जैसा साहित्य हम पढ़ते है ,वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते है और उन्हीं से हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है,
जो लोग कुत्सित ,विकारी और कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं वे कभी उपर नहीं उठ सकते , वो वीर्य रक्षा करने में असमर्थ होते है l
@Brahmacharyalife
जो लोग कुत्सित ,विकारी और कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं वे कभी उपर नहीं उठ सकते , वो वीर्य रक्षा करने में असमर्थ होते है l
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