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कौन कहता है कि,
उसने भुला दिया मुझको?
वो आज भी हम से मिलकर,
मुँह फेर लेते हैं।।


तुम खास ही नहीं, हर सांस में हो,
बेकरार दिल यूही नहीं, तुम हर एहसास में हो..!
मिलोगे ये पता नहीं, मगर हर तलाश में हो,
तलाश पूरी हो ना हो, मगर हर आस में हो..!!❤


मैं देखता हूं ख्यालों में तूझे
अंधेरों से लेकर उजालों में तूझे🖤

ढूंढा जिन जवाबो में तूझे
पा लिया उन सवालों में तूझे🖤

कैसे सबको हक दू तुझपर
सोचता हूं अपने साथ तूझे🖤

हो सके तू भी हौसला रख
कहीं मिल जाऊ किसी दुआ में तूझे।🖤


अंधियारे को मिटाने का
नई रोशनी लाने का
एक पहल जारी है

दुनिया की भीड़ में
तूफानों के समंदर में
निडर बन के रहने का
एक पहल जारी है

ज़िद की छांव में
निराशा की धूप में
उत्साह ना खोने का
एक पहल जारी है

उम्मीद के आखिर सहारे तक
सांस के आखिर जन्म तक
डट के रहने का
एक पहल जारी है


न चेहरा देखा है,न उसका काम जानता हूँ मैं,
मोहब्बत में होने वाला हर अंजाम जानता हूँ मैं,
वाकिफ़ नहीं हूँ कि वो कौन है, कहाँ से आया है,
अभी तो फकत उसका नाम जानता हूँ मैं।
Wazir_writes


जिन्दगी की नाव
सागर के जैसी जिन्दगी, ख्वाहिशें लहरें हैं।
जिन्दगी की नाव है, एहसास के थपेड़े हैं।
भावनाओं का गुबार है,नाव के हिचकोले हैं।सागर की गहराई सा, जीवन आगे मेरे है।
सुख दुःख के आने से,पतवार संभाली मैंने है।
नाव डगमगाये न ,ज़िन्दगी की मेरी ये।
कितने भी आँधी तूफान ,इसको घेरे हैं।
आगे बढूं हिम्मत से ,धैर्य भी मेरे मन में है।
लक्ष्य है साहिल मेरा, हौसलों की पतवार है।
जिन्दगी की नाव को ,बढ़ते रहना आगे है..


हमें कुछ पता नहीं है हम क्यों बहक रहे हैं
रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक रहे हैं

जब से है तुमको देखा हम इतना जानते हैं
तुम भी महक रहे हो हम भी महक रहे हैं


हाथ की लकीरों मे किस्मत इतना भी कमजोर नहीं
के कोई भी आए हमे तोड़ के चला जाए
वो तो दिल था जो किसी ने हमे झकझोर के चला गया 😂😂😂😂


हर बात का ज़वाब हो ऐसा नहीं होता
और हर सब्द पे मलाल करना हो तो
वो शायर नहीं होता
कहते हो अपने आप को दिल टूटे शायर
शायरों के दिल मे हर बात का इतना भी मलाल नहीं होता


लडकियाँ भले ही छोटी-छोटी बातों पर रोती हों..!

पर जिंदगी की बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी हँसते-हँसते पार कर लेती हैं...!!


ज़ब मोहब्बत को मेरी वो समझ न सका ख़ामोशी से नजर अंदाज किया तब हम ने


याद की याद को क्या कहें हम
वो याद आती ही उसी याद मे है
जिस याद मे वो हमे तन्हा कर गए 😔😂


गिर जाने दो लबो से हर बात
उन्हें भी तो मालूम चले
हमारे खामोशी कितनी वफ़ा थी 😂😂


यादो में भी जिया है
यादो के लिए भी जिया है
बस वो याद की प्याली को
हमने भी पिया है


यूँ ही मीठी मीठी बेतुकी बातों से दिल ले जाता है,,

कोई सच में हँसाए तो जानू यूँ झूठी मुस्कान तो हर कोई दे जाता है।।


कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।

कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं।
कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।।

नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं।
मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।।

बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।।

अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता।
फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं।।

हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।।

बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर हम
मगर घर में जरूरत हो तो रिश्ते भूल जाते हैं।।

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।

दीपक कुमार...✍️


सूर्य ढलता ही नहीं है
चाहता हूँ, कुछ लिखूँ, पर कुछ निकलता ही नहीं है
दोस्त, भीतर आपके कोई विकलता ही नहीं है!

आप बैठे हैं अंधेरे में लदे टूटे पलों से
बंद अपने में अकेले, दूर सारी हलचलों से
हैं जलाए जा रहे बिन तेल का दीपक निरन्तर
चिड़चिड़ाकर कह रहे- 'कम्बख़्त,जलता ही नहीं है!'

बदलियाँ घिरतीं, हवाएँ काँपती, रोता अंधेरा
लोग गिरते, टूटते हैं, खोजते फिरते बसेरा
किन्तु रह-रहकर सफ़र में, गीत गा पड़ता उजाला
यह कला का लोक, इसमें सूर्य ढलता ही नहीं है!

तब लिखेंगे आप जब भीतर कहीं जीवन बजेगा
दूसरों के सुख-दुखों से आपका होना सजेगा
टूट जाते एक साबुत रोशनी की खोज में जो
जानते हैं- ज़िन्दगी केवल सफ़लता ही नहीं है!

बात छोटी या बड़ी हो, आँच में खुद की जली हो
दूसरों जैसी नहीं, आकार में निज के ढली हो
है अदब का घर, सियासत का नहीं बाज़ार यह तो
झूठ का सिक्का चमाचम यहाँ चलता ही नहीं है!


हुजूर में मेरी ज़िन्दगी एक जुर्म है
जीने की तमन्ना फिर जगाता कौन है

संज़ीदगी मशहूर है इन गलियों चौबारों में
मोहल्ले में झूमती महफ़िल सजाता कौन है

ज़माने में जब किसी से रूठने का हक़ नहीं
किस ख़ता के वास्ते मुझे मनाता कौन है

कफ़न की सहूलियत का भी यकीं नही मुझे
जीते जी मेरे लिए दामन फैलाता कौन है

मय के इस दौर में नहीं है हम प्याला कोई
सुने इस मैकदे में नज़रों से पिलाता कौन है

मुद्दत हुई मुझे किसी ●आशु● से रूबरू हुए
खुली पलकों से मेरी यूँ नींदें चुराता कौन है

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