🗓 04 नवम्बर - सशस्त्र क्रांति के पितामह 'वासुदेव बलवंत फडके' जयंती
(जन्म : 04 नवंबर 1845, मृत्यु : 17 फरवरी 1883)
वासुदेव बलवंत फडके भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक हैं, जिन्हें "आदि क्रांतिकारी" कहा जाता है। उनका नाम लेते ही युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हो जाती थी। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक क्रांतिकारी थे।
स्वतंत्र भारत के इस मंदिर की नींव में पड़े असंख्य पत्थरों को कौन भूल सकता है, जो अपने आप को स्वाहा करके इस भव्य और स्वाभिमानी मंदिर की आधारशिला बने। ऐसे ही एक अनाम पत्थर के रूप में वासुदेव बलवंत फडके का नाम उभरता है, जिन्होंने 1857 की पहली संगठित महाक्रांति की विफलता के बाद आज़ादी की महासमर की पहली चिनगारी जलाRead more......
(जन्म : 04 नवंबर 1845, मृत्यु : 17 फरवरी 1883)
वासुदेव बलवंत फडके भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक हैं, जिन्हें "आदि क्रांतिकारी" कहा जाता है। उनका नाम लेते ही युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हो जाती थी। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक क्रांतिकारी थे।
स्वतंत्र भारत के इस मंदिर की नींव में पड़े असंख्य पत्थरों को कौन भूल सकता है, जो अपने आप को स्वाहा करके इस भव्य और स्वाभिमानी मंदिर की आधारशिला बने। ऐसे ही एक अनाम पत्थर के रूप में वासुदेव बलवंत फडके का नाम उभरता है, जिन्होंने 1857 की पहली संगठित महाक्रांति की विफलता के बाद आज़ादी की महासमर की पहली चिनगारी जलाRead more......