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Hindiston, Hindcha
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ज़िन्दगी कुछ भी दोहराएगी नहीं, जो यादें समेट सको समेट लो...


Develop success from failures. Discouragement and failure are two of the surest stepping stones to success.

असफलता से सफलता का सृजन कीजिये। निराशा और असफलता, सफलता के दो निश्चित आधार स्तम्भ हैं।


प्रेम का दूरी से कोई वास्ता नहीं होता प्रियतम के....

द्वारा बोलो गए शब्द भी स्पर्श की भांति प्रतीक होते है...


प्रेमिका के लिए प्रेमी की उम्र कोई मायने नहीं रखती,वो तो सिर्फ प्यार चाहिए होता है।
इसलिए मैं कहता हु की आओ रूह से प्रेम से प्रेम करे,इस खूबसूरत जिस्म का क्या है तुम्हारी भी मिट्टी
है और मेरी भी मिट्टी है।
प्रेम किया है आप से
बेफिक्र रहिए, नाराजगी हो
सकती हैं लेकिन नफरत कभी नहीं!
प्रेम का सबसे सुन्दर रूप इंतज़ार है,
जितना लंबा इंतज़ार, उतना गहरा प्रेम।


तस्वीर Delete हो सकती है
फ़ोन से नंबर Delete हो सकता है
मगर किसी के साथ बिताए हुए
पल और यादें ज़िंदगी भर Delete नहीं होगी !!🩷


सब कुछ बदल गया
एक तेरे बदलने के बाद
आज भी दिल धड़का ऐसे ही
जैसे धड़का था पहली मुलाकात के बाद ।

आंखों में ही रह गया
ख्वाब सजने संवरने के बाद
फूलों की पंखुड़ियों की तरह ही
जब जुदा हम हुए थे कुछ मुलाकातों के बाद ।

कुछ छूट सा तो गया
सब कुछ मिलने के बाद
वो मिलने की कसमों की तरह
रो रो कर मिन्नतें करते रहे सुनी न तुमने फरियाद ।

दिल टूट तो गया
हवाओं में उड़ने के बाद
सूखे बौराए पत्तों की तरह
जो बिखर गए यहां से वहां एक उड़ान के बाद ।

मन पूछता है सवाल
होकर आज भी बेकरार
दामन छोड़ दिया लावारिस तरह
आंख भर आई मेरी तुमको याद करने के बाद।


सुनो__बाबू......❤️ ...

❤️🌺❤️
मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
किसी एक ख़ास
दिन - तारीख और महीने का
मोहताज नहीं है...

क्योंकि ,,
मैंने तुम्हें हर महीने के
हर दिन के हर पल में
इतना प्रेम किया है
जिसकी थाह नहीं है...
जिसका हिसाब नहीं है...

तुम्हारे प्रति
अपनेपन के एहसास ने
हर दिन हर क्षण
मेरे दिल को विशेष
महसूस करवाया है..

तुम्हारे प्रति मेरे
समर्पित समर्पण भाव का
मुझे हर दिन
अनुभव होता है...

तुम्हारे लिए मेरा प्रेम
इस फरवरी के चंद
दिन का साप्ताहिक
महोत्सव नहीं है....

मेरे लिए तुम्हारी मौजूदगी
बारह महीने ही किसी
त्योहार से कमतर नहीं है...

अपने प्यार और विश्वास से
हमारे रिश्ते की इस
बगिया को सदैव यूँ ही
महकाए रखूंगी...

ये डोर मेरे हाथों से
कभी छूट जाए या
इसकी पकड़ ढीली हो जाए
तुम इसे अपने हथेलियों में
कसकर थाम के रखना
❤️🌺❤️


टूट जायेगी तुम्हारी,
जिद की आदत भी उस दिन।
जब पता चलेगा की,
याद करने वाला अब याद बन गया।


जीवन के सफ़र में
जो मिलते हैं
वो बिछड़ते भी हैं
हम ही नादान थे
जो इक़ शाम की मुलाक़ात को
ज़िन्दगी समझ बैठे !!


