आज 30 अगस्त 2023 को विष चिकित्सा विषय के प्रथम भाग में जहरीले जीव-जन्तुओं (ततैया, मधुमक्खी , चूहा, छिपकली और मच्छर ) के डंक मारने या काटने के प्राथमिक उपचार की बात करेंगे ....
ततैया का विषः-
१. ततैया के डंक वाले स्थान पर छोटी पीपल को पानी में घिसकर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है।
२. डंक पर तारपीन का तेल लगा देने से आराम मिलता है।
३. गेंदे के फूल की १० ग्राम पंखुड़ियाँ तथा ५ दाने काली मिर्च पीसकर लेप करने से जहर का असर समाप्त होकर पीड़ा और जलन दूर हो जाती है।
४. पीले ततैया के डंक मार देने पर पीले रंग के पतले कपड़े को पानी में भिगोकर दंशित स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
५. दो चम्मच सूखे धनिए को पानी के साथ चबाने से जलन शान्त होकर शीघ्र लाभ होता है।
६. काले भंवरे, बर्र और बिच्छु के डंक मारने पर काली तुलसी के पत्तों को पीसकर और नमक मिलाकर पीड़ित स्थान पर दो-तीन बार लेप करने से तथा तुलसी के पत्ते पीसकर जल में मिलाकर पिलाने से जलन, दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
मधुमक्खी के डंक मारने पर:-
१. मधुमक्खी के डंक मारने वाले स्थान पर मिट्टी के तेल में नमक मिलाकर रगड़ने से मधुमक्खी का जहर तत्काल उतर जाता है। सबसे पहले चिमटी, सुई आदि से डंक निकालकर उस स्थान पर मिट्टी का तेल और पिसा नमक मिलाकर रगड़ें और ठण्डा पानी पिलाएँ ।
२. मधुमक्खी के डंक पर लोहे की चाबी को मिट्टी के तेल में डुबोकर या वैसे ही धीरे-धीरे रगड़ने से लाभ होता है।
चूहे के काटने परः -
👉पोदीने की हरी पत्तियों को पानी में पीसकर इसकी लुगदी को चूहे द्वारा काटे गए स्थान पर लेप करने से विष नष्ट हो जाता है। इसके साथ पोदीने की पत्तियाँ खाना भी लाभदायक है।
👉जैसे ही चूहा काटे तो सनाय के पत्ते उबालकर कुछ दिन पीने से चूहे का विष मल के साथ निकल जाता है।
घर में चूहे बढ़ गए हों तो
👉तारपीन के तेल में कपड़ा भिगोकर उनके आने-जाने के मार्गों पर डाल देने से चूहे भाग जाते हैं।
👉चूहे फिटकरी की गंध से भी भागते हैं इसलिए चूहों के बिलों में फिटकरी डाल देनी चाहिए।
खाने-पीने के पदार्थों को सदा ढ़ककर रखें। इस काम में जरा भी भूल न करें।
छिपकली के काटने परः-
👉छिपकली के काटे हुए स्थान पर सरसों के तेल में उपले की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है ।
👉काटी हुई जगह पर छिपकली के दाँत निकालने के लिए इस मिश्रण को हाथ में दस्ताने पहनकर मलना चाहिए।
👉घाव से छिपकली के दाँत बाहर निकलते ही ज्वर जाता रहता है और उस जगह से नीलापन, पीप बहना आदि बन्द हो जाता है।
मच्छर और कीड़े-मकोड़े के काटने पर :-
नींबू या प्याज मलें। चींटी या मकोड़े के काटने पर तुरन्त नमक के पानी से धो डालें। विषैले कीड़े-मकोड़े के काटने पर उस जगह तुलसी का रस लगाएँ या तुलसी के पत्ते रगड़ें। यदि कोई कीट-पतंगा काट ले तो तुरन्त मिट्टी का तेल मलना चाहिए।
हर तरह के कीड़े के काटने पर उस जगह पर तुरन्त मूत्र त्याग कर दें या मूत्र का लेप करें या मूत्र में भिगोकर कपड़ा रखें। ऐसा करने से दर्द व सूजन शीघ्र समाप्त हो जाएगा। इसके अतिरिक्त कटे-फटे अंग, घाव तथा दाद पर स्वमूत्र का भीगा फाहा रखने से वे ठीक हो जाते हैं।
........ अनवरत, प्रामाणिक और अनुभूत लेखों.(@ayurved27) की इस श्रंखला मे विष चिकित्सा श्रंखला का प्रथम भाग पूर्ण हुआ। इसके द्वितीय भाग में कनखजूरा, मकड़ी, बिच्छु और सर्प के डंक और काटने के विषय पर विस्तार में बताने का प्रयास रहेगा...
