वो भी मेरी तरफ झुक गई मानो प्यार में दोनों एक दूसरे में खोये!
समीर को बस हिना के जिस्म से मतलब था लेकिन मैं हिना के दिल में उतर रहा था।
इधर मैं हिना को प्यार की बातों में उतार रहा था, उधर समीर अपना काम कर रहा था.. तभी समीर ने हिना का हाथ अपने लंड पर रख कर उसे मुठ मारने को कहा।
हिना उसकी मुठ मारने लगी तो उसका शरीर हिलने लगा.. मुझे समझते देर न लगी और मैंने पूछ लिया- क्या कर रही हो हिना?
हिना शर्मा गई और ‘धत्त’ बोल कर चुप गई।
समीर अब सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और हिना की मुठ मारने का मजा ले रहा था, हिना का शरीर अब मेरा था।
मैंने मौका देख हिना की कमर में अपना हाथ डाल दिया और वो भी एक माशूका की तरह मेरी छाती पर सर रख मुझमें खो रही थी पर उधर समीर का लंड भी हिला रही थी।
मैंने धीरे धीरे अपने हाथ से हिना की कमर पर सहलाना शुरू किया।
‘इस्श्ह्ह… ऐसा मत करो.. कुछ होता है मुझे…’ हिना बोली।
लेकिन मैं रुका नहीं… और फिर धीरे धीरे मैं हिना के पूरे जिस्म पर अपने हाथ को हल्के हल्के फिराने लगा.. वो हल्की छुवन कामवासना को बढ़ा रही थी, हिना की पकड़ मेरे हाथ पर अब कसने लगी थी, उसके जिस्म की आग अब भड़क रही थी।
तभी शायद समीर झड़ने वाला था और वो हिला.. तो हम अलग हो गए।
वो बोला- मैं अभी आता हूँ!
और वो बाथरूम में चला गया।
उसके जाते ही हम दोनों ने एक बार एक दूसरे की आँखों में देखा और फिर एक साथ एक दूसरे पर टूट पड़े.. जन्मों के प्यास की तरह एक दूसरे को चूस रहे थे, एक दूसरे को कस कर बाहों में ले चूमे जा रहे थे, मेरा हाथ हिना के जिस्म के हर कोने में घूम घूम कर उसका नाम ले रहा था।
जैसे ही मैंने उसकी चूचियों पर हाथ रखा.. एक बड़ी सी आह निकली हिना के मुख से- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह्ह रोहित…
उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए… मैंने हल्के से उनको दबाया तो हिना का पूरा शरीर अकड़ गया.. मैंने उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया।
तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई और हम दोनों ठीक हो कर बैठ गए, दोनों की सांसें बहुत भरी हो चली थी।
मैंने समीर को इशारा किया और वो कुछ हिना के कान में बोला और फिर मुझे बोला- मुझे नींद आ रही है दोस्त, मैं चला सोने!
मैंने कहा- ठीक है, मैं और हिना तो फिल्म पूरी देख के ही सोएँगे.. क्यों हिना?
हिना ने मुझे एक कामुक मुस्कान दी और थोड़ा चहक कर समीर को बोली- हाँ भाई, मैं बाद में आ जाऊँगी.. तुम सो जाओ!
और समीर चला गया सोने!
कहानी जारी रहेगी।
समीर को बस हिना के जिस्म से मतलब था लेकिन मैं हिना के दिल में उतर रहा था।
इधर मैं हिना को प्यार की बातों में उतार रहा था, उधर समीर अपना काम कर रहा था.. तभी समीर ने हिना का हाथ अपने लंड पर रख कर उसे मुठ मारने को कहा।
हिना उसकी मुठ मारने लगी तो उसका शरीर हिलने लगा.. मुझे समझते देर न लगी और मैंने पूछ लिया- क्या कर रही हो हिना?
हिना शर्मा गई और ‘धत्त’ बोल कर चुप गई।
समीर अब सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और हिना की मुठ मारने का मजा ले रहा था, हिना का शरीर अब मेरा था।
मैंने मौका देख हिना की कमर में अपना हाथ डाल दिया और वो भी एक माशूका की तरह मेरी छाती पर सर रख मुझमें खो रही थी पर उधर समीर का लंड भी हिला रही थी।
मैंने धीरे धीरे अपने हाथ से हिना की कमर पर सहलाना शुरू किया।
‘इस्श्ह्ह… ऐसा मत करो.. कुछ होता है मुझे…’ हिना बोली।
लेकिन मैं रुका नहीं… और फिर धीरे धीरे मैं हिना के पूरे जिस्म पर अपने हाथ को हल्के हल्के फिराने लगा.. वो हल्की छुवन कामवासना को बढ़ा रही थी, हिना की पकड़ मेरे हाथ पर अब कसने लगी थी, उसके जिस्म की आग अब भड़क रही थी।
तभी शायद समीर झड़ने वाला था और वो हिला.. तो हम अलग हो गए।
वो बोला- मैं अभी आता हूँ!
और वो बाथरूम में चला गया।
उसके जाते ही हम दोनों ने एक बार एक दूसरे की आँखों में देखा और फिर एक साथ एक दूसरे पर टूट पड़े.. जन्मों के प्यास की तरह एक दूसरे को चूस रहे थे, एक दूसरे को कस कर बाहों में ले चूमे जा रहे थे, मेरा हाथ हिना के जिस्म के हर कोने में घूम घूम कर उसका नाम ले रहा था।
जैसे ही मैंने उसकी चूचियों पर हाथ रखा.. एक बड़ी सी आह निकली हिना के मुख से- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह्ह रोहित…
उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए… मैंने हल्के से उनको दबाया तो हिना का पूरा शरीर अकड़ गया.. मैंने उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया।
तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई और हम दोनों ठीक हो कर बैठ गए, दोनों की सांसें बहुत भरी हो चली थी।
मैंने समीर को इशारा किया और वो कुछ हिना के कान में बोला और फिर मुझे बोला- मुझे नींद आ रही है दोस्त, मैं चला सोने!
मैंने कहा- ठीक है, मैं और हिना तो फिल्म पूरी देख के ही सोएँगे.. क्यों हिना?
हिना ने मुझे एक कामुक मुस्कान दी और थोड़ा चहक कर समीर को बोली- हाँ भाई, मैं बाद में आ जाऊँगी.. तुम सो जाओ!
और समीर चला गया सोने!
कहानी जारी रहेगी।