीज की अवधि 5 साल से लेकर 50 साल तक हो सकती है।
▪️सरकार ने हालिया उधारी में 3, 5, 7, 10, 15, 30, 40 और 50 साल के बॉन्ड जारी किए हैं।

🔹 ब्याज दर (Interest Rate):
▪️इन बॉन्ड्स पर सरकार एक निश्चित ब्याज दर देती है, जिसे कूपन दर (Coupon Rate) कहा जाता है।
▪️ब्याज का भुगतान आमतौर पर छमाही (हर 6 महीने) किया जाता है।

🔹 निवेशक कौन होते हैं?
▪️बैंक, बीमा कंपनियाँ, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, विदेशी निवेशक, खुदरा निवेशक और सरकारें डेटेड सिक्योरिटीज में निवेश कर सकती हैं।
▪️खुदरा निवेशकों के लिए सरकार 5% आरक्षित कोटा रखती है।










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लोकसभा ने मंगलवार (25 मार्च) को वित्त विधेयक 2025 को पारित कर दिया, जिसमें सरकार द्वारा किए गए 35 संशोधन भी शामिल हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण संशोधन 6% डिजिटल कर (Google Tax) हटाने से जुड़ा है, जो ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लागू होता था।

अब यह विधेयक राज्यसभा में जाएगा। राज्यसभा की मंजूरी के बाद, 2025-26 के लिए बजट प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

🔖 वित्त विधेयक 2025 (Finance Bill 2025) के बारे में:

वित्त विधेयक 2025 (Finance Bill 2025) भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत एक विधायी प्रस्ताव है, जो वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट में घोषित वित्तीय नीतियों और कर प्रस्तावों को लागू करने के लिए तैयार किया गया है। यह विधेयक लोकसभा में 1 फरवरी, 2025 को पेश किया गया था और 25 मार्च, 2025 को ध्वनिमत से पारित हो गया। इसके बाद इसे राज्यसभा में औपचारिक चर्चा और मंजूरी के लिए भेजा गया है।

🔖 बजट 2025-26 के मुख्य बिंदु:

🔹 कुल व्यय – ₹50.65 लाख करोड़ (वर्तमान वित्त वर्ष की तुलना में 7.4% अधिक)।
🔹 पूंजीगत व्यय – ₹11.22 लाख करोड़, जबकि प्रभावी पूंजीगत व्यय ₹15.48 लाख करोड़ रहेगा।
🔹 सकल कर राजस्व संग्रह – ₹42.70 लाख करोड़ का लक्ष्य।
🔹 सकल उधारी – ₹14.01 लाख करोड़।

🔖 योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि:

🔹 केंद्र प्रायोजित योजनाएं – ₹5,41,850.21 करोड़ (2024-25 के ₹4,15,356.25 करोड़ से अधिक)।
🔹 केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं – ₹16.29 लाख करोड़ (पिछले वर्ष के ₹15.13 लाख करोड़ से अधिक)।

🔖 व्यय में वृद्धि के कारण:

🔹 बाजार ऋण, कोषपत्र (ट्रेजरी बिल), विदेशी ऋण, लघु बचत और भविष्य निधि पर ब्याज भुगतान बढ़ना।
🔹 सशस्त्र बलों के लिए अधिक धन आवंटित, जिसमें पूंजीगत व्यय भी शामिल है।
🔹 रोजगार सृजन योजनाओं के लिए अधिक प्रावधान।

🔖 राज्यों को हस्तांतरित संसाधन:

🔹 कुल ₹25,01,284 करोड़ राज्यों को हस्तांतरित किए जाएंगे।
🔹 यह 2023-24 की तुलना में ₹4,91,668 करोड़ अधिक है।

🔖 राजकोषीय घाटा और GDP अनुमान:

🔹 वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटा – 4.4% (2024-25 में 4.8% था)।
🔹 देश की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमानित – ₹3,56,97,923 करोड़, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों से 10.1% अधिक है।



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