Women motivational poem by me
तू खुल के हंस नहीं सकती तू अपना पक्ष रख नहीं सकती
है नारी क्या तू अपने हक के लिए लड़ नहीं सकती
क्यों? क्यूंकि तू सिर्फ एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसका अपने पतियों के सामने चीर हरण किया गया
तू वही स्त्री है जिसे विवाह के बाद भुला दिया गया
और तू वही स्त्री है जिसे मिथ्या के कारण पत्थर बना दिया गया
हे नारी क्या इन पुरुषों के आगे तेरा कोई वजूद नहीं
क्यों क्युकी तू सिर्फ एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसने अपने मान के कारण जौहर किया
तू वही स्त्री है जिसने धरती बन सबका पोषण किया
तू वही स्त्री है जो कृष्ण के लिए तड़पती रही
तू वही स्त्री है जो हर दर्द चुप सहती रही
हे नारी क्यों तू इतनी लाचार बनी
क्युकी तू एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसने दुर्गा बन महिषासुर का वध किया
तू वही स्त्री है जिसने काली बन रक्तासुर का रक्त पिया
तू वही स्त्री है जिसने सावित्री बन यम को भी ध्वस्त किया
तू वही स्त्री है जिसने जननी बन वीरो को जन्म दिया
हे नारी तू अपनी शक्ति को पहचान
क्युकी तू एक स्त्री ही
तू ही एक स्त्री है।
एक छोटी सी कोशिश आशा करती हूं आप सबको पसंद आएगी।
तू खुल के हंस नहीं सकती तू अपना पक्ष रख नहीं सकती
है नारी क्या तू अपने हक के लिए लड़ नहीं सकती
क्यों? क्यूंकि तू सिर्फ एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसका अपने पतियों के सामने चीर हरण किया गया
तू वही स्त्री है जिसे विवाह के बाद भुला दिया गया
और तू वही स्त्री है जिसे मिथ्या के कारण पत्थर बना दिया गया
हे नारी क्या इन पुरुषों के आगे तेरा कोई वजूद नहीं
क्यों क्युकी तू सिर्फ एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसने अपने मान के कारण जौहर किया
तू वही स्त्री है जिसने धरती बन सबका पोषण किया
तू वही स्त्री है जो कृष्ण के लिए तड़पती रही
तू वही स्त्री है जो हर दर्द चुप सहती रही
हे नारी क्यों तू इतनी लाचार बनी
क्युकी तू एक स्त्री है
तू वही स्त्री है जिसने दुर्गा बन महिषासुर का वध किया
तू वही स्त्री है जिसने काली बन रक्तासुर का रक्त पिया
तू वही स्त्री है जिसने सावित्री बन यम को भी ध्वस्त किया
तू वही स्त्री है जिसने जननी बन वीरो को जन्म दिया
हे नारी तू अपनी शक्ति को पहचान
क्युकी तू एक स्त्री ही
तू ही एक स्त्री है।
एक छोटी सी कोशिश आशा करती हूं आप सबको पसंद आएगी।