प्रेम एक अर्थ में अन्धा है,
क्योंकि दुनिया की भाषा नहीं बोलता प्रेम ।

प्रेम अन्धा है,
क्योंकि गणित नहीं जानता प्रेम ।

प्रेम अन्धा है,
क्योंकि प्रेम जुआरी है,
दुकानदार नहीं है ।

और प्रेम पागलपन भी है ।
लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूँ :
उससे बड़ी और कोई प्रज्ञा नहीं है ।
उससे बड़ी कोई और समझदारी नहीं है,
क्योंकि जिन्होंने प्रेम किया
उन्होंने परमात्मा पाया
और जिन्होंने समझदारी रखी
उन्होंने धन पाया, पद पाया ।
धन और पद सब पड़े रह जाते हैं......


" Being with you means even the quiet moments feel special. We don’t need words to feel connected; your presence says everything. The silence between us is never empty—it’s full of warmth, understanding, and love. Just being near you makes my heart feel complete, even when we say nothing at all."❤️


यह जिस्म जब मिटता है
तब सब-कुछ ख़त्म हो जाता है
पर चेतना के धागे
कायनाती कणों के होते हैं
मैं उन कणों को चुनूंगा
धागों को लपेटूंगा
और तुम्हें मैं फिर मिलूंगा.....


प्रेम के हैं दो रंग जुदा...
एक मिलन और एक विरह...

एक नाम समर्पण का...
एक नाम त्याग का...

एक बिन बोले आँखों की
बात समझना...
एक दूर रह के दुआओं में
याद करना...

एक सुबह से शाम का इंतज़ार
तो...
एक अगले जन्म में मिलने की
फ़रियाद करना...

एक कमियों को नज़रंदाज करना...
एक किसी कमी के कोई मायने ना होना...

एक रुक्मणी बन जीवन भर साथ रहना...
एक राधा बन हृदय की धड़कन बनना..


जिससे भी प्रेम करता है , तो वस्तुत परमात्मा की तलाश में ही करता है। तुम जब किसी स्त्री के सौंदर्य से मोहित हुए हो,तो अनजाने ही सही, उस स्त्री के चेहरे के दर्पण में तुम्हें परमात्मा की कुछ छवि दिखायी पड़ी है। तुम्हें होश हो कि न हो। तुम जब किसी पुरुष के प्रेम में पड़े हो, तो तुम्हें कुछ भनक सुनायी पड़ी है। दूर की आवाज सही, साफ साफ पकड़ में भी न आती हो, मुट्ठी भी न बँधती हो, लेकिन जब भी तुमने किसीको चाहा है तो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुमने परमात्मा को ही चाहा है। लेकिन तुम अपनी चाहत के रंग को समझ नहीं पाए, चाहत के ढंग को समझ नहीं पाए। चाहा कुछ, उलझ गये कहीं और।

जैसे खिड़की से किसी ने सूरज को ऊगते देखा और खिड़की के चौखटे को पकड़ कर बैठ गया, और खिड़की की पूजा करने लगा। खिड़की में कुछ बुरा भी नहीं है, सूरज को दिखाया है खिड़की ने, तो धन्यवाद दो, मगर खिड़की की पूजा करने बैठ गये! फिर सूरज का क्या होगा? खिड़की लक्ष्य बन जाती है, माध्यम होती तो ठीक थी।

ऐसे ही हमने किसी मनुष्य के चेहरे में परमात्मा की झलक पायी, किन्हीं आँखों में उसकी शराब उतरती देखी, किसी युवा देह में उसकी बिजली चमकी, उसकी बिजली कौंधी, हम देह को पकड़कर बैठ गये, हम आँख की पूजा करने लगे, हम रूप के पुजारी हो गये अgएएर हम यह भूल ही गये कि सब रूप में अरूप झलकता है, सब आकार में निराकार, सब गुणों में निर्गुण। इतनी भर याद आ जादू, तो जीवन मे वह पड़ाव आ जाता है जहाँ से नयी यात्रा शुरू होती है। वह मोड़ आ जाता है,जीवन 'नर्म का पहनावा पहन लेता है, जीवन धर्म को गीत गाने लगता है।

संसार है तो परमात्मा का ही प्रेम, लेकिन माध्यम से हो गया है। और माध्यम को हम इतने जोर से पकड़ लेते हैं कि माध्यम जिसे दिखाने के लिए है, वह चूक ही उठाता है। ऐसा समझो कि किसी से तुम्हें प्रेम हो जाए और तुम उसके वस्त्रों को ही सब कुछ समझ लो और उसकी देह की तलाश ही न करो, तो तुम्हें लोग पागल कहेंगे। संसार पागल है। तुम्हें किसी से प्रेम हो जाए और तुम उसकी देह पकड़ लो और उसकी आत्मा की तलाश ही न करो, यह भी पहली ही जैसी भ्रांति है। क्योंकि देह वस्त्र से ज्यादा नहीं है। तुम्हें किसी से प्रेम हो जाए और तुम उसकी आत्मा को ही पकड़ लो और परमात्मा तक तुम्हारे प्राण न उठें, फिर भी भूल हो गयी। खोदे चलो। खोजे चलो। हर जगह से तुम परमात्मा तक पहुँच सकते हो। क्योंकि हर जगह वही छिपा है। आवरण कितने ही हो, आवरण उघाड़े जा सकते हैं। न तो आवरणों को पकड़ना और न आवरणों से भयभीत होकर भाग जाना।

दुनिया में दो तरह के काम होते रहे हैं। कुछ लोग आवरण पकड़ लेते हैं किन्हीं ने खिड़की की पूजा शुरू कर दी है। और इनकी मूढ़ता को देखकर कुछ लोग खिड़की को छोड्कर भाग गये हैं। ऐसे भागे हैं कि खिड़की के पास नहीं आते। दोनों ने भूल कर दी है। क्योंकि सूरज खिड़की से ही देखा जा सकता है। न तो पूजनेवाला देख पाएगा और न भगोड़ा देख पाएगा।

संसार परमात्मा की खिड़की है। भोगी भी नहीं देख पाता और जिसको तुम योगी कहते हो, वह भी चूक जाता है। भोगी ने जोर से पकड़ लिया है संसार, योगी इतना घबड़ा गया है भोगी की पकड़ देखकर कि उसने पीठ कर ली और भागा जंगल की तरफ। लेकिन संसार उसका ही है। वही यहाँ तरंगित है। यह गीत उसका है। इस बाँसुरी पर उसी के स्वर उठ रहे हैं। बाँसुरी को न तो पकड़ो, न बाँसुरी से डरो, बाँसुरी से आते हुए अज्ञात स्वरों को पहचानो। फिर बाँसुरी का भी सन्मान होगा। सच्चे धार्मिक व्यक्ति के मन में संसार का अनादर नहीं होता, सम्मान होता है। क्योंकि यही तो परमात्मा से जोड्ने का उपाय है, यही तो सेतु है। सच्चा व्यक्ति संसार का भी अनुगृहीत होता है,क्योंकि इसी ने परमात्मा तक लाया। सच्चा व्यक्ति अपनी देह का भी अनुगृहीत होता है, क्योंकि यह देह वाहन है।

सच्चा व्यक्ति किसी चीज के विरोध में ही नहीं होता। सब चीजों का उपयोग कर लेता है। समझदार वही है जो जहर का अमृत की तरह उपयोग कर ले। वही कुशल है, और वही बुद्धिमान।

संतो मगन भया मन मेरा


तुम मेरे हो जाओ... ऐसी जिद नहीं करूंगा,
मैं तुम्हारा हो चुका हूॅं... ये हक से कहूॅंगा..!!


वेलेंटाइन डे के लिए खरिदा था कोई मीली नही लगता है अब बेचना पड़ेगा


Fall in love with someone who wants you,
who waits for you. who understands you even in the madness. someone who helps you, and guides you, someone who is your support, your hope. fall in love with someone who talks with you after a fight.


खूशनसीब तो वो है,...
जिनके साथ तूम हो,...!!
हम तो बस तुम्हारी ..
एक झलक के...
तलबगार बन बैठे है..!!


शरीर से सुंदर व्यक्ति एक रात खुशी दे सकता है, लेकिन दिल से सुंदर व्यक्ति आपको पूरी जिंदगी खुश रखता है…!


प्यार दुनिया में सबसे अधिक
उपचार करने वाला बल है ।
प्यार से गहरा कुछ नहीं होता ।
यह न केवल शरीर और मन,
बल्कि आत्मा को भी ठीक करता है ।

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20 ta oxirgi post ko‘rsatilgan.