बात जब भी छिड़ी मोहब्बत की,
ख़ामोशी बोल उठी मज़ारों से।
मैं लिपटता रहा हूं खारो से,
तुमने पूछा नहीं बहारो से।
आ मेरे चांद रात सूनी हैं,
बात बनती नहीं सितारों से,
एक भी आफ़ताब बन न सका,
लाख टूटे हुए तारों से.!!
✤ Ꭻᴏɪɴ ➛ @Khamoshiya
ख़ामोशी बोल उठी मज़ारों से।
मैं लिपटता रहा हूं खारो से,
तुमने पूछा नहीं बहारो से।
आ मेरे चांद रात सूनी हैं,
बात बनती नहीं सितारों से,
एक भी आफ़ताब बन न सका,
लाख टूटे हुए तारों से.!!
✤ Ꭻᴏɪɴ ➛ @Khamoshiya