....... प्रसन्न रहें , आनंदित रहें ! ............ ॐ
ततैया का विषः-
१. ततैया के डंक वाले स्थान पर छोटी पीपल को पानी में घिसकर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है।
२. डंक पर तारपीन का तेल लगा देने से आराम मिलता है।
३. गेंदे के फूल की १० ग्राम पंखुड़ियाँ तथा ५ दाने काली मिर्च पीसकर लेप करने से जहर का असर समाप्त होकर पीड़ा और जलन दूर हो जाती है।
४. पीले ततैया के डंक मार देने पर पीले रंग के पतले कपड़े को पानी में भिगोकर दंशित स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
५. दो चम्मच सूखे धनिए को पानी के साथ चबाने से जलन शान्त होकर शीघ्र लाभ होता है।
६. काले भंवरे, बर्र और बिच्छु के डंक मारने पर काली तुलसी के पत्तों को पीसकर और नमक मिलाकर पीड़ित स्थान पर दो-तीन बार लेप करने से तथा तुलसी के पत्ते पीसकर जल में मिलाकर पिलाने से जलन, दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
मधुमक्खी के डंक मारने पर:-
१. मधुमक्खी के डंक मारने वाले स्थान पर मिट्टी के तेल में नमक मिलाकर रगड़ने से मधुमक्खी का जहर तत्काल उतर जाता है। सबसे पहले चिमटी, सुई आदि से डंक निकालकर उस स्थान पर मिट्टी का तेल और पिसा नमक मिलाकर रगड़ें और ठण्डा पानी पिलाएँ ।
२. मधुमक्खी के डंक पर लोहे की चाबी को मिट्टी के तेल में डुबोकर या वैसे ही धीरे-धीरे रगड़ने से लाभ होता है।
चूहे के काटने परः -
👉पोदीने की हरी पत्तियों को पानी में पीसकर इसकी लुगदी को चूहे द्वारा काटे गए स्थान पर लेप करने से विष नष्ट हो जाता है। इसके साथ पोदीने की पत्तियाँ खाना भी लाभदायक है।
👉जैसे ही चूहा काटे तो सनाय के पत्ते उबालकर कुछ दिन पीने से चूहे का विष मल के साथ निकल जाता है।
घर में चूहे बढ़ गए हों तो
👉तारपीन के तेल में कपड़ा भिगोकर उनके आने-जाने के मार्गों पर डाल देने से चूहे भाग जाते हैं।
👉चूहे फिटकरी की गंध से भी भागते हैं इसलिए चूहों के बिलों में फिटकरी डाल देनी चाहिए।
खाने-पीने के पदार्थों को सदा ढ़ककर रखें। इस काम में जरा भी भूल न करें।
छिपकली के काटने परः-
👉छिपकली के काटे हुए स्थान पर सरसों के तेल में उपले की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है ।
👉काटी हुई जगह पर छिपकली के दाँत निकालने के लिए इस मिश्रण को हाथ में दस्ताने पहनकर मलना चाहिए।
👉घाव से छिपकली के दाँत बाहर निकलते ही ज्वर जाता रहता है और उस जगह से नीलापन, पीप बहना आदि बन्द हो जाता है।
मच्छर और कीड़े-मकोड़े के काटने पर :-
नींबू या प्याज मलें। चींटी या मकोड़े के काटने पर तुरन्त नमक के पानी से धो डालें। विषैले कीड़े-मकोड़े के काटने पर उस जगह तुलसी का रस लगाएँ या तुलसी के पत्ते रगड़ें। यदि कोई कीट-पतंगा काट ले तो तुरन्त मिट्टी का तेल मलना चाहिए।
हर तरह के कीड़े के काटने पर उस जगह पर तुरन्त मूत्र त्याग कर दें या मूत्र का लेप करें या मूत्र में भिगोकर कपड़ा रखें। ऐसा करने से दर्द व सूजन शीघ्र समाप्त हो जाएगा। इसके अतिरिक्त कटे-फटे अंग, घाव तथा दाद पर स्वमूत्र का भीगा फाहा रखने से वे ठीक हो जाते हैं।
........ अनवरत, प्रामाणिक और अनुभूत लेखों.(@ayurved27) की इस श्रंखला मे विष चिकित्सा श्रंखला का प्रथम भाग पूर्ण हुआ। इसके द्वितीय भाग में कनखजूरा, मकड़ी, बिच्छु और सर्प के डंक और काटने के विषय पर विस्तार में बताने का प्रयास रहेगा...
....... प्रसन्न रहें , आनंदित रहें ! ............ ॐ