थोड़ी देर में रोना-धोना मच गया । आस पड़ोस के लोग आ गए। बेटे को बुलाया गया और अम्मा को अंतिम यात्रा के लिए तैयार किया गया अम्मा को नहला धुला कर, सुहागन की तरह तैयार कर, अर्थी पर लेटा कर बाहर लाया गया ।
बाबा ने देखा अम्मा के माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी लगी थी । बाबा उठे और घर में गए । थोड़ी देर बाद बाहर आए और धीरे-धीरे अम्मा की अर्थी के पास गये । और अम्मा के माथे पर से बिंदी हटा दी,
" बाबा क्या कर रहे हो ? अम्मा सुहागन थी । आप बिंदी क्यों हटा रहे हो ?" बेटे ने कहा ।
" बेटा! उसका पति बिंदी खरीदने की औकात नहीं रखता था, इसलिए हटा रहा हूं" !
सुनकर सब लोग अवाक रह गए । बहू शर्मसार हो गई । सब ने देखा बाबा अपने हाथ में लाए हिंगलू से एक बड़ी सी लाल बिंदिया अम्मा के माथे पर लगा रहे हैं ।
थोड़ी देर बाद बहू की चित्कार छूट गई । बाबा भी अम्मा के साथ हमेशा हमेशा के लिए लंबी यात्रा पर रवाना हो गए थे।
मित्रों, इस भावनात्मक, हृदय स्पर्शी कहानी बहुत कुछ संदेश दे रहा है । अपने समाज मे सिर्फ 2-4 प्रतिशत ही बुजुर्गों की स्थिति परिवार में सम्मान जनक है । इसका मूल कारण कही संयुक्त परिवार का एकल परिवार में रूपांतरित होकर नाते ,रिश्ते की समाप्ति, धन की लिप्सा में अंधी दौड़ एवं लड़के, लड़कियों का अधिक पढ़ कर सभी से अधिक जानकारी व बुद्धिमान होने का झूठा अभिमान,किताबी ज्ञान का होना परन्तु व्यवहारिक ज्ञान की कमी ।
*कृपया हम सभी एक छोटा प्रयास से अपने घर के बुजुर्गों का उचित सम्मान करें, सभी को एक दिन बूढ़ा होना है । माता पिता के नही रहने पर उनका महत्व मालूम पड़ता है । पश्चिमी देशों का अनुसरण नही कर अपनी भारतीय संस्कृति का अनुसरण करें ।
सादर प्रणाम।
🙏🙏🙏🙏
बाबा ने देखा अम्मा के माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी लगी थी । बाबा उठे और घर में गए । थोड़ी देर बाद बाहर आए और धीरे-धीरे अम्मा की अर्थी के पास गये । और अम्मा के माथे पर से बिंदी हटा दी,
" बाबा क्या कर रहे हो ? अम्मा सुहागन थी । आप बिंदी क्यों हटा रहे हो ?" बेटे ने कहा ।
" बेटा! उसका पति बिंदी खरीदने की औकात नहीं रखता था, इसलिए हटा रहा हूं" !
सुनकर सब लोग अवाक रह गए । बहू शर्मसार हो गई । सब ने देखा बाबा अपने हाथ में लाए हिंगलू से एक बड़ी सी लाल बिंदिया अम्मा के माथे पर लगा रहे हैं ।
थोड़ी देर बाद बहू की चित्कार छूट गई । बाबा भी अम्मा के साथ हमेशा हमेशा के लिए लंबी यात्रा पर रवाना हो गए थे।
मित्रों, इस भावनात्मक, हृदय स्पर्शी कहानी बहुत कुछ संदेश दे रहा है । अपने समाज मे सिर्फ 2-4 प्रतिशत ही बुजुर्गों की स्थिति परिवार में सम्मान जनक है । इसका मूल कारण कही संयुक्त परिवार का एकल परिवार में रूपांतरित होकर नाते ,रिश्ते की समाप्ति, धन की लिप्सा में अंधी दौड़ एवं लड़के, लड़कियों का अधिक पढ़ कर सभी से अधिक जानकारी व बुद्धिमान होने का झूठा अभिमान,किताबी ज्ञान का होना परन्तु व्यवहारिक ज्ञान की कमी ।
*कृपया हम सभी एक छोटा प्रयास से अपने घर के बुजुर्गों का उचित सम्मान करें, सभी को एक दिन बूढ़ा होना है । माता पिता के नही रहने पर उनका महत्व मालूम पड़ता है । पश्चिमी देशों का अनुसरण नही कर अपनी भारतीय संस्कृति का अनुसरण करें ।
सादर प्रणाम।
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