कपोलपल्लव-युगल-मध्ये वसन्तो निवसति।
कमनीय-नेत्र-युगल-मध्ये प्रेमा लीनं।
मुखचन्द्र-कान्ति-मध्ये मधुरं च स्मितं च।
श्यामवर्ण-काया-मध्ये सरसीरुह-निवासः।
(गर्ग संहिता)
अर्थ - उनके गालों के कोमल पल्लवों के बीच बसंत का निवास है। उनकी मनमोहक आँखों के बीच प्रेम निवास करता है। चंद्रमा के समान चमकते मुख पर मधुर मुस्कान है। श्याम वर्ण वाले शरीर पर कमल के फूलों का निवास है।
❤️ जय श्री कृष्ण
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मुखचन्द्र-कान्ति-मध्ये मधुरं च स्मितं च।
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अर्थ - उनके गालों के कोमल पल्लवों के बीच बसंत का निवास है। उनकी मनमोहक आँखों के बीच प्रेम निवास करता है। चंद्रमा के समान चमकते मुख पर मधुर मुस्कान है। श्याम वर्ण वाले शरीर पर कमल के फूलों का निवास है।
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