आहड़ सभ्यता से संबंधित मुख्य बातें
✅ स्थान – उदयपुर
✅ नदी – आयड़/बेड़च नदी के तट पर
✅ खोजकर्ता – अक्षयकीर्ति व्यास (वर्ष 1953)
✅ उत्खनन – आ. सी. अग्रवाल व एचडी सांकलिया (वर्ष 1956 में)
✅ उपनाम – धूलकोट, ताम्रवती नगरी, आघाटपुर |
✅ यह सभ्यता ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति से संबंधित है।इस सभ्यता में तांबा गलाने के भट्टे प्राप्त हुए हैं।
✅आहड़ संस्कृति पूर्णत: ग्रामीण संस्कृति थी।
✅ इस सभ्यता के लोग चावल से परिचित थे तथा पशुपालन इनका प्रमुख व्यवसाय था।
✅लाल भूरे और काले रंग के मृदभांड जिन्हें गौरे व कोठ कहा जाता था।
✅ टेराकोटा की बनी हुई वर्षभ आकृति वाली मुहरे जिसे ‘बनासियन बुल’ कहा गया है।
✅ मकानों की छत बांस की लकड़ियों से ढकी हुई तथा उनके ऊपर मिट्टी का लेप किया गया था।
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✅ स्थान – उदयपुर
✅ नदी – आयड़/बेड़च नदी के तट पर
✅ खोजकर्ता – अक्षयकीर्ति व्यास (वर्ष 1953)
✅ उत्खनन – आ. सी. अग्रवाल व एचडी सांकलिया (वर्ष 1956 में)
✅ उपनाम – धूलकोट, ताम्रवती नगरी, आघाटपुर |
✅ यह सभ्यता ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति से संबंधित है।इस सभ्यता में तांबा गलाने के भट्टे प्राप्त हुए हैं।
✅आहड़ संस्कृति पूर्णत: ग्रामीण संस्कृति थी।
✅ इस सभ्यता के लोग चावल से परिचित थे तथा पशुपालन इनका प्रमुख व्यवसाय था।
✅लाल भूरे और काले रंग के मृदभांड जिन्हें गौरे व कोठ कहा जाता था।
✅ टेराकोटा की बनी हुई वर्षभ आकृति वाली मुहरे जिसे ‘बनासियन बुल’ कहा गया है।